निजी सेक्टर के देश के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी में लोन जारी करने में नियमों का पालन न करने और हितों के टकराव के मामले में 6 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। आरोप है कि इन कर्मचारियों ने लोन जारी करने में नियमों का पालन नहीं किया। बैंक ने जिन कर्मचारियों पर गाज गिराई है, उनमें से कई सीनियर लेवल के हैं तो कुछ मिड लेवल के हैं। दऱअसल बैंक की ऑटो लोन यूनिट में पिछले दिनों नियमों को ताक पर रखकर लोन जारी करने का मामला सामने आया था, जिसके बाद आंतरिक जांच कराई गई थी। इस जांच में इन लोगों की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर बैंक की ओर से यह कार्रवाई की गई है।

आरोपों के मुताबिक बैंक के इन अधिकारियों ने ऑटो लोन के साथ ही कर्जधारकों को जीपीएस डिवाइस भी दी थीं। जांच में यह बात सामने आई है कि इन कर्मचारियों ने सेल्स टारगेट को पूरा करने के लिए 2015 से 2019 के दौरान ऐसा किया था। एक जीपी़एस डिवाइस की कीमत 18,000 रुपये से लेकर 19,500 रुपये तक थी। बैंक ने मुंबई स्थित कंपनी ट्रैकपॉइंट से जीपीएस डिवाइस अपने ग्राहकों को मुहैया कराने का करार किया था। अब सवाल इस बात पर भी उठ रहे हैं कि आखिर बैंक की ऑ़़डिट टीम इस गड़बड़ी का समय रहते पता क्यों लगा सकी।

बैंक की आंतरिक जांच रिपोर्ट को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन ऑटो लोन यूनिट के मुखिया रहे अशोक खन्ना को एक्सटेंशन नहीं दिया गया है। हालांकि पहले उन्हें कार्यकाल विस्तार दिए जाने का प्रस्ताव था। एचडीएफसी बैंक के कुल बकाया लोन में ऑटो यूनिट की 10 फीसदी हिस्सेदारी है। 31 मार्च, 2020 तक की एचडीएफसी बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक के कुल 1.2 लाख करोड़ रुपये के ऑटो लोन बकाया हैं।

बैंक के आंतरिक सूत्रों के मुताबिक कुछ महीनों पहले तक खन्ना के कार्यकाल को मैनेजमेंट अक्टूबर तक के लिए बढ़ाने पर विचार कर रहा था, लेकिन फिर ऐसा नहीं किया गया। हालांकि 63 वर्षीय खन्ना को फिर मार्च में ही रिटायरमेंट दे दिया गया। इससे पहले उन्हें 2017 में ही रिटायर होना था, लेकिन कार्यकाल विस्तार मिलने के चलते वह अब तक डटे हुए थे।