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रोटी-बेटी के रिश्तों वाले 2 देश:नेपाल की 20% आबादी भारत पर निर्भर, सबसे ज्यादा पैसा भारत से अपने घर भेजते हैं नेपाली, 6 लाख भारतीय नेपाल में नौकरी करते हैं

नई दिल्ली4 वर्ष पहलेलेखक: इंद्रभूषण मिश्र
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  • पिछले साल नेपाली प्रवासियों ने भारत से 12 हजार करोड़ रु. नेपाल भेजा था, जो किसी भी देश से आने वाली सबसे ज्यादा रकम थी
  • भारत के पांच राज्यों के साथ नेपाल की सीमाएं लगती हैं, नेपाल के 75 में से 23 जिले भारत से जुड़े हुए हैं

भारत और नेपाल के बीच हमेशा से बेहतर और मजबूत संबंध रहा है। कहते हैं कि नेपाल से भारत का रोटी-बेटी का संबंध है। सदियों से नेपाल के साथ भारत का भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व आर्थिक संबंध रहा है। हालांकि, हाल ही के दिनों में नेपाल के साथ रिश्ते में थोड़ी तल्खी आई है। दोनों देशों के बीच रिश्ते का सारा गुणा गणित क्या है, दोनों एक-दूसरे पर किस हद तक निर्भर हैं। पढ़ें ये रिपोर्ट...

नेपाल के 23 जिले भारत की सीमा से लगते हैं

भारत की सीमा (लैंड बॉर्डर) की कुल लंबाई 15,106.7 किलोमीटर है, जो कुल सात देशों से लगती है। ये सात देश हैं - बांग्लादेश, चीन , पाकिस्तान , नेपाल ,म्यांमार , भूटान और अफगानिस्तान। भारत के साथ नेपाल 1751 किमी बॉर्डर शेयर करता है। भारत के कुल पांच राज्य - उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम नेपाल सीमा से लगे हुए हैं।

नेपाल के कुल 75 जिलों में से 23 जिले भारत की सीमा से लगते हैं। बिहार के साथ नेपाल के 12 जिले, यूपी के साथ 8, पश्चिम बंगाल के साथ 2 (जिसमें एक बिहार के साथ भी शामिल), उत्तराखंड के साथ चार ( दो पश्चिम बंगाल , एक सिक्किम व एक यूपी के साथ भी) लगते हैं। 

नेपाल की 20 फीसदी आबादी भारत पर निर्भर

नेपाल की कुल आबादी लगभग 3 करोड़ है। भारत सरकार के 2019 के एक डेटा के मुताबिक, नेपाल के लगभग 60 लाख लोग भारत में रहते हैं और यहीं पर काम भी करते हैं। यानी नेपाल की करीब 20 फीसदी आबादी भारत में रहती है और भारत पर ही उनकी जीविका निर्भर है।

इसके साथ ही भारतीय सेना में भी नेपाल के लोगों की भर्ती होती है। वर्तमान में 32,000 गोरखा सैनिक भारतीय सेना में तैनात हैं और करीब 3000 करोड़ रुपए पेंशन के तौर पर हर साल करीब सवा लाख पूर्व गोरखा सैनिकों को दी जाती है।

विदेशों में काम कर रहे नागरिकों में सबसे ज्यादा लोग भारत में ही हैं क्योंकि दोनों देशों की सीमाएं एक-दूसरे के लिए खुली हुई हैं। जहां किसी तीसरे देश में काम करने के लिए नेपालियों को लेबर परमिट के लिए आवेदन करना पड़ता है, वहीं भारत में काम करने के लिए ऐसे किसी परमिट की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

भारत सरकार हर साल लगभग 3 हजार नेपाली छात्रों को स्कॉलरशिप देती है। इसके साथ ही भारत के संस्थानों में भारी संख्या में नेपाली पढ़ते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश से आने वाले छात्रों में 26 फीसदी नेपाली होते हैं। 

भारत के 6 लाख लोग नेपाल में रहते हैं

भारत सरकार की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में भारत के करीब 6 लाख लोग रहते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग बिजनेस के लिए नेपाल जाते हैं। सीमा से सटे इलाकों के कई ऐसे लोग भी हैं जो रहते तो भारत में हैं लेकिन उनकी जीविका नेपाल से चलती हैं। भारत की कई प्राइवेट और सरकारी कंपनियां भी नेपाल में काम करती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल के एफडीआई में 30 फीसदी हिस्सा भारत से आता है।

भारत के साथ सीमा व्यापार में नेपाल सबसे टॉप पर

भारत अपने 6 पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान के साथ कुल 90 हजार करोड़ रुपए का सीमा व्यापार करता है। जो भारत के कुल व्यापार का 1.56 फीसदी है। भारत जिन 6 पड़ोसी देशों से व्यापार करता है, उनमें नेपाल टॉप पर है। नेपाल के साथ भारत करीब 51 हजार करोड़ रुपए का सीमा व्यापार है। इसमें भारत नेपाल को 48 हजार करोड़ रुपए का निर्यात करता है और नेपाल से 3 हजार करोड़ रुपए का आयात करता है। 

नेपाल को सबसे ज्यादा रेमिटेंस भारत से मिलता है

पिछले वित्तीय वर्ष में नेपाल ने कुल 64 हजार करोड़ रुपए रेमिटेंस के रूप में प्राप्त किया था। इसमें से भारत से 12 हजार करोड़ रुपये रेमिटेंस (भारत में काम कर रहे नेपाली जो पैसा घर भेजते हैं) के तौर पर मिला। यह नेपाल को किसी भी देश से हासिल होने वाले रेमिटेंस में सबसे ज्यादा है।

विश्व बैंक की 2018 के रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में काम कर रहे नेपाली कामगारों ने एक साल में 9780 करोड़ रुपए नेपाल भेजे थे, जबकि नेपाल में काम कर रहे भारतीय कामगारों ने उसी दौरान क़रीब 11 हजार करोड़ रुपए भारत भेजा था।

मई 2018 में भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार नेपाल का दौरा किया था। तब उन्होंने जनकपुर से अयोध्या तक बस सेवा की शुरुआत की और रामायण सर्किट पर्यटन योजना से जनकपुर को जोड़ा। इस परियोजना में देश के 15 धार्मिक स्थलों को शामिल किया गया।

इनमें भारत में आने वाले स्थानों में उत्तर प्रदेश (अयोध्या, श्रृंगवेरपुर, चित्रकूट), बिहार (सीतामढ़ी, बक्सर, दरभंगा), पश्चिम बंगाल (नंदीग्राम), ओडिशा (महेंद्रगिरी), छत्तीसगढ़ (जगदलपुर), तेलंगाना (भद्राचलम), तमिलनाडु (रामेश्वरम), कर्नाटक (हंपी), महाराष्ट्र (नासिक, नागपुर), मध्य प्रदेश (चित्रकूट) को शामिल किया गया है।

2015 में नेपाल में भीषण भूकंप आया था। इस भूकंप में 9,000 लोगों की जान गई थी। भारत ने नेपाल को 233 करोड़ रुपए की मदद की।
2015 में नेपाल में भीषण भूकंप आया था। इस भूकंप में 9,000 लोगों की जान गई थी। भारत ने नेपाल को 233 करोड़ रुपए की मदद की।

भारत की तरफ से नेपाल को बड़ी मदद

हाल ही में कोरोना से निपटने के लिए भारत ने नेपाल को लगभग 23 टन जरूरी दवाइयां भेजी थी। इसके बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने ट्वीट कर मोदी का आभार जताया था। उन्होंने लिखा, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए नेपाल को 23 टन जरूरी दवाई दी है। आज भारतीय राजदूत द्वारा हमारे स्वास्थ्य मंत्री को दवाइयां सौंपी गईं।

अप्रैल, 2015 में नेपाल में भीषण भूकंप आया था। इस भूकंप में 9,000 लोगों की जान गई और 8000 घर तबाह हुए। भारत ने भूंकप की सूचना के कुछ ही घंटों के भीतर 16 एनडीआरएफ की टीम 38 एयरफोर्स के जहाज के साथ ही 571 टन राहत सामग्री नेपाल भेजा था।

पिछले साल भारत ने नेपाल को 233 करोड़ रुपए दिए ताकि वह भूकंप से तबाह हुए घरों को फिर से बना सके। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत नेपाल को 2015 के बाद अब तक कुल 281 करोड़ रुपए की मदद कर चुका है।

भारत सरकार की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत नेपाल को 752 एंबुलेंस और 148 स्कूल बस गिफ्ट कर चुका है। इसके साथ ही भारत ने नेपाल को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 2006-2007 में 750 करोड़ रुपए, 2011-12 में 1800 करोड़ और 2013-14 में 7500 करोड़ रुपए की मदद की थी।

कोरोना से निपटने के लिए भारत ने नेपाल को लगभग 23 टन जरूरी दवाइयां भेजी थी। इसके बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने ट्वीट कर मोदी का आभार जताया था।
कोरोना से निपटने के लिए भारत ने नेपाल को लगभग 23 टन जरूरी दवाइयां भेजी थी। इसके बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने ट्वीट कर मोदी का आभार जताया था।

भारत के बजट में हर साल नेपाल को दी जाने वाली मदद की धनराशि भी आवंटित होती है। साल 2019-20 के बजट में नेपाल को 1200 करोड़ रुपये की सहायता देने की बात कही गयी थी।

भारत-नेपाल खुली सीमा का फायद उठाते हैं अपराधी

भारत और नेपाल की सीमा खुली हुई है और दोनों देशों के नागरिक बिना पाबंदी के आ-जा सकते हैं। इसका फायदा बड़ी संख्या में अपराधी उठाते हैं। इनमें हथियार से लेकर नशीले पदार्थों और मानव तस्करी भी शामिल है। हाल ही में नेपाल ने 17 ऐसे बॉर्डर क्रॉसिंग को चिन्हित किया था, जहां से सबसे ज्यादा अपराध होता है। भारत के कई अपराधी जुर्म के बाद नेपाल फरार हो जाते हैं।

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