टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार को एक समय दुनिया के बेस्ट स्विंग बॉलर कहा जाता था। वे एक स्पेल में लगातार 7 से 8 ओवर की गेंदबाजी करते थे। पारी की शुरुआत में प्रवीण स्विंग की बदौलत विकेट निकालने में माहिर थे। लेकिन एक बार जब वे टीम इंडिया से बाहर हुए तो उनकी वापसी नहीं हो पाई। यहां तक कि वे डिप्रेशन में चले गए थे और आत्महत्या करना चाहते थे। प्रवीण ने भारत के लिए 6 टेस्ट, 68 वनडे और 10 टी20 मुकाबले खेले थे। उन्होंने 2012 में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था। डिप्रेशन और मेंटल हेल्थ को लेकर भारत में ज्यादा चर्चा नहीं होती है। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी इस बात को कह चुके हैं कि भारत में मेंटल हेल्थ को लेकर बात होनी चाहिए। टीम से बाहर होने के बाद प्रवीण धीरे-धीरे डिप्रेशन में चले गए। वे आईपीएल खेलते रहें, लेकिन अंदर ही अंदर अवसाद बढ़ता गया। प्रवीण ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘‘हरिद्वार जाते समय हाईवे पर वह अपनी ही रिवॉल्वर से जीवन समाप्त कर लेना चाहता था। लेकिन, कार में बच्चों की तस्वीर देखकर मैं ऐसा नहीं कर पाया था।’’ प्रवीण ने कहा था, ‘‘मैंने खुद से कहा, क्या है ये सब, बस खत्म करते हैं, लेकिन मैं अपने बच्चे की तस्वीर देखकर ऐसा नहीं कर पाया। मैं उन्हें नरक में नहीं छोड़ सकता था। मुझे अपना इरादा बदलना पड़ा। भारत में डिप्रेशन की अवधारणा ही कहां है। मेरठ में कोई इसके बारे में नहीं जानता। मेरे पास कोई नहीं था, जिससे मैं इसके बारे में बात करता। मैं लगातार चिड़चिड़ा होता गया।’’ प्रवीण आखिरी बार पेशेवर क्रिकेट आईपीएल में खेले थे। तब वे गुजरात लायंस की टीम में थे। प्रवीण ने भारत के लिए पहला मुकाबला 2007 में खेला था। पाकिस्तान के खिलाफ जयपुर वनडे में उन्हें पहली बार खेलने का मौका मिला। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2008 में मेलबर्न में अपना टी20 मुकाबला खेला था। फिर 2011 में उन्हें टेस्ट डेब्यू करने का मौका मिला। किंग्सटन में वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू किया। प्रवीण को किफायती गेंदबाज माना जाता था। वे रन लुटाने में कंजूस थे। इसलिए वनडे में उनका इकॉनमी रेट 5.13, टेस्ट में 2.59 और टी20 में 7.42 था। प्रवीण ने वनडे में एक अर्धशतकीय पारी खेली थी।