सचिन पायलट ने बीजेपी में जाने से किया इनकार लेकिन स्पीकर ने थमाया नोटिस

सचिन

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कांग्रेस के बाग़ी नेता सचिन पायलट ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा है कि वो बीजेपी में नहीं जाएंगे.

सचिन ने कहा कि 'उन्होंने कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए कड़ी मेहनत की थी.'

कांग्रेस के इस युवा बाग़ी नेता ने कहा कि 'राजस्थान में कुछ नेता उनके बीजेपी में शामिल होने की अफ़वाह उड़ा रहे हैं लेकिन वो ऐसा नहीं करने जा रहे.'

दूसरी तरफ़ राजस्थान विधानसभा के स्पीकर ने सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस भेजा है और 17 जुलाई तक जवाब मांगा है.

सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक सीएलपी की बैठक में नहीं आए थे और इसे लेकर राजस्थान सरकार के व्हिप चीफ़ महेश जोशी ने स्पीकर के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी.

सचिन पायलट ने पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा है कि वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज़ नहीं हैं.

सचिन ने इस इंटरव्यू में कहा, ''मैं उनसे नाराज़ नहीं हूं. मैं कोई विषेशाधिकार भी नहीं मांग रहा. हम सभी चाहते हैं कि कांग्रेस ने राजस्थान के चुनाव में जो वादा किया था उसे पूरा करे. हमने वसुंधरा राजे सरकार के ख़िलाफ़ अवैध खनन का मुद्दा उठाया था. सत्ता में आने के बाद गहलोत जी ने इस मामले में कुछ नहीं किया. बल्कि वो वसुंधरा के रास्ते पर ही बढ़ रहे हैं.''

सचिन पायलट ने इस इंटरव्यू में कहा है, ''पिछले साल राजस्थान हाई कोर्ट ने 2017 के वसुंधरा सरकार के उस संशोधन को ख़ारिज कर दिया था जिसमें उन्हें जयपुर में सरकारी बंगला हमेशा के लिए मिल गया था. गहलोत सरकार को बंगला उनसे ख़ाली करवाना चाहिए था लेकिन उन्होंने हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.''

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सचिन ने कहा, ''गहलोत बीजेपी की राह पर ही चल रहे हैं और उन्हें मदद कर रहे हैं. वो मुझे और मेरे समर्थकों को राजस्थान के विकास के लिए काम नहीं करने दे रहे हैं. नौकरशाहों से कह दिया गया है वो मेरे निर्देशों का पालन नहीं करें. फाइलें मेरे पास नहीं आती हैं. महीनों से कैबिनेट और सीएलपी की बैठक नहीं हुई है. उस पद का क्या मतलब है जिस पर रहकर मैं लोगों से किए वादों को ही पूरा नहीं कर सकता?''

सचिन ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा है, ''मैंने पूरे मामले को कई बार उठाया. मैंने राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे जी से कहा. सीनियर नेताओं से भी कहा. मैंने गहलोत जी से भी बात की. लेकिन इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ क्योंकि मंत्रियों और विधायकों की शायद ही कोई बैठक होती थी. मेरे आत्मसम्मान को चोट पहुंची है. प्रदेश की पुलिस ने सेडिशन के एक मामले में मुझे नोटिस भेजा है.''

''आप याद कीजिए कि कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में सेडिशन का क़ानून हटाने का वादा किया था और यहां कांग्रेस की सरकार अपने ही मंत्री के ख़िलाफ़ इस क़ानून का इस्तेमाल कर रही है. मेरा यह क़दम अन्याय के ख़िलाफ़ है. पार्टी का व्हिप तब वैध होता है जब विधानसभा चल रही होती है. मुख्यमंत्री ने विधायक दल की बैठक अपने घर पर बुलाई. कम से कम यह बैठक पार्टी मुख्यालय में ही बुला लेते.''

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