राजस्थान संकट: अशोक गहलोत ने कहा- बीजेपी छह महीने से कर रही थी साज़िश
सचिन पायलट को कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री पद से हटा दिया है. साथ ही पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है.
पार्टी ने सचिन पायलट की जगह राजस्थान सरकार में वर्तमान शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निवास पर शाम साढ़े सात बजे राज्य मंत्रीमंडल की बैठक होगी. इसके बाद आठ बजे से काउंसिल ऑफ़ मिनिस्टर्स की बैठक होगी.
इससे पहले राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि बीजेपी के मंसूबे पूरे नहीं होंगे. बीजेपी छह महीने सरकार गिराने की साजिश कर रही थी.
अशोक गहलोत ने कहा, "मजबूरी में आकर हमने अपने तीन साथियों को हटाया है. हमने किसी की शिकायत नहीं की. खुशी किसी को नहीं है, कांग्रेस हाईकमान को भी खुशी नहीं है."
उन्होंने कहा कि "हमने लगातार उन्हें मौका दिया है, हमने मंगलवार की बैठक भी इसलिए बुलाई कि वे लोग इसमें शामिल हो सकें. लेकिन वे लोग लगातार फ्लोर टेस्ट कराने की मांग कर रहे हैं, अब बताइए कांग्रेस का कोई विधायक ऐसी मांग कर सकता है."
उधर उप मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद पहली प्रतिक्रिया सचिन पायलट ने दी. उन्होंने ट्वीट किया है, "सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं." उन्होंने अपने ट्विटर प्रोफ़ाइल में भी बदलाव किया है.
उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के युवा नेता जितिन प्रसाद ने इस पूरे प्रकरण को दुखद बताते हुए ट्वीट किया है, "सचिन पायलट मेरे दोस्त हैं. वे इतने सालों से पार्टी के लिए निष्ठा से काम कर रहे थे, ये तथ्य कोई नहीं उनसे छीन सकता. उम्मीद है कि स्थिति अभी भी संभल सकती है लेकिन यहां तक पहुंचना दुखद है."
सचिन पायलट के समर्थक माने जा रहे विश्वेंद्र सिंह को भी मंत्री पद से हटाया गया है. उन्होंने ट्वीट किया है, "मैं बोलता हूं तो इल्ज़ाम है बग़ावत का, मैं चुप रहूं तो बड़ी बेबसी सी होती है...!"
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वहीं राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि "मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले फ्लोर टेस्ट कराए बाद में मंत्रिमंडल का विस्तार करें."
उधर बीजेपी के नेता शाहनवाज़ हुसैन ने कहा है कि कांग्रेस में जनाधार वाले नेताओं को परेशान किया जा रहा है.
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हुसैन ने कहा, "राजस्थान के अंदर कांग्रेस दो धड़े में बंट गई है. एक कांग्रेस पार्टी के साथ है और एक परिवार के साथ है. जो जनाधार वाले नेता हैं जो राहुल गांधी के लिए भविष्य में ख़तरा बन सकते हैं, उन सबके पर कतरे कैसे जाएं, उन्हें प्रताड़ित कैसे किया जाए, उन्हें अपमानित कैसे किया जाए, ये कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर होता है."
"राजस्थान में भी जब चुनाव हुआ था तो चुनाव सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया. चुनाव के बाद उन्हें जिस तरह से किनारे किया गया, उससे बहुत बड़ी तादाद में विधायक नाराज़ हैं. ये कांग्रेस का अंदरूनी मामला है, भारतीय जनता पार्टी स्थिति पर नज़र रखे हुए है."
सचिन पायलट के साथ खड़े राजस्थान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष मुकेश भाकर के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की गई है. भाकर राजस्थान के लाडनूं विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी हैं. उन्हें हटाकर पार्टी ने गणेश घोघरा को राजस्थान यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया है.
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार मोहर सिंह मीणा ने बताया है कि 'राजस्थान में बुधवार (कल) को मंत्रिमंडल में फ़ेरबदल होगा.'
पार्टी ने एक्शन लेने के बाद क्या कहा?
जयपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "धन बल और सत्ता बल के दुरुपयोग से, ईडी और आयकर विभाग का दुरुपयोग करके विधायकों को ख़रीदने का नाक़ाबिल-ए-माफ़ी जुर्म किया है."
उन्होंने कहा कि "राजस्थान के विधायकों को ख़रीदने की साज़िश की जा रही थी, हमें अफ़सोस है कि हमारे युवा साथी, उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके साथी दिग्भ्रमित होकर कांग्रेस की सरकार गिराने की बीजेपी की साज़िश में शामिल हो गए."
उन्होंने हरियाणा सरकार पर इस काम में मदद करने का आरोप लगाते हुए कहा कि "मनोहर लाल खट्टर की पुलिस की सुरक्षा में, मानेसर के एक फ़ाइव स्टार होटल में विधायकों को क़ैद किया गया. ये बीजेपी की सरकार को गिराने और आठ करोड़ राजस्थानियों के स्वाभिमान को चुनौती देने का मामला है."
सुरजेवाला ने कहा कि "कांग्रेस के आला नेतृत्व ने सचिन पायलट और दूसरे साथी मंत्रियों, विधायकों से संपर्क करने की लगातार कोशिश की, कांग्रेस के नेताओं ने सचिन पायलट से अनेक बार संपर्क किया लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि इन संपर्कों का क्या नतीजा निकला या क्या बातचीत हुई."
'सचिन जितना प्यार किसी को नहीं मिला'
सुरजेवाला ने कहा, "सोनिया जी और राहुल जी की ओर से अपील की गई कि सभी दरवाज़े खुले हैं, वापस आइये, परिवार के सदस्य की तरह मतभेद सुलझाएंगे."
पायलट को दी गई राजनीतिक तवज्जो के बारे में सुरजेवाला ने कहा, "जो ताक़त, जो सम्मान, जो स्थान सचिन पायलट को मिला है वह शायद किसी को नहीं मिला. 26 साल की उम्र में सांसद, 32 साल में मंत्री और 34 की उम्र में प्रदेश अध्यक्ष और अब 40 की उम्र में उप-मुख्यमंत्री. 17-18 साल के अंतराल में इतनी तरक्की का मतलब है कि सोनिया गांधी का स्नेह उनके साथ रहा. इसलिए उन्हें इतनी ताक़त दी गई."
उन्होंने जहाँ एक ओर ये कहा कि 'परिवार का सदस्य, सुबह का भूला शाम को घर आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते', साथ ही 'बहुत दुखी मन से' सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को उनके पदों से हटाने की घोषणा कर दी.
सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से हटाने के अलावा रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को भी मंत्री पद से हटा दिया गया है.
जयपुर में मौजूद बीबीसी के सहयोगी पत्रकार मोहर सिंह मीणा ने बताया है कि विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने पहुँचे हैं.
बैठक में क्या हुआ?
सोमवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पायलट से अपील की थी कि 'वे मंगलवार को होने वाली दूसरी बैठक में ज़रूर शामिल हों', पर सचिन पायलट बैठक में नहीं पहुँचे थे.
जयपुर शहर के उत्तर में स्थित होटल फ़ेयरमाउंट में मंगलवार सुबह 11 बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक शुरू हुई थी. इस बैठक से सचिन पायलट गुट के सभी विधायक नदारद रहे.
विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान कांग्रेस के इंचार्ज अविनाश पांडे, पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला के अलावा वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल और अजय माकन भी शामिल थे.
विधायकों की बैठक में पायलट के ख़िलाफ़ कार्रवाई प्रस्ताव पारित किया गया और सभी विधायकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इस प्रस्ताव का स्वागत किया था.
सचिन पायलट ने सोमवार शाम को कहा था कि 'उनका राहुल गांधी से मुलाक़ात करने का कोई विचार नहीं है. एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने साफ़ कर दिया था कि 'वे पार्टी की मनाने की कोशिशों से दूर हैं.'
मंगलवार सुबह, विधायक दल की बैठक से पहले राजस्थान कांग्रेस के इंचार्ज अविनाश पांडे ने कहा था, "हम सचिन पायलट को दूसरा मौक़ा दे रहे हैं. उनसे कहा गया है कि वे पार्टी की बैठक में आएं. हम उम्मीद करते हैं कि वे आयेंगे और राजस्थान के लोगों के मतों का सम्मान रखेंगे."
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विधायकों के वीडियो
सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने व्हिप जारी कर अपने सरकारी आवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई थी जिसके बाद सभी विधायकों को मुख्यमंत्री आवास से बसों के ज़रिये होटल फ़ेयरमाउंट भेज दिया गया था.
मंगलवार सुबह होटल से एक वीडियो जारी किया गया जिसमें राजस्थान के कैबिनेट मंत्री बीडी कल्ला, विधायक राम नारायण मीणा, हाकम अली और गोपाल मीणा वर्जिश करते हुए दिखते हैं.
इससे पहले सचिन पायलट के दफ़्तर ने हरियाणा से एक वीडियो जारी किया था जिसमें राजस्थान कांग्रेस के विधायक इंद्र राज गुर्जर, पीआर मीणा, जीआर खटाना और हरीश मीणा कुछ अन्य सदस्यों के साथ बैठे हुए दिखते हैं.
बताया गया था कि ये वीडियो मानेसर (हरियाणा) के किसी होटल का है.
पायलट के एक क़रीबी सूत्र ने बीबीसी को बताया था कि लाडनूं क्षेत्र के विधायक और राजस्थान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष मुकेश भाकर भी सचिन पायलट के साथ हैं.
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सीटों का गणित - किसके पास कितने विधायक?
पायलट की बग़ावत के बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास सरकार चलाने के लिए बहुमत तो है, मगर कुछ लोगों के हेरफेर से ही उनकी सरकार मुसीबत में आ सकती है.
गहलोत समर्थकों का दावा है कि 'उनकी टीम में 106 विधायक हैं' जो राजस्थान में बहुमत के लिए ज़रूरी नंबर 101 से पाँच अधिक हैं. राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं.
पायलट खेमे ने सोमवार को मुख्यमंत्री गहलोत को 106 विधायकों के समर्थन वाली बात पर शंका ज़ाहिर की थी.
उन्होंने कहा था, 'यदि उनके पास 106 विधायक हैं तो उनके पास संख्याबल है. ऐसे में उन्हें विधायकों को एक होटल में बंद करके रखने की क्या ज़रूरत है?'
बहरहाल, मंगलवार को हुई बैठक में अशोक गहलोत के समर्थकों की संख्या 102 रही.
कांग्रेस के पास अब तक 122 विधायकों का समर्थन था, इनमें 107 कांग्रेसी और 15 निर्दलीय विधायक थे. लेकिन सचिन पायलट की बग़ावत से ये गणित बिगड़ गया.
बताया गया कि राजस्थान सरकार के दो कैबिनेट मंत्री - विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा दिल्ली में बैठकर सचिन की जीत पर दाँव लगा रहे थे. दोनों नेताओं पर अब कांग्रेस पार्टी ने कार्रवाई की है.
बीते एक सप्ताह में जो टूट हुई है, उसके बाद अशोक गहलोत के पास 102 विधायकों का स्पष्ट समर्थन हो सकता है जिनमें 90 कांग्रेसी, 7 निर्दलीय और 5 छोटी पार्टियों के विधायक शामिल हैं.
यहाँ ये छोटी पार्टियाँ हैं - सीपीएम, बीटीपी और आरएलडी. पर भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) की भूमिका यहाँ अचानक से बड़ी हो गई है.
सोमवार को बीटीपी ने कहा था कि उसके विधायक न्यूट्रल रहें यानी वे स्पष्ट ना करें कि वो सचिन की तरह हैं या गहलोत की तरफ. लेकिन बाद में कांग्रेस पार्टी ने कहा कि बीटीपी के दोनों विधायक सरकार के साथ हैं.
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