विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत, यूपी पुलिस का दावा
उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि कानपुर मुठभेड़ के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई है. डॉक्टरों ने बताया कि अस्पताल लाने से पहले ही विकास दुबे की मौत हो चुकी थी.
कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर आरबी कमल ने पत्रकारों से कहा,"विकास दुबे को चार गोलियाँ लगी थीं. तीन गोली सीने में और एक हाथ में. विकास दुबे को मरी हुई हालत में लाया गया था."
उन्होंने बताया कि मुठभेड़ में तीन सिपाही घायल हुए हैं जिन्हें मल्टीपल इंजरी हुई है. दो पुलिसकर्मियों को गोली छूकर निकल गई है और उनकी स्थिति स्थिर है.
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इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया था कि प्रदेश की स्पेशल टास्क फ़ोर्स की एक टुकड़ी विकास दुबे को उज्जैन से सड़क के रास्ते कानपुर लेकर जा रही थी जब गाड़ी पलट गई.
पुलिस के मुताबिक़ इसके बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी जिसमें अभियुक्त की मौत हो गई.
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कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने विकास दुबे के मारे जाने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि चार पुलिस कर्मी भी घायल हुए हैं जिनका कानपुर के सीएचसी अस्पताल (कम्युनिटी हेल्थ सेन्टर या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में उनका इलाज चल रहा है.
उन्होंने बताया कि घटना का पूरा ब्यौरा देने के लिए पुलिस प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी और तभी सबकुछ बताया जाएगा.
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि कानून ने अपना काम किया है.
उन्होंने इस मुठभेड़ पर सवाल उठाने वाले लोगों पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा,"अफ़सोस और मातम की बात उन लोगों के लिए होगी जो कल कह रहे थे कि ज़िंदा क्यों पकड़ा और आज कह रहे हैं कि मर क्यों गया. कई राज़ दफ़न हो गए. ये वो लोग हैं जो कल कुछ और कह रहे थे और आज कुछ और."
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला समेत कई राजनेताओं ने विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत पर सवाल उठाए हैं.
गाड़ी पलटने के बाद की भागने की कोशिशः पुलिस
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार समीरात्मज मिश्र के अनुसार कानपुर पुलिस की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में घटना के बारे में ये जानकारी दी गई है -
"विकास दुबे को मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद पुलिस व एसटीएफ़ टीम आज दिनांक 10.07.2020 को कानपुर नगर लाया जा रहा था. कानपुर नगर भौंती के पास पुलिस का उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गया, जिससे उसमें बैठे अभियुक्त व पुलिसजन घायल हो गए. इसी दौरान अभियुक्त विकास दुबे ने घायल पुलिसकर्मी की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश की."
"पुलिस टीम द्वारा पीछा कर उसे घेर कर आत्मसमर्पण करने हेतु कहा गया किन्तु वह नहीं माना और पुलिस टीम पर जान से मारने की नीयत से फ़ायर करने लगा. पुलिस द्वारा आत्मरक्षार्थ जवाबी फायरिंग की गयी, विकास दुबे घायल हो गया, जिसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान अभियुक्त विकास दुबे की मृत्यु हो गई."
इससे पहले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार सुबह कानपुर मुठभेड़ के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे को उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फ़ोर्स उज्जैन से सड़क के रास्ते कानपुर लेकर जा रही थी. कानपुर पहुंचने के रास्ते में ही काफ़िले की एक गाड़ी पलट गई.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि गाड़ी पलटने से कुछ पुलिस कर्मी घायल हुए थे और उन्हीं घायल पुलिस कर्मियों का पिस्तौल लेकर वो भागने की कोशिश कर रहा था.
इसके बाद पुलिस ने अभियुक्त को घेर लिया, उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया लेकिन उसने गोली चलानी शुरू कर दी. जवाब में पुलिस ने भी फ़ायरिंग की. हालांकि विकास को कितनी गोलियां लगी हैं, इसकी कोई जानकारी उन्होंने नहीं दी.
इसके बाद विकास दुबे को स्ट्रेचर पर घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया. पुलिस के अनुसार बाद में डॉक्टरों ने अभियुक्त की मौत की पुष्टि की.
कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे को मध्य प्रदेश पुलिस ने गुरुवार नौ जुलाई को उज्जैन से गिरफ़्तार किए जाने के बाद कानपुर लाया जा रहा था.
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक़ कानपुर ज़िले में एक सर्किल ऑफ़िसर समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में पुलिस विकास दुबे को छह दिनों से तलाश कर रही थी.
कानपुर मुठभेड़, 8 पुलिसकर्मियों की मौत
2-3 जुलाई की रात को कानपुर ज़िले के थाना चौबेपुर में पड़ने वाले बिकरु गाँव में विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस पर हमला हुआ था जिसमें एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे.
इस घटना ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया था और उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए ये मामला प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था.
यूपी पुलिस का कहना है कि राहुल तिवारी नाम के एक शख़्स ने विकास दुबे के ख़िलाफ़ धारा-307 के तहत मुक़दमा दर्ज कराया था जिसके बाद पुलिस दुबे के घर गई थी.
कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बीबीसी को बताया था कि जिस मामले में पुलिस विकास दुबे के यहां दबिश डालने गई थी वह भी हत्या से जुड़ा मामला था जिसकेअभियुक्तों में विकास दुबे का भी नाम है.
विकास दुबे के ख़िलाफ़ पहले भी कई मामले दर्ज रहे हैं. चौबेपुर थाने में दर्ज मुक़दमों के आधार पर कहा जा सकता है कि पिछले क़रीब तीन दशक से अपराध की दुनिया से विकास दुबे का नाम जुड़ा रहा है, कई बार गिरफ़्तारी भी हुई लेकिन किसी मामले में सज़ा नहीं मिल सकी.
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