पीएम मोदी ने लेह में नहीं लिया चीन का नाम, लेकिन चीनी दूतावास ने दिया जवाब

नरेंद्र मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह अचानक से लेह पहुंचे और उन्होंने वहां सीमा पर तैनात सैनिकों को संबोधित किया.

उन्होंने अपने संबोधन में कहा है कि 14 कोर की जांबाजी के किस्से हर तरफ़ हैं. दुनिया ने आपका अदम्य साहस देखा है. आपकी शौर्य गाथाएं घर-घर में गूंज रही है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवानों से कहा, "आपकी इच्छाशक्ति हिमालय की तरह मज़बूत और दृढ़ है, पूरे देश पर आपको गर्व है." उन्होंने बताया कि सीमावर्ती इलाकों पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर खर्च बढ़ाकर तीन गुना कर दिया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेह में जवानों को संबोधित करते हुए चीन का नाम लिए बिना कहा कि विस्तारवाद का युग ख़त्म हो चुका है.

मोदी

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पीएम ने कहा, "विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है और अब विकासवाद का दौर है. तेज़ी से बदल रहे समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है. बीती सदी में विस्तारवाद ने ही मानव जाति का विनाश किया. अगर किसी पर विस्तारवाद की ज़िद सवार हो तो हमेशा वह विश्व शांति के लिए ख़तरा होता है."

नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. चीनी दूतावास की प्रवक्ता जी रोंग ने ट्वीट करते हुए कहा, "चीन के 14 पड़ोसियों में से 12 के साथ शांतिपूर्ण बातचीत के आधार पर सीमा का निर्धारण हुआ है और इसने ज़मीनी सीमा को दोस्ताना सहयोग के बंधन में बांध दिया है. चीन का उसके पड़ोसियों के साथ मतभेद को बढ़ा-चढ़ा कर, मनगढ़ंत तरीक़े से पेश करना और उसे विस्तारवादी के रूप में देखना आधारहीन है."

भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने सेना के जवानों से कहा कि आप जो सेवा करते हैं उसका मुक़ाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता.

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इससे पहले पीएम मोदी अचानक लेह पहुंचे. भारत के सरकारी न्यूज़ प्रसारक प्रसार भारती ने ट्वीट कर कहा है, ''प्रधानमंत्री मोदी अभी निमु में हैं. वो आज ही सुबह पहुंचे हैं. पीएम सेना के जवानों, एयर फोर्स और आईटीबीपी से बात कर रहे हैं.''

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प्रसार भारती के अनुसार, पीएम अभी जहां हैं वो 11 हज़ार फीट की ऊंचाई पर है. यह इलाक़ा ज़ंस्कर रेंज से घिरा है. प्रधानमंत्री को अधिरारियों ने पूरे हालात की जानकारी दी. इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लेह जाने वाले थे लेकिन उनका दौरा गुरुवार को रद्द हो गया था और शुक्रवार को ख़ुद प्रधानमंत्री ही पहुंच गए.

प्रधानमंत्री मोदी के साथ सेना प्रमुख जनरल नरवणे और सीडीएस बिपिन रावत भी हैं.

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प्रधानमंत्री के इस दौरे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा, ''भारतीय सेना के रहते देश की सीमाएँ हमेशा सुरक्षित रही हैं. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आज लद्दाख़ जाकर सेना के जवानों से भेंट करके उनका उत्साहवर्धन करने से निश्चित रूप से सेना का मनोबल और ऊँचा हुआ है. मैं प्रधानमंत्री जी के इस क़दम की सराहना करते हुए उन्हें धन्यवाद देता हूँ.''

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने भी ट्वीट करके कहा है कि पीएम मोदी के इस दौरे सेना का मनोबल बढ़ेगा.

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इस बीच अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारत-चीन सीमा पर तनाव के लिए चीनी आक्रामकता ज़िम्मेदार ठहराया है. बुधवार को व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी केली मैकेनी ने अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप के हवाले से कहा, ''भारत के साथ सीमा पर चीन की आक्रामकता चीन के व्यापक पैटर्न का हिस्सा है. चीन की यह आक्रामकता केवल भारत के साथ ही नहीं है बल्कि कई हिस्सों में है. इससे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का असली चेहरा पता चलता है.''

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इस पहले अमरीका पूरे विवाद पर तटस्थ दिख रहा था लेकिन इस बयान में चीनी आक्रामकता का ज़िक्र किया गया है. ट्रंप के इस बयान को अमरीका और भारत के क़रीब होते संबंध के तौर पर भी देखा जा रहा है.

ट्रंप ने तो पिछले महीने फॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वो चीन से सारे संबंधों को ख़त्म कर लें तो इससे अमरीका को फ़ायदा होगा. एक जुलाई को राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था, ''दुनिया भर में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता देख मेरा चीन पर ग़ुस्सा बढ़ने लगता है. इससे अमरीका को भारी नुक़सान हुआ है.''

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चीन एक साथ कई चीज़ें कर रहा है. उसने हॉन्ग कॉन्ग के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून पास किया है. इस क़ानून का अमरीका, ब्रिटेन समेत पश्चिम के कई देश विरोध करते रहे लेकिन चीन ने किसी की नहीं सुनी.

इस क़ानून के पास होने के बाद हॉन्ग कॉन्ग की स्वायत्तता बचेगी या नहीं इस पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. दक्षिण चीन सागर में भी चीन पर आक्रामकता और सैन्य निर्माण के आरोप लग रहे हैं. इसके साथ ताइवान की सरकार के साथ भी चीन की खटपट चल रही है. वीगर मुसलमानों के साथ चीन में जुल्म के गंभीर आरोप हैं और अमरीका इन सब पर भीलगातार खुलकर बोल रहा है.

वीडियो कैप्शन, भारत-चीन विवाद: गलवान घाटी, लद्दाख, डेपसांग और फिंगर एरिया को कितना जानते हैं आप?

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