यूपी: कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को क्यों नहीं मिल पा रही है ज़मानत

  • समीरात्मज मिश्र
  • बीबीसी हिंदी के लिए
अशोक कुमार लल्लू

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उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की रिहाई को लेकर कांग्रेस नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मिलने गया और उनसे अजय कुमार लल्लू के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे वापस लेने और उन्हें रिहा करने की माँग की. इससे पहले, अजय कुमार लल्लू की ज़मानत अर्ज़ी निचली अदालत ने ख़ारिज कर दी थी.

राज्यपाल से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा मोना का कहना था कि अजय कुमार लल्लू को षड्यंत्र के तहत फँसाया गया है और जानबूझकर अदालती कार्रवाई में देरी की जा रही है. पार्टी का आरोप है कि प्रदेश अध्यक्ष से कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को मिलने भी नहीं दिया जा रहा है.

अजय कुमार लल्लू प्रवासी श्रमिकों को कांग्रेस की बसों से भेजे जाने के मामले में पिछले क़रीब दो हफ़्ते से लखनऊ की जेल में बंद हैं. पहले उन्हें 20 मई को आगरा में अवैध रूप से धरना-प्रदर्शन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जहां उन्हें उसी दिन ज़मानत मिल गई. लेकिन उसके तुरंत बाद उन्हें लखनऊ पुलिस ने बसों की सूची में कथित तौर पर फ़र्जीवाड़े के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया.

बुधवार को एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में यह कहकर उनकी ज़मानत की अर्जी ख़ारिज कर दी गई कि मामला गंभीर है और इसमें अभी और जांच की ज़रूरत है. ऐसी स्थिति में ज़मानत नहीं दी जा सकती. अजय कुमार लल्लू की ज़मानत अर्जी इससे पहले 26 मई को भी ख़ारिज कर दी गई थी.

हालांकि क़ानूनी जानकारों का कहना है कि जिन धाराओं में उनके ख़िलाफ़ मुक़दमे दर्ज हैं, उनमें ज़मानत आसानी से मिल जाती है. विश्वनाथ चतुर्वेदी सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और कांग्रेस पार्टी के नेता भी हैं. उनका कहना है कि अजय कुमार लल्लू की ज़मानत क़ानूनी पेंचीदगियों की वजह से नहीं बल्कि राजनीतिक वजहों से नहीं हो पा रही है. विश्वनाथ चतुर्वेदी का दावा है कि हाईकोर्ट इन मामलों में अजय कुमार लल्लू को तत्काल ज़मानत दे देगा.

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बीबीसी से बातचीत में विश्वनाथ चतुर्वेदी कहते हैं, "उनके ख़िलाफ़ मुक़दमे में जो धाराएं लगाई हैं उनमें सिर्फ़ तीन ही ऐसी हैं जिनमें सात साल के ऊपर की सज़ा है. बसों के बारे में फ़र्जीवाड़े के जो आरोप हैं वो इतने गंभीर नहीं हैं कि उनमें ज़मानत ही न हो. जो बसें भेजी गई थीं, वो संख्या में कम-ज़्यादा हो सकती हैं, कुछ के कागज़ में ग़लती हो सकती है, लेकिन इसे फ़र्जीवाड़ा नहीं कहा जा सकता. उन्होंने वही सूची उपलब्ध कराई जो राजस्थान सरकार के परिवहन विभाग ने उन्हें दी थी. दरअसल, ट्रायल कोर्ट ने ज़मानत की रिस्क लेने की हिम्मत ही नहीं जुटाई. हाईकोर्ट से उन्हें आसानी से ज़मानत मिल जाएगी."

हाईकोर्ट में अपील करेगी कांग्रेस

निचली कोर्ट से अजय कुमार लल्लू की ज़मानत अर्जी ख़ारिज करने के बाद अब कांग्रेस पार्टी ज़मानत के लिए हाईकोर्ट में अपील करने जा रही है. पार्टी नेताओं का कहना है कि गुरुवार को हाईकोर्ट में अपील की जाएगी लेकिन इस बीच पार्टी नेताओं ने इस मामले में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से हस्तक्षेप करने की मांग की.

कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा मोना का कहना था कि राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि वो इस मामले में सरकार में चर्चा करेंगी. बीबीसी से बातचीत में आराधना मिश्रा मोना कहती हैं, "बात ज़मानत होने न होने की नहीं है बल्कि बात यह है कि यह मुक़दमा ही ग़लत है. राजस्थान परिवहन विभाग ने वेरिफ़ाई करके बसों की सूची सौंपी थी. उसके लिए प्रदेश अध्यक्ष के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करना सीधे तौर पर राजनीतिक विद्वेष के तहत एक साज़िश है. जानबूझकर जेल में इतने दिनों से उन्हें डाला हुआ है. कभी केस डायरी नहीं पहुंच रही है, कभी जांच अधिकारी नहीं पहुंच रहे हैं. सरकारी स्तर पर कोई न कोई बहाना बनाया जा रहा है."

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लेकिन राजनीतिक विद्वेष की बात को भारतीय जनता पार्टी सिरे से नकारती है. पार्टी के प्रदेश महामंत्री विद्यासागर सोनकर कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी का उत्तर प्रदेश में कोई वजूद ही नहीं बचा है, राजनीतिक विद्वेष किस बात का होगा. विद्यासागर सोनकर कहते हैं, "सरकार किसी के ख़िलाफ़ भी राजनीतिक विद्वेष से काम नहीं कर रही है लेकिन इस कोरोना आपदा के समय जो भी नियम-क़ानून का उल्लंघन करेगा उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी. आज दुनिया मोदी जी के नेतृत्व में कोरोना से लड़ने के लिए हो रहे प्रयासों की सराहना कर रही है. ऐसी स्थिति में कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए अनावश्यक अवरोध पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को राजनीतिक विद्वेष कहना ग़लत है."

इस बीच, कांग्रेस पार्टी के नेता और कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष की रिहाई के लिए राज्य भर में आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं. कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने भी अजय कुमार लल्लू की गिरफ़्तारी पर सवाल उठाए हैं.

कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने पिछले महीने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर श्रमिकों के लिए एक हज़ार बसें भेजने की अनुमति मांगी थी. राज्य सरकार ने दो दिन बाद यह अनुमति दे दी. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू राजस्थान सीमा पर खड़ी बसों को यूपी सरकार के अधिकारियों को हैंडओवर कराने आगरा गए थे.

मामले पर राजनीति का रंग

लेकिन बसों को यूपी में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली जिसका प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू विरोध करने लगे. पुलिस ने लल्लू के ख़िलाफ़ आगरा में लॉकडाउन उल्लंघन और लखनऊ में धोखाधड़ी का मामला दर्ज करा दिया गया. लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं कि इस मामले में क़ानूनी दांव-पेंच जैसा कुछ नहीं है, यह पूरा मामला राजनीतिक है.

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सुभाष मिश्र के मुताबिक, "दरअसल, बीजेपी जानबूझकर कांग्रेस पार्टी को व्यस्त रखना चाहती है ताकि विरोधी पक्ष और बीजेपी से नाराज़ वर्ग में एक भ्रम की स्थिति बनी रहे. बस के मामले में जो राजनीति हुई, वह भी बिल्कुल ग़ैर-ज़रूरी थी लेकिन बीजेपी सरकार ने उसे होने दिया. बीजेपी लोगों में ये संदेश देना चाहती है कि राज्य में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की बजाय कांग्रेस पार्टी है और आम जनता में ऐसा संदेश जाने में बीजेपी को फ़ायदा है. जिस एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में पल भर में नेताओं को ज़मानत मिल जा रही है, वही कोर्ट इस मामले को ज़मानत लायक़ न समझे, इसमें आश्चर्य है."

सुभाष मिश्र इस प्रकरण में बीजेपी की अंदरूनी राजनीति भी देखते हैं. वो कहते हैं, "इस पूरे प्रकरण में बीजेपी का एक वर्ग ऐसा भी है जो कि बस राजनीति को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्य प्रणाली का अंदर ही अंदर विरोध कर रहा है. इस वर्ग का यह कहना है कि बस वाले मामले को स्वीकृति देकर सरकार ने कांग्रेस को अनावश्यक राजनीतिक जगह दी. अपनी उस ग़लती को और विरोधियों को चुप कराने के लिए भी सरकार कांग्रेस को लेकर कुछ ज़्यादा ही आक्रामक है."

सवाल और जवाब

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आपके सवाल

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    कोरोना वायरस एक संक्रामक बीमारी है जिसका पता दिसंबर 2019 में चीन में चला. इसका संक्षिप्त नाम कोविड-19 है

    सैकड़ों तरह के कोरोना वायरस होते हैं. इनमें से ज्यादातर सुअरों, ऊंटों, चमगादड़ों और बिल्लियों समेत अन्य जानवरों में पाए जाते हैं. लेकिन कोविड-19 जैसे कम ही वायरस हैं जो मनुष्यों को प्रभावित करते हैं

    कुछ कोरोना वायरस मामूली से हल्की बीमारियां पैदा करते हैं. इनमें सामान्य जुकाम शामिल है. कोविड-19 उन वायरसों में शामिल है जिनकी वजह से निमोनिया जैसी ज्यादा गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं.

    ज्यादातर संक्रमित लोगों में बुखार, हाथों-पैरों में दर्द और कफ़ जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं.

    कोरोना वायरस के अहम लक्षणः ज्यादा तेज बुखार, कफ़, सांस लेने में तकलीफ़

    लेकिन, कुछ उम्रदराज़ लोगों और पहले से ह्दय रोग, डायबिटीज़ या कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ रहे लोगों में इससे गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा रहता है.

  • एक बार आप कोरोना से उबर गए तो क्या आपको फिर से यह नहीं हो सकता? बाइसेस्टर से डेनिस मिशेल सबसे ज्यादा पूछे गए सवाल

    जब लोग एक संक्रमण से उबर जाते हैं तो उनके शरीर में इस बात की समझ पैदा हो जाती है कि अगर उन्हें यह दोबारा हुआ तो इससे कैसे लड़ाई लड़नी है.

    यह इम्युनिटी हमेशा नहीं रहती है या पूरी तरह से प्रभावी नहीं होती है. बाद में इसमें कमी आ सकती है.

    ऐसा माना जा रहा है कि अगर आप एक बार कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं तो आपकी इम्युनिटी बढ़ जाएगी. हालांकि, यह नहीं पता कि यह इम्युनिटी कब तक चलेगी.

    यह नया वायरस उन सात कोरोना वायरस में से एक है जो मनुष्यों को संक्रमित करते हैं.
  • कोरोना वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड क्या है? जिलियन गिब्स

    वैज्ञानिकों का कहना है कि औसतन पांच दिनों में लक्षण दिखाई देने लगते हैं. लेकिन, कुछ लोगों में इससे पहले भी लक्षण दिख सकते हैं.

    कोविड-19 के कुछ लक्षणों में तेज बुख़ार, कफ़ और सांस लेने में दिक्कत होना शामिल है.

    वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि इसका इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिन तक का हो सकता है. लेकिन कुछ शोधार्थियों का कहना है कि यह 24 दिन तक जा सकता है.

    इनक्यूबेशन पीरियड को जानना और समझना बेहद जरूरी है. इससे डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को वायरस को फैलने से रोकने के लिए कारगर तरीके लाने में मदद मिलती है.

  • क्या कोरोना वायरस फ़्लू से ज्यादा संक्रमणकारी है? सिडनी से मेरी फिट्ज़पैट्रिक

    दोनों वायरस बेहद संक्रामक हैं.

    ऐसा माना जाता है कि कोरोना वायरस से पीड़ित एक शख्स औसतन दो या तीन और लोगों को संक्रमित करता है. जबकि फ़्लू वाला व्यक्ति एक और शख्स को इससे संक्रमित करता है.

    फ़्लू और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं.

    • बार-बार अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं
    • जब तक आपके हाथ साफ न हों अपने चेहरे को छूने से बचें
    • खांसते और छींकते समय टिश्यू का इस्तेमाल करें और उसे तुरंत सीधे डस्टबिन में डाल दें.
  • आप कितने दिनों से बीमार हैं? मेडस्टोन से नीता

    हर पांच में से चार लोगों में कोविड-19 फ़्लू की तरह की एक मामूली बीमारी होती है.

    इसके लक्षणों में बुख़ार और सूखी खांसी शामिल है. आप कुछ दिनों से बीमार होते हैं, लेकिन लक्षण दिखने के हफ्ते भर में आप ठीक हो सकते हैं.

    अगर वायरस फ़ेफ़ड़ों में ठीक से बैठ गया तो यह सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया पैदा कर सकता है. हर सात में से एक शख्स को अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है.

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मेरी स्वास्थ्य स्थितियां

आपके सवाल

  • अस्थमा वाले मरीजों के लिए कोरोना वायरस कितना ख़तरनाक है? फ़ल्किर्क से लेस्ले-एन

    अस्थमा यूके की सलाह है कि आप अपना रोज़ाना का इनहेलर लेते रहें. इससे कोरोना वायरस समेत किसी भी रेस्पिरेटरी वायरस के चलते होने वाले अस्थमा अटैक से आपको बचने में मदद मिलेगी.

    अगर आपको अपने अस्थमा के बढ़ने का डर है तो अपने साथ रिलीवर इनहेलर रखें. अगर आपका अस्थमा बिगड़ता है तो आपको कोरोना वायरस होने का ख़तरा है.

  • क्या ऐसे विकलांग लोग जिन्हें दूसरी कोई बीमारी नहीं है, उन्हें कोरोना वायरस होने का डर है? स्टॉकपोर्ट से अबीगेल आयरलैंड

    ह्दय और फ़ेफ़ड़ों की बीमारी या डायबिटीज जैसी पहले से मौजूद बीमारियों से जूझ रहे लोग और उम्रदराज़ लोगों में कोरोना वायरस ज्यादा गंभीर हो सकता है.

    ऐसे विकलांग लोग जो कि किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और जिनको कोई रेस्पिरेटरी दिक्कत नहीं है, उनके कोरोना वायरस से कोई अतिरिक्त ख़तरा हो, इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं.

  • जिन्हें निमोनिया रह चुका है क्या उनमें कोरोना वायरस के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं? कनाडा के मोंट्रियल से मार्जे

    कम संख्या में कोविड-19 निमोनिया बन सकता है. ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जिन्हें पहले से फ़ेफ़ड़ों की बीमारी हो.

    लेकिन, चूंकि यह एक नया वायरस है, किसी में भी इसकी इम्युनिटी नहीं है. चाहे उन्हें पहले निमोनिया हो या सार्स जैसा दूसरा कोरोना वायरस रह चुका हो.

    कोरोना वायरस की वजह से वायरल निमोनिया हो सकता है जिसके लिए अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है.
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अपने आप को और दूसरों को बचाना

आपके सवाल

  • कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकारें इतने कड़े कदम क्यों उठा रही हैं जबकि फ़्लू इससे कहीं ज्यादा घातक जान पड़ता है? हार्लो से लोरैन स्मिथ

    शहरों को क्वारंटीन करना और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए बोलना सख्त कदम लग सकते हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो वायरस पूरी रफ्तार से फैल जाएगा.

    क्वारंटीन उपायों को लागू कराते पुलिस अफ़सर

    फ़्लू की तरह इस नए वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है. इस वजह से उम्रदराज़ लोगों और पहले से बीमारियों के शिकार लोगों के लिए यह ज्यादा बड़ा ख़तरा हो सकता है.

  • क्या खुद को और दूसरों को वायरस से बचाने के लिए मुझे मास्क पहनना चाहिए? मैनचेस्टर से एन हार्डमैन

    पूरी दुनिया में सरकारें मास्क पहनने की सलाह में लगातार संशोधन कर रही हैं. लेकिन, डब्ल्यूएचओ ऐसे लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहा है जिन्हें कोरोना वायरस के लक्षण (लगातार तेज तापमान, कफ़ या छींकें आना) दिख रहे हैं या जो कोविड-19 के कनफ़र्म या संदिग्ध लोगों की देखभाल कर रहे हैं.

    मास्क से आप खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाते हैं, लेकिन ऐसा तभी होगा जब इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और इन्हें अपने हाथ बार-बार धोने और घर के बाहर कम से कम निकलने जैसे अन्य उपायों के साथ इस्तेमाल किया जाए.

    फ़ेस मास्क पहनने की सलाह को लेकर अलग-अलग चिंताएं हैं. कुछ देश यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके यहां स्वास्थकर्मियों के लिए इनकी कमी न पड़ जाए, जबकि दूसरे देशों की चिंता यह है कि मास्क पहने से लोगों में अपने सुरक्षित होने की झूठी तसल्ली न पैदा हो जाए. अगर आप मास्क पहन रहे हैं तो आपके अपने चेहरे को छूने के आसार भी बढ़ जाते हैं.

    यह सुनिश्चित कीजिए कि आप अपने इलाके में अनिवार्य नियमों से वाकिफ़ हों. जैसे कि कुछ जगहों पर अगर आप घर से बाहर जाे रहे हैं तो आपको मास्क पहनना जरूरी है. भारत, अर्जेंटीना, चीन, इटली और मोरक्को जैसे देशों के कई हिस्सों में यह अनिवार्य है.

  • अगर मैं ऐसे शख्स के साथ रह रहा हूं जो सेल्फ-आइसोलेशन में है तो मुझे क्या करना चाहिए? लंदन से ग्राहम राइट

    अगर आप किसी ऐसे शख्स के साथ रह रहे हैं जो कि सेल्फ-आइसोलेशन में है तो आपको उससे न्यूनतम संपर्क रखना चाहिए और अगर मुमकिन हो तो एक कमरे में साथ न रहें.

    सेल्फ-आइसोलेशन में रह रहे शख्स को एक हवादार कमरे में रहना चाहिए जिसमें एक खिड़की हो जिसे खोला जा सके. ऐसे शख्स को घर के दूसरे लोगों से दूर रहना चाहिए.

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मैं और मेरा परिवार

आपके सवाल

  • मैं पांच महीने की गर्भवती महिला हूं. अगर मैं संक्रमित हो जाती हूं तो मेरे बच्चे पर इसका क्या असर होगा? बीबीसी वेबसाइट के एक पाठक का सवाल

    गर्भवती महिलाओं पर कोविड-19 के असर को समझने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन अभी बारे में बेहद सीमित जानकारी मौजूद है.

    यह नहीं पता कि वायरस से संक्रमित कोई गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के दौरान इसे अपने भ्रूण या बच्चे को पास कर सकती है. लेकिन अभी तक यह वायरस एमनियोटिक फ्लूइड या ब्रेस्टमिल्क में नहीं पाया गया है.

    गर्भवती महिलाओंं के बारे में अभी ऐसा कोई सुबूत नहीं है कि वे आम लोगों के मुकाबले गंभीर रूप से बीमार होने के ज्यादा जोखिम में हैं. हालांकि, अपने शरीर और इम्यून सिस्टम में बदलाव होने के चलते गर्भवती महिलाएं कुछ रेस्पिरेटरी इंफेक्शंस से बुरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं.

  • मैं अपने पांच महीने के बच्चे को ब्रेस्टफीड कराती हूं. अगर मैं कोरोना से संक्रमित हो जाती हूं तो मुझे क्या करना चाहिए? मीव मैकगोल्डरिक

    अपने ब्रेस्ट मिल्क के जरिए माएं अपने बच्चों को संक्रमण से बचाव मुहैया करा सकती हैं.

    अगर आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ पैदा कर रहा है तो इन्हें ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पास किया जा सकता है.

    ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं को भी जोखिम से बचने के लिए दूसरों की तरह से ही सलाह का पालन करना चाहिए. अपने चेहरे को छींकते या खांसते वक्त ढक लें. इस्तेमाल किए गए टिश्यू को फेंक दें और हाथों को बार-बार धोएं. अपनी आंखों, नाक या चेहरे को बिना धोए हाथों से न छुएं.

  • बच्चों के लिए क्या जोखिम है? लंदन से लुइस

    चीन और दूसरे देशों के आंकड़ों के मुताबिक, आमतौर पर बच्चे कोरोना वायरस से अपेक्षाकृत अप्रभावित दिखे हैं.

    ऐसा शायद इस वजह है क्योंकि वे संक्रमण से लड़ने की ताकत रखते हैं या उनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या उनमें सर्दी जैसे मामूली लक्षण दिखते हैं.

    हालांकि, पहले से अस्थमा जैसी फ़ेफ़ड़ों की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.

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