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अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम से जाना जाएगा कोलकाता पोर्ट, सरकार ने लिया फैसला

कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने का फैसला लिया गया है. इस साल 25 फरवरी को हुई बैठक में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने कोलकाता पोर्ट का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट रखने का प्रस्ताव रखा था.

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करते पीएम मोदी (फाइल फोटो-PTI)
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करते पीएम मोदी (फाइल फोटो-PTI)

  • कोलकाता पोर्ट का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर होगा
  • कोलकाता पोर्ट की गिनती देश के सबसे बड़े बंदरगाह में होती है

केंद्र की मोदी सरकार ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने का फैसला लिया है. बुधवार को मोदी कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी मिली. इस साल 25 फरवरी को हुई बैठक में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने कोलकाता पोर्ट का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट रखने का प्रस्ताव रखा था.

पश्चिम बंगाल के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, 12 जनवरी, 2020 को कोलकाता पोर्ट के एक समारोहों में यह घोषणा की गई थी कि कोलकाता पोर्ट का नाम डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखा जाएगा. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पश्चिम बंगाल ही नहीं देश के बड़े नेता, बंगाल के विकास के सपने देखने वाले, औद्योगीकरण के लिए प्रेरणा के तौर पर देखा जाता है.

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चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा फैसला

मोदी सरकार के इस फैसले को पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीजेपी विधानसभा चुनाव में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम को लाएगी. बंगाल के लिए उनका क्या सपना था बीजेपी लोगों के सामने इसे जरूर रखेगी. क्योंकि बंगाल में बीजेपी के पास इससे बड़ा कोई दूसरा नाम नहीं है.

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सत्ता पर काबिज ममता बनर्जी की सरकार को पटखनी देने के लिए बीजेपी पूरा जोर लगाएगी. पीएम मोदी और ममता बनर्जी की राजनीतिक लड़ाई जगजाहिर है. एक ओर ममता बनर्जी जहां फिर से सरकार में वापसी की कोशिश करेंगी तो पीएम मोदी के कंधों पर बंगाल में कमल खिलाने की जिम्मेदारी होगी.

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कोलकाता पोर्ट का इतिहास

कोलकाता पोर्ट की गिनती देश के सबसे बड़े बंदरगाह में होती है. ये बंदरगाह ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है. 17 अक्टूबर, 1870 से ही ये ट्रस्ट के तहत है. कोलकाता पोर्ट को 150 साल पूरे हो चुके हैं. इस यात्रा में यह व्यापार, वाणिज्य और आर्थिक विकास के लिए भारत का प्रवेश द्वार रहा है. इतना ही नहीं देश की आजादी, वर्ल्ड वार और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों का भी गवाह रहा है. विशेषकर पूर्वी भारत में.

आमतौर पर, भारत के प्रमुख बंदरगाहों का नाम उस शहर के नाम पर रखा जाता है, जहां वे स्थित हैं. हालांकि, पूर्व में कुछ बंदरगाह के नाम को कुछ विशेष मामलों में या प्रतिष्ठित नेताओं द्वारा दिए गए योगदान के कारण बदला गया है.

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साल 1989 में सरकार द्वारा न्हावा शेवा पोर्ट ट्रस्ट का नाम बदलकर जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट कर दिया गया था. साल 2011 में तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट का नाम बदलकर वीओ चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट कर दिया गया था.

हाल ही में, 2017 में कांडला पोर्ट का नाम दीनदयाल पोर्ट रखा गया था. इसके अलावा, कई हवाई अड्डों का नाम भी देश के महान नेताओं के नाम पर रखा गया है.

कौन थे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी

भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ही की थी. 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता में जन्मे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जवाहर लाल नेहरू कैबिनेट में उद्योग और आपूर्ति मंत्री थे. लेकिन नेहरू से मतभेदों के कारण उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था.

इसके बाद उन्होंने नई राजनीतिक पार्टी भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी. अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ अस्तित्व में आया. देश के विभाजन के समय डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की मांग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब भारत में ही रहा.

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