बीते 20 वर्षों में भारत के तटों से टकराए 20 चक्रवाती तूफान, इनमें से कुछ थे बेहद खतरनाक
बीते 20 वर्षों में भारत और आसपास के देशों में करीब 20 चक्रवाती तूफान आए हैं। इनका कुछ न कुछ असर भारत के तटीय राज्यों पर भी पड़ा है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। बीते बीस वर्षों में भारत के पूर्वी-पश्चिमी और दक्षिणी तटों ने करीब 20 चक्रवाती तूफानों की मार सही है। इसमें वर्तमान में आने वाला चक्रवाती तूफान निसर्ग भी शामिल है। इन चक्रवाती तूफानों में से कुछ तो इतने जबरदस्त थे कि उन्होंने करोड़ों रुपये की क्षति पहुंचाई और इनकी वजह से कई लोगों की जान भी गई। हालांकि ये भी एक सच्चाई है कि बीते कुछ वर्षों इस संबंध में भारत ने काफी तरक्की की है। इसकी बदौलत चक्रवातों की सटीक जानकारी उपलब्ध हो सकी है और इससे समय रहते उठाए गए कदमों की बदौलत जान-माल की होने वाली हानि को काफी कम किया जा सका है। इनमें से कुछ का जिक्र यहां पर किया जा रहा है।
निशा 2008
इस चक्रवाती तूफान ने 205 लोगों की जान लील ली थी। इसकी वजह से राज्यों को करीब 800 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। इस दौरान चलने वाली हवाओं की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा थी। इस तूफान से सबसे अधिक नुकसान तमिलनाडु में ही हुआ था। इसके अलावा श्री लंका भी इससे काफी प्रभावित हुआ था।
नीलम 2012
इस चक्रवाती तूफान की वजह से तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश और अन्य तटीय इलाकों में 100 किमी प्रति घंटे से भी तेज रफ्तार से हवाएं चली थीं। इसकी वजह से नेल्लोर, प्रकासम, गुंटूर और कृष्णा, मछलीपट्टनम, कृष्णापट्टनम, निजामापट्टनम एवं वडारेवू बंदरगाहों पर चेतावनी जारी की गई थी। तमिलनाडु में इसकी चपेट में प्रतिभा-कावेरी जहाज भी आ गया था। बचने की कोशिश में इसमें मौजूद एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि छह अन्य लापता हो गए थे। अक्टूबर में इसकी शुरुआत बंगाल की खाड़ी से हुई थी लेकिन धीरे-धीरे ये श्री लंका की तरफ बढ़ता चला गया और बाद में दक्षिण भारत के तट से टकराया था। इस दौरान सरकार की तरफ से डेढ़ लाख लोगों को सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया था। इसकी वजह से 80 से 100 करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ था। इसकी वजह से 75 लोगों की मौत हो गई थी।
फैलिन 2013
अंडमान सागर में कम दबाव के क्षेत्र के रूप में उत्पन्न हुए फैलिन ने 9 अक्टूबर को उत्तरी अंडमान निकोबार द्वीप समूह पार करते ही एक चक्रवाती तूफान का रूप ले लिया।12 अक्टूबर को ये आन्ध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के तट पर टकराया था। इसके नाम का अर्थ नीलम होता है। इस चक्रवात का नाम थाईलैंड ने दिया था। इस चक्रवात से 90 लाख से सवा करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। वहीं करीब ढाई लाख घर क्षतिग्रस्त हो गए थे। इससे अकेले कृषि क्षेत्र को ही 2400 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। तटीय राज्यों से करीब 5-10 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। इस दौरान 100-260 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली थी। इसका असर ओडिशा, बिहार और पश्चिमी यूपी तक दिखाई दिया था। 1999 में आए ओडिशा चक्रवात के बाद ये सबसे जबरदस्त तूफान था।
हुदहुद 2014
अक्टूबर 2014 में आए चक्रवाती तूफान हुदहुद से ओडिशा के कई जिलों में भीषण बारिश हुई थी। इसकी वजह से किसानों की 50 हजार एकड़ से अधिक जमीन पर तैयार फसल नष्ट हो गई थी एवं हजारों मकान टूट गए थे। इसकी वजह से 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक तेज गति से हवाएं चली थीं। विशाखापट्टनम, विजयानंगरम और श्रीकाकुलम में भी इसकी वजह से काफी नुकसान हुआ था। इसकी वजह से 125 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और 150 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। इसकी वजह से कई जगहों पर भूस्ख्लन भी हुआ था।
गाजा 2018
बंगाल की खाड़ी से उठने वाला चक्रवाती तूफान गज 16 नवंबर की रात तमिलनाडु के पम्बन और कडलोर के बीच तट से टकराया था। इसको लेकर तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया था। इस दौरान 80-100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से हवा चली। इसके बाद ये तूफान केरल की तरफ बढ़ गया। इस दौरान करीब 80 हजार से सवा लाख लोगों को विभिन्न राज्यों में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। इसमें करीब 60 लोगों की जान गई थी और अकेले तमिलनाडु ने दोबारा सही करने के लिए केंद्र से 15 हजार करोड़ रुपये मांगे थे।
वायु 2019
वायु चक्रवाती तूफान का सबसे अधिक असर गुजरात के सौराष्ट्र में देखने को मिला था। इसकी वजह से 60 लाख लोग प्रभावित हुए थे और तीन लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया गया था। इसकी वजह से दस लोगों की मौत हो गई थी। इसकी वजह से गुजरात की 100 से अधिक तहसीलों में जबरदस्त बारिश हुई थी।
एम्फेन 2020
कुछ दिन पहले ही ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों का सामना एम्फेन से हुआ था। इसकी वजह से 72 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। वहीं कोलकाता एयरपोर्ट समेत कई इलाके पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे। कई जगहों पर पेड़ों, बिजली के खंभे और मकानों की छत तक उड़ गई थी। इस दौरान चलने वाली हवाओं की रफ्तार 200-250 किमी प्रति घंटा तक थी। हालांकि इसको देखते हुए केंद्र समेत राज्य सरकारों ने सभी जरूरी कदम उठाए थे जिसकी बदौलत लाखों लोगों की जान बचाई जा सकी थी।
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