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चीन पर चोट: 53 दवाओं के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, मोदी सरकार ने बनाया प्लान

मोदी सरकार ने इसके लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) स्कीम को नोटिफाई कर दिया है. अभी ऐसी ज्यादातर दवाओं के एपीआई या अन्य तत्व चीन से आयात किए जाते हैं. भारत में स्वदेशी स्तर पर इन दवाओं के महत्वपूर्ण शुरुआती पदार्थ और एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इन्ग्रेडिएंट्स (API) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा.

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दवा उत्पादन के लिए जरूरी बल्क ड्रग का ज्यादातर हिस्सा चीन से आता है (फाइल फोटो: Reuters)
दवा उत्पादन के लिए जरूरी बल्क ड्रग का ज्यादातर हिस्सा चीन से आता है (फाइल फोटो: Reuters)

  • दवाओं में चीनी आयात पर निर्भरता कम करेगी सरकार
  • मोदी सरकार लाई स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहन देने की योजना
  • देश में ही दवाओं के सभी जरूरी तत्व, बल्क ड्रग उत्पादन को बढ़ावा

भारत ने 53 दवाओं के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का प्लान तैयार कर लिया है. मोदी सरकार ने इसके लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) स्कीम को नोटिफाई कर दिया है. अभी ऐसी ज्यादातर दवाओं के एपीआई या अन्य तत्व चीन से आयात किए जाते हैं.

इस तरह सरकार नई स्कीम से चीन को बड़ी चोट भी पहुंचाएगी और भारत इस मामले में आत्मनिर्भर हो सकेगा. इस स्कीम के तहत भारत में स्वदेशी स्तर पर इन दवाओं के महत्वपूर्ण शुरुआती पदार्थ (drug intermediate) और एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इन्ग्रेडिएंट्स (bulk drugs) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) दिया जाएगा.

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यह योजना 2 जून से अगले चार महीने के लिए खोली गई है जिसके तहत निवेशक ऐसे किसी भी 53 ड्रग इंटरमीडिएटरी और बल्क ड्रग के उत्पादन के लिए नए कारखाने स्थापित करने का प्रस्ताव पेश कर सकेंगे. अभी इन दवाओं का मुश्किल से ही भारत में आयात होता है और ज्यादातर को चीन से आयात करना पड़ता है.

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इस सूची में ऐसे प्रमुख इन्ग्रेडिएंट शामिल हैं, जिनसे पैरासीटामॉल, एस्प्रिन, मेटफॉर्मिन, एटोरवेस्टाटिन जैसी दवाइयां शामिल हैं. सरकार की यह रणनीति है कि जीवनरक्षक दवाओं और अन्य महत्वपूर्ण दवाइयों के मामले में चीन पर निर्भरता कम हो और देश आत्मनिर्भर बने.

Aajtak.in ने उठाया था सवाल

Aajtak.in ने कोरोना संकट को देखते हुए कुछ दिनों पहले यह सवाल उठाया था कि इन तत्वों के निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर क्यों नहीं बनाया जा सकता.

यहां पढ़ें:कोरोना के बीच चीन में होने लगी फार्मा निर्यात रोकने की बात, देश में क्यों नहीं बन सकता API?

क्या है सरकार की योजना

इस योजना के तहत पात्र उत्पादों को पहले चार साल तक सरकार सालाना बिक्री बढ़त का 20 फीसदी हिस्सा प्रोत्साहन के रूप में देगी. इसके बाद पांचवें और छठे साल में यह प्रोत्साहन क्रमश: 15 और 5 फीसदी हो जाएगा. केमिकली सिथेंसिस होने वाले उत्पादों पर पांच साल तक बिक्री बढ़त के 10 फीसदी हिस्से के बराबर प्रोत्साहन दिया जाएगा. सरकार इस प्रोत्साहन पर करीब 6,940 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इसके बारे में ज्यादा ब्योरा जल्दी ही जारी किया जाएगा.

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