लॉकडाउन: राम माधव के अनुसार 90 फ़ीसदी प्रवासी मज़दूर अपने काम की जगह पर टिके हैं
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि देश में लॉकडाउन के बाद नब्बे फीसदी प्रवासी मज़दूर अपने काम की जगह पर टिके रहे. सिर्फ़ दस फ़ीसदी मज़दूर लॉकडाउन की अनदेखी कर अपने घरों की ओर निकले.
उन्होंने सरकार के लॉकडाउन खोलने के फ़ैसले का समर्थन करते हुए कहा कि आर्थिक गतिविधियों के लिए यह ज़रूरी क़दम है. बीबीसी के 'हार्ड टॉक' कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के शुरुआती दौर में संक्रमण पूरी तरह क़ाबू में रहा. अब सरकार के पास पूरी तैयारी है और वह किसी भी स्थिति से पूरी तरह निपट लेगी. इसलिए लॉकडाउन धीरे-धीरे खोला जा रहा है.
राम माधव ने कहा कि भारत के 13 करोड़ प्रवासी मज़दूरों में से 90 फ़ीसदी अपने काम की जगह पर टिके रहे. सिर्फ़ कुछ ही मज़दूर घरों के लिए निकले. इस बारे में अरुंधति राय के उठाए सवालों के बारे में उन्होंने कहा कि मज़दूरों के पलायन की बात बढ़ा-चढ़ा कर की जा रही है.
'सवाल सिर्फ़ तब्लीग़ी जमात के लोगों पर उठा है, सभी मुसलमानों पर नहीं'
कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर मुस्लिमों को निशाना बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस मामले में भड़काऊ बयान देने या उकसावे की कार्रवाई करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा. तब्लीग़ी जमात के लोगों को निशाना बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत में बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं. सिर्फ़ तब्लीग़ी जमात पर सवाल उठाने से ही लोगों ने ऐसे कैसे मान लिया कि सारे मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है.
कोरोना वायरस संक्रमण में लोगों की मदद करने वाले डॉक्टरों, नर्सों और दूसरे मददगार कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ हिंसा करने वाले लोगों को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
उनका कहना था, "लेकिन मैं यह बता दूं कोरोना संक्रमण के दौरान अपनी ड्यूटी निभा रहे डॉक्टरों पर हमले हुए. नर्सों पर हमले हुए. कार्यकर्ताओं पर हमले हुए. पुलिस अफ़सरों के हाथ काट लेने जैसी घटनाएं हुईं. इस बात से कोई मतलब नहीं कि यह किस धर्म के लोगों ने किया. हमारी क़ानून-व्यवस्था बहुत मज़बूत है. जो कोई भी इस तरह की हरकत करेगा उसे सज़ा मिलेगी."
'भारत का नागरिकता क़ानून भेदभाव नहीं करता'
उन्होंने कहा कि सरकार के उठाए गए क़दमों को हर किसी का समर्थन हासिल है क्योंकि यह किसी एक धर्म के लोगों के लिए नहीं है, पूरी आबादी के लिए है. भारत में इस समय हम सांप्रदायिक विभाजन या तनाव की घटना इस वक़्त बर्दाश्त नहीं कर सकते.
उन्होंने सीएए से जुड़े एक सवाल पर कहा कि भारतीय नागरिकता की पात्रता रखने वालों को नागरिकता मिलती है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के दौरान पिछले छह साल में कम से कम 15 पाकिस्तानियों ने भारत की नागरिकता ली है. हमारा नागरिकता क़ानून भेदभाव नहीं करता है.
'सावरकर की देशभक्ति की तारीफ़ तो इंदिरा गांधी ने भी की थी'
राम माधव ने सावरकर और उनकी विचारधारा के बारे में पूछे एक सवाल पर कहा कि वीडी सावरकर की देशभक्ति की तारीफ़ इंदिरा गांधी तक ने की थी. उन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी. सावरकर को इस देश में सही तरीक़े से समझा नहीं गया है. उन्होंने कभी नाजियों का समर्थन नहीं किया. उन्हें ग़लत समझा गया.
राम माधव से जब पूछा गया कि क्या गृह मंत्री अमित शाह ने अवैध बांग्लादेशी आप्रवासियों को दीमक कह कर सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने की कोशिश नहीं की? इस पर उन्होंने कहा हर देश अवैध आप्रवासियों को रोकता है. भारत भी यही कर रहा है. भारत धर्म के आधार पर आप्रवासियों को नहीं रोकता है.
'बीजेपी-संघ पर तानाशाही और विभाजन पैदा करने का आरोप ग़लत'
बीजेपी और आरएसएस पर भारतीय समाज में ध्रुवीकरण करने के लग रहे आरोपों पर राम माधव ने कहा कि महात्मा गांधी ने ख़ुद आरएसएस की तारीफ़ की थी. वह आरएसएस की रैली में शामिल हुए थे. उन्होंने संघ के अनुशासन की तारीफ़ की थी. उन्होंने कहा था मैं देश में अस्पृश्यता हटाने के जिस काम में लगा हूं, आरएसएस उसे अच्छी तरह कर रहा है.
आरएसएस जिस तरह से भारत में जाति विभाजन को ख़त्म करने में लगा है, मैं उसकी तारीफ़ करता हूं. उन्होंने कहा महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी अगर संघ और बीजेपी पर भारत को तानाशाही की ओर ले जाने का आरोप लगा रहे हैं तो यह उनका निजी विचार हो सकता है.
राम माधव ने कहा, गिरफ़्तार कश्मीरी नेता जल्द रिहा होंगे
उन्होंने कहा कश्मीरी नेता शाह फ़ैसल समेत घरों में बंद रखे गए दूसरे अहम कश्मीरी नेताओं को जल्दी ही छोड़ दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कश्मीर में इंटरनेट कनेक्शन को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है. वहां सभी अस्पतालों और सार्वजनिक संस्थानों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन है. जो लोग कह रहे हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण के इस दौर में इंटरनेट न होन से वे पब्लिक हेल्थ से जुड़ी अहम जानकारियों से महरूम हैं, वे ग़लत हैं. कश्मीर में घरों में 2जी कनेक्शन हैं और अस्पतालों और सार्वजनिक संस्थानों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन है.
चीन से बातचीत जारी, जल्द ख़त्म होगी सीमा पर तनातनी
अर्थव्यवस्था से जुड़े सवालों पर राम माधव ने कहा कि कोरोना संक्रमण से अर्थव्यवस्था में गिरावट सिर्फ़ भारत की समस्या नहीं है. इससे पूरी दुनिया जूझ रही है. अगली दो-तीन तिमाहियों में हालात संभल जाएंगे और भारतीय अर्थव्यवस्था पुरानी रफ़्तार में आ जाएगी.
हां, सीमा पर चीन के साथ तनातनी पर उन्होंने चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि नि:संदेह यह गंभीर मामला है. इस तरह का तनाव पहले भी होता रहा है. चीन के साथ सरकार ने इस मामले को गंभीरता से उठाया है. दोनों देशों में एक परिपक्व नेतृत्व है. हमें उम्मीद है कि यह मामला जल्द सुलझ जाएगा.
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कोरोना वायरस एक संक्रामक बीमारी है जिसका पता दिसंबर 2019 में चीन में चला. इसका संक्षिप्त नाम कोविड-19 है
सैकड़ों तरह के कोरोना वायरस होते हैं. इनमें से ज्यादातर सुअरों, ऊंटों, चमगादड़ों और बिल्लियों समेत अन्य जानवरों में पाए जाते हैं. लेकिन कोविड-19 जैसे कम ही वायरस हैं जो मनुष्यों को प्रभावित करते हैं
कुछ कोरोना वायरस मामूली से हल्की बीमारियां पैदा करते हैं. इनमें सामान्य जुकाम शामिल है. कोविड-19 उन वायरसों में शामिल है जिनकी वजह से निमोनिया जैसी ज्यादा गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं.
ज्यादातर संक्रमित लोगों में बुखार, हाथों-पैरों में दर्द और कफ़ जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं.
लेकिन, कुछ उम्रदराज़ लोगों और पहले से ह्दय रोग, डायबिटीज़ या कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ रहे लोगों में इससे गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा रहता है.
एक बार आप कोरोना से उबर गए तो क्या आपको फिर से यह नहीं हो सकता?बाइसेस्टर से डेनिस मिशेलसबसे ज्यादा पूछे गए सवाल
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जब लोग एक संक्रमण से उबर जाते हैं तो उनके शरीर में इस बात की समझ पैदा हो जाती है कि अगर उन्हें यह दोबारा हुआ तो इससे कैसे लड़ाई लड़नी है.
यह इम्युनिटी हमेशा नहीं रहती है या पूरी तरह से प्रभावी नहीं होती है. बाद में इसमें कमी आ सकती है.
ऐसा माना जा रहा है कि अगर आप एक बार कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं तो आपकी इम्युनिटी बढ़ जाएगी. हालांकि, यह नहीं पता कि यह इम्युनिटी कब तक चलेगी.
कोरोना वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड क्या है?जिलियन गिब्स
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वैज्ञानिकों का कहना है कि औसतन पांच दिनों में लक्षण दिखाई देने लगते हैं. लेकिन, कुछ लोगों में इससे पहले भी लक्षण दिख सकते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि इसका इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिन तक का हो सकता है. लेकिन कुछ शोधार्थियों का कहना है कि यह 24 दिन तक जा सकता है.
इनक्यूबेशन पीरियड को जानना और समझना बेहद जरूरी है. इससे डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को वायरस को फैलने से रोकने के लिए कारगर तरीके लाने में मदद मिलती है.
क्या कोरोना वायरस फ़्लू से ज्यादा संक्रमणकारी है?सिडनी से मेरी फिट्ज़पैट्रिक
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दोनों वायरस बेहद संक्रामक हैं.
ऐसा माना जाता है कि कोरोना वायरस से पीड़ित एक शख्स औसतन दो या तीन और लोगों को संक्रमित करता है. जबकि फ़्लू वाला व्यक्ति एक और शख्स को इससे संक्रमित करता है.
फ़्लू और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं.
बार-बार अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं
जब तक आपके हाथ साफ न हों अपने चेहरे को छूने से बचें
खांसते और छींकते समय टिश्यू का इस्तेमाल करें और उसे तुरंत सीधे डस्टबिन में डाल दें.
आप कितने दिनों से बीमार हैं?मेडस्टोन से नीता
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
हर पांच में से चार लोगों में कोविड-19 फ़्लू की तरह की एक मामूली बीमारी होती है.
इसके लक्षणों में बुख़ार और सूखी खांसी शामिल है. आप कुछ दिनों से बीमार होते हैं, लेकिन लक्षण दिखने के हफ्ते भर में आप ठीक हो सकते हैं.
अगर वायरस फ़ेफ़ड़ों में ठीक से बैठ गया तो यह सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया पैदा कर सकता है. हर सात में से एक शख्स को अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है.
अस्थमा वाले मरीजों के लिए कोरोना वायरस कितना ख़तरनाक है?फ़ल्किर्क से लेस्ले-एन
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अस्थमा यूके की सलाह है कि आप अपना रोज़ाना का इनहेलर लेते रहें. इससे कोरोना वायरस समेत किसी भी रेस्पिरेटरी वायरस के चलते होने वाले अस्थमा अटैक से आपको बचने में मदद मिलेगी.
अगर आपको अपने अस्थमा के बढ़ने का डर है तो अपने साथ रिलीवर इनहेलर रखें. अगर आपका अस्थमा बिगड़ता है तो आपको कोरोना वायरस होने का ख़तरा है.
क्या ऐसे विकलांग लोग जिन्हें दूसरी कोई बीमारी नहीं है, उन्हें कोरोना वायरस होने का डर है?स्टॉकपोर्ट से अबीगेल आयरलैंड
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
ह्दय और फ़ेफ़ड़ों की बीमारी या डायबिटीज जैसी पहले से मौजूद बीमारियों से जूझ रहे लोग और उम्रदराज़ लोगों में कोरोना वायरस ज्यादा गंभीर हो सकता है.
ऐसे विकलांग लोग जो कि किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और जिनको कोई रेस्पिरेटरी दिक्कत नहीं है, उनके कोरोना वायरस से कोई अतिरिक्त ख़तरा हो, इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं.
जिन्हें निमोनिया रह चुका है क्या उनमें कोरोना वायरस के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं?कनाडा के मोंट्रियल से मार्जे
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
कम संख्या में कोविड-19 निमोनिया बन सकता है. ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जिन्हें पहले से फ़ेफ़ड़ों की बीमारी हो.
लेकिन, चूंकि यह एक नया वायरस है, किसी में भी इसकी इम्युनिटी नहीं है. चाहे उन्हें पहले निमोनिया हो या सार्स जैसा दूसरा कोरोना वायरस रह चुका हो.
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकारें इतने कड़े कदम क्यों उठा रही हैं जबकि फ़्लू इससे कहीं ज्यादा घातक जान पड़ता है?हार्लो से लोरैन स्मिथ
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
शहरों को क्वारंटीन करना और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए बोलना सख्त कदम लग सकते हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो वायरस पूरी रफ्तार से फैल जाएगा.
फ़्लू की तरह इस नए वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है. इस वजह से उम्रदराज़ लोगों और पहले से बीमारियों के शिकार लोगों के लिए यह ज्यादा बड़ा ख़तरा हो सकता है.
क्या खुद को और दूसरों को वायरस से बचाने के लिए मुझे मास्क पहनना चाहिए?मैनचेस्टर से एन हार्डमैन
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
पूरी दुनिया में सरकारें मास्क पहनने की सलाह में लगातार संशोधन कर रही हैं. लेकिन, डब्ल्यूएचओ ऐसे लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहा है जिन्हें कोरोना वायरस के लक्षण (लगातार तेज तापमान, कफ़ या छींकें आना) दिख रहे हैं या जो कोविड-19 के कनफ़र्म या संदिग्ध लोगों की देखभाल कर रहे हैं.
मास्क से आप खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाते हैं, लेकिन ऐसा तभी होगा जब इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और इन्हें अपने हाथ बार-बार धोने और घर के बाहर कम से कम निकलने जैसे अन्य उपायों के साथ इस्तेमाल किया जाए.
फ़ेस मास्क पहनने की सलाह को लेकर अलग-अलग चिंताएं हैं. कुछ देश यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके यहां स्वास्थकर्मियों के लिए इनकी कमी न पड़ जाए, जबकि दूसरे देशों की चिंता यह है कि मास्क पहने से लोगों में अपने सुरक्षित होने की झूठी तसल्ली न पैदा हो जाए. अगर आप मास्क पहन रहे हैं तो आपके अपने चेहरे को छूने के आसार भी बढ़ जाते हैं.
यह सुनिश्चित कीजिए कि आप अपने इलाके में अनिवार्य नियमों से वाकिफ़ हों. जैसे कि कुछ जगहों पर अगर आप घर से बाहर जाे रहे हैं तो आपको मास्क पहनना जरूरी है. भारत, अर्जेंटीना, चीन, इटली और मोरक्को जैसे देशों के कई हिस्सों में यह अनिवार्य है.
अगर मैं ऐसे शख्स के साथ रह रहा हूं जो सेल्फ-आइसोलेशन में है तो मुझे क्या करना चाहिए?लंदन से ग्राहम राइट
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
अगर आप किसी ऐसे शख्स के साथ रह रहे हैं जो कि सेल्फ-आइसोलेशन में है तो आपको उससे न्यूनतम संपर्क रखना चाहिए और अगर मुमकिन हो तो एक कमरे में साथ न रहें.
सेल्फ-आइसोलेशन में रह रहे शख्स को एक हवादार कमरे में रहना चाहिए जिसमें एक खिड़की हो जिसे खोला जा सके. ऐसे शख्स को घर के दूसरे लोगों से दूर रहना चाहिए.
मैं पांच महीने की गर्भवती महिला हूं. अगर मैं संक्रमित हो जाती हूं तो मेरे बच्चे पर इसका क्या असर होगा?बीबीसी वेबसाइट के एक पाठक का सवाल
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
गर्भवती महिलाओं पर कोविड-19 के असर को समझने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन अभी बारे में बेहद सीमित जानकारी मौजूद है.
यह नहीं पता कि वायरस से संक्रमित कोई गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के दौरान इसे अपने भ्रूण या बच्चे को पास कर सकती है. लेकिन अभी तक यह वायरस एमनियोटिक फ्लूइड या ब्रेस्टमिल्क में नहीं पाया गया है.
गर्भवती महिलाओंं के बारे में अभी ऐसा कोई सुबूत नहीं है कि वे आम लोगों के मुकाबले गंभीर रूप से बीमार होने के ज्यादा जोखिम में हैं. हालांकि, अपने शरीर और इम्यून सिस्टम में बदलाव होने के चलते गर्भवती महिलाएं कुछ रेस्पिरेटरी इंफेक्शंस से बुरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं.
मैं अपने पांच महीने के बच्चे को ब्रेस्टफीड कराती हूं. अगर मैं कोरोना से संक्रमित हो जाती हूं तो मुझे क्या करना चाहिए?मीव मैकगोल्डरिक
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
अपने ब्रेस्ट मिल्क के जरिए माएं अपने बच्चों को संक्रमण से बचाव मुहैया करा सकती हैं.
अगर आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ पैदा कर रहा है तो इन्हें ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पास किया जा सकता है.
ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं को भी जोखिम से बचने के लिए दूसरों की तरह से ही सलाह का पालन करना चाहिए. अपने चेहरे को छींकते या खांसते वक्त ढक लें. इस्तेमाल किए गए टिश्यू को फेंक दें और हाथों को बार-बार धोएं. अपनी आंखों, नाक या चेहरे को बिना धोए हाथों से न छुएं.
बच्चों के लिए क्या जोखिम है?लंदन से लुइस
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
चीन और दूसरे देशों के आंकड़ों के मुताबिक, आमतौर पर बच्चे कोरोना वायरस से अपेक्षाकृत अप्रभावित दिखे हैं.
ऐसा शायद इस वजह है क्योंकि वे संक्रमण से लड़ने की ताकत रखते हैं या उनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या उनमें सर्दी जैसे मामूली लक्षण दिखते हैं.
हालांकि, पहले से अस्थमा जैसी फ़ेफ़ड़ों की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.