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अश्वेतों के साथ बर्ताव को लेकर अमेरिका एक बार फिर से उबल रहा है। मिनेसोटा में 46 वर्षीय जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद पूरे अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। यहां तक कि इसकी आंच व्हाइट हाउस तक भी पहुंच चुकी है। हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब अमेरिका में अश्वेतों के साथ हो रहे बर्ताव पर लोग सड़कों पर उतरे हैं।
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अश्वेतों के साथ बर्ताव को लेकर अमेरिका एक बार फिर से उबल रहा है। मिनेसोटा में 46 वर्षीय जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद पूरे अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। यहां तक कि इसकी आंच व्हाइट हाउस तक भी पहुंच चुकी है। हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब अमेरिका में अश्वेतों के साथ हो रहे बर्ताव पर लोग सड़कों पर उतरे हैं।
इतिहास काफी पुराना है। खासतौर से अश्वेतों के साथ पुलिस के बर्ताव को लेकर। पुलिस हिंसा का रिकॉर्ड रखने वाले संगठन 'मैपिंग पुलिस वॉयलेंस' के मुताबिक 2013 से 2019 के बीच ही अमेरिकी पुलिस कार्रवाई में 7666 अश्वेत लोग मारे गए। यह आंकड़ा चौंकाता है। अमेरिका में अश्वेतों की आबादी की बात की जाए तो उनकी हिस्सेदारी महज 13 फीसदी ही है। मगर पुलिस के हमले उन पर ज्यादा होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक श्वेत अमेरिकियों की तुलना में ढाई गुना ज्यादा अश्वेत पुलिस की गोली से मारे गए।
लगभग हर महीने एक अश्वेत की मौत
'मैपिंग पुलिस वॉयलेंस' के मुताबिक साल में ऐसा एक भी महीना नहीं बीता, जिसमें पुलिस के हाथों किसी अश्वेत की मौत न हुई हो। औसतन अधिकतर 27 दिन ही ऐसे बीते, जब पुलिस ने किसी अश्वेत को नहीं मारा हो। दिसंबर, 2019 में तो एक ही दिन में 9 से ज्यादा अश्वेत नागरिकों की मौत हुई।
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