तब्लीग़ी जमात के लोगों पर अभद्रता का आरोप लगाकर पिछले दिनों चर्चा में आईं कानपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर आरती लालचंदानी ने अब अपनी सफ़ाई दी है.
बीबीसी हिंदी का ये लाइव पेज अब यहीं समाप्त होता है. बीबीसी हिंदी पर कोरोना संबंधी कवरेज जारी है. आप मंगलवार की सभी अपडेट के लिए आप यहां क्लिक करें
कोरोना की दवाओं पर अपडेट
ReutersCopyright: Reuters
कोरोना वायरस का संभावित इलाज मानी जा रही दवा रेमडेसिविर पर हुए प्रयोग से पता चला है कि यह मध्यम लक्षणों वाले मरीज़ों को कुछ राहत देती है. दवा निर्माता कंपनी जीलिएड ने कहा है कि जिन लोगों ने कम अवधि के लिए ये दवा ली उनके नतीजे बेहतर रहे.
कंपनी की ओर से इस घोषणा के बाद कंपनी के शेयरों के दाम चार प्रतिशत तक गिर गए.
इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल को रोकने के अपने फ़ैसले पर आगे क्या करना है इस पर वह मंगलवार को फ़ैसला करेगा. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने मलेरिया की इस दवा का समर्थन किया है.
मेडिकल जर्नल लेंसेट में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करने वाले मरीज़ों की मृत्यु दर ज़्यादा दी थी. इस शोध के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का ट्रायल रोक दिया था.
ब्रिटेन में 23 मार्च के बाद संक्रमण के सबसे कम मामले
BBCCopyright: BBC
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि 23 मार्च के बाद से ब्रिटेन में रविवार को कोरोना संक्रमण के सबसे कम मामले सामने आए हैं.
रविवार को ब्रिटेन में कोरोना के 1570 नए मामले सामने आए हैं.
मंत्री के अनुसार इससे साफ़ है कि कोरोना वायरस का क़ाबू किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि "ब्रिटेन वायरस के ख़िलाफ़ जंग जीत रहा है."
लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि ब्रिटेन में सोशल डिस्टेंसिंग फ़िलहाल जारी रहेगी क्योंकि बीमारी अभी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है.
दुनिया भर में मशहूर इस्तांबुल का बाज़ार खुल गया
कोरोना की वजह से क़रीब दो महीने से बंद इस्तांबुल का मशहूर बाज़ार सोमवार को खुल गया.
ये बाज़ार क़रीब 500 साल पुराना है और दुनिया भर से लोग इसे देखने और यहां ख़रीदारी करने आते हैं.
ReutersCopyright: Reuters
इस्तांबुल का ये बाज़ार अपनी छोटी-छोटी गलियों के लिए मशहूर है इसलिए यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना एक बड़ी चुनौती है.
बाज़ार में आने वालों को मास्क लगाना होगा और प्रवेश द्वार के पास उनका तापमान चेक किया जाएगा. बाज़ार में आने वालों की संख्या पर भी पाबंदी लगाई गई है.
यहां आम तौर पर एक दिन में क़रीब डेढ़ लाख लोग आते हैं.
ReutersCopyright: Reuters
बाज़ार के अधिकारियों का कहना है कि बाज़ार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि बाज़ार को इतने लंबे वक़्त के लिए बंद करना पड़ा है. इससे पहले प्राकृतिक आपदा के कारण कुछ वक़्त के लिए बाज़ार को बंद करना पड़ा था.
तुर्की में लॉकडाउन में ढील दी गई है और पार्क, बीच, लाइब्रेरी और म्यूज़ियम को खोल दिया गया है.
लोग काम पर भी लौट आए हैं लेकिन बार और नाइटक्लब अभी भी बंद हैं.
तुर्की में कोरोना वायरस से अब तक क़रीब 4500 लोग मारे गए हैं.
कोविड-19 की सबसे पहले पहचान करने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग की मंगेतर ने दिया एक बेटी को जन्म
सीजीटीएनCopyright: सीजीटीएन
कोरोना वायरस संक्रमण की सबसे पहले पहचान करने वाले चीनी डॉक्टर ली वेनलियांग
की मंगेतर ने एक बेटी को जन्म दिया है.
डॉक्टर ली की मंगेतर, डॉक्टर पेंग यिन्हुआ भी वुहान शहर के ही एक सरकारी अस्पताल में
कार्यरत हैं.
चीन के हूबे प्रांत में स्थित वुहान वही शहर है जहाँ सबसे पहले कोविड-19 के मामलों की आधिकारिक पुष्टि हुई थी.
29 वर्षीय डॉक्टर ली वेनलियांग की 1 फ़रवरी को शादी होनी तय थी, लेकिन शहर में संक्रमण
फैलने की वजह से उन्हें शादी टालनी पड़ी थी.
20 फ़रवरी को कोविड-19 की वजह से जब डॉक्टर ली की मौत हुई, तब उनकी मंगेतर
डॉक्टर पेंग छह महीने की गर्भवती थीं.
डॉक्टर ली की मौत के बाद स्थानीय मीडिया ने दोनों की शादी की कुछ तस्वीरें, जो चीन
में पारंपरिक तौर पर पहले ही खिंचवाई जाती हैं, ख़ूब शेयर की थीं.
सीजीटीएनCopyright: सीजीटीएन
अब ये तस्वीरें एक बार फिर सोशल मीडिया पर शेयर हो रही हैं.
सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि 'डॉक्टर ली की बेटी का इस दुनिया में आना, उनके परिवार के लिए एक आशीर्वाद है.'
बहुत सारे लोगों ने भावनात्मक संदेश लिखे हैं. कुछ ने लिखा है कि ‘इस बच्ची का जन्म चीन के राष्ट्रीय बाल दिवस पर हुआ है, लेकिन यह प्यारी बच्ची कभी भी अपने ‘हीरो’ पिता से नहीं मिल पाएगी.’
डॉक्टर ली वेनलियांग की मौत का दुख पूरे चीन में मनाया गया था.
दरअसल, डॉक्टर ली ने ही चीन के वुहान शहर में अपने साथी डॉक्टरों को सबसे पहले इस संक्रमण का अलर्ट भेजा था.
उन्होंने अस्पताल में अपने साथ काम करने वाले डॉक्टरों का बताया था कि ‘उन्होंने कुछ मरीज़ देखे हैं जिनमें सार्स जैसे लक्षण हैं.’
लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उनकी इस बात को गंभीरता से नहीं लिया. इसके लिए उन्हें एक नोटिस भी दिया गया, जिसमें लिखा था कि ‘वे अगर अफ़वाहें फ़ैलाएंगे तो उन पर कार्यवाही हो सकती है.’
इसके कुछ दिन बाद डॉक्टर ली ने सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया को बताया कि ‘उन्हें संक्रमण लग गया है’, और कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई थी.
WHO वाले निर्णय पर चीन ने कहा- 'अमरीका की भागने की आदत है'
Getty ImagesCopyright: Getty Images
विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संबंधों में कटौती की अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड
ट्रंप की घोषणा पर चीन सरकार ने टिप्पणी की है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि “अमरीका के इस निर्णय
से उनकी ‘पावर पॉलिटिक्स’ और ‘एक तरफ़ा सोच’ का पता चलता है.”
चीनी विदेश मंत्रालय ने अमरीका के निर्णय की व्याख्या करते हुए कहा कि ‘अमरीका
की भागने की आदत है.’
इसके साथ ही चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए
समर्थन बढ़ाने का आह्वान किया है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को कहा था कि ‘अमरीका विश्व
स्वास्थ्य संगठन के साथ अपने संबंध समाप्त कर रहा है क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय
एजेंसी कोरोना वायरस महामारी को रोक पाने में असफल रही है.’
डोनाल्ड ट्रंप यह आरोप भी लगा चुके हैं कि ‘चीन का विश्व
स्वास्थ्य संगठन पर पूरा नियंत्रण है.’
रियायतें मिलते ही पुराने रंग में लौटा पश्चिम बंगाल
प्रभाकर मणि तिवारी
कोलकाता से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
SANJAY DASCopyright: SANJAY DAS
‘बसों और सड़कों पर भारी भीड़,
ट्रैफ़िक जाम और दुकानों-बाज़ारों में उमड़ते ग्राहक.’
दो महीने पहले कोरोना की वजह से शुरू हुए लॉकडाउन से पहले कोलकाता का ज़िक्र
होते ही यह तस्वीर उभरती थी.
अब सोमवार से तमाम रियायतों के एलान के साथ ही ‘सिटी ऑफ़ जॉय’ अपने चिर-परिचित रंग में लौट आई है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हालांकि रियायतों का एलान करते समय सोशल डिस्टेंसिंग
का पालन करने की हिदायत दी थी.
लेकिन कोई ढाई महीने से घरों में क़ैद लोगों को भला इसकी परवाह कहाँ थी.
SANJAY DASCopyright: SANJAY DAS
सड़कों पर भी वाहनों का जाम लगा रहा. सरकार ने धार्मिक स्थलों को खोलने के अलावा टीवी और फ़िल्मों की भी शूटिंग की अनुमति दे दी है.
लेकिन कालीघाट, दक्षिणेश्वर और तारापीठ समेत ज़्यादातर प्रमुख मंदिरों ने कम से कम और दो सप्ताह इंतज़ार करने का निर्णय लिया है.
सरकार ने कंटेनमेंट इलाक़ों में 15 जून तक लॉकडाउन बढ़ाया है. लेकिन उनके अलावा तक़रीबन ज़्यादातर इलाक़े खोल दिये गए हैं.
SANJAY DASCopyright: SANJAY DAS
ज़्यादातर दुकानों और बाज़ारों के खुलने के बावजूद लोकल ट्रेनों के बंद रहने की वजह से उप-नगरों से आने वाले कर्मचारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
बसों में भारी भीड़ नज़र आई. सरकार ने बसों में खड़े होकर यात्रा करने पर पाबंदी लगाई है. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
हुगली ज़िले के डानकुनी से आने वाले सुमित मंडल कहते हैं, “बसों में जब हर सीट पर यात्री बैठ सकता है तो खड़े होने में क्या आपत्ति है. और सीटों पर बैठने की स्थिति में भी तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन संभव नहीं है.”
वहीं बैरकपुर से आने वाले पुलकेश सेन कहते हैं, “कोरोना के निकट भविष्य में ख़त्म होने की कोई संभावना नहीं है. आख़िर हम कब तक इससे डरकर घरों में दुबके रहें?”
SANJAY DASCopyright: SANJAY DAS
कोलकाता की पहचान रहीं पीली टैक्सियाँ भी फिर चलने लगी हैं और हुगली नदी में फेरी सेवाएँ भी शुरू हो गई हैं.
अब अगले दो सप्ताह में पाँच लाख प्रवासियों की संभावित वापसी से संक्रमण तेज होने का अंदेशा है.
मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तक बीते एक सप्ताह के आंकड़ों की रोशनी में यह आशंका जता चुके हैं.
SANJAY DASCopyright: SANJAY DAS
बीते एक सप्ताह से संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और रोज़ाना नए रिकार्ड बन रहे हैं.
ममता बनर्जी का कहना है कि यह मामले प्रवासियों के लौटने से जुड़े हैं. जिन लोगों में नए मामले सामने आ रहे हैं उनमें से ज़्यादातर लोग हाल में दूसरे राज्यों से लौटे हैं.
मुख्यमंत्री श्रमिक एक्सप्रेस को कोरोना एक्सप्रेस तक बता चुकी हैं.
रेलवे ने आज से 200 रेलगाड़ियां चला दी ताकि जो लोग लॉकडाउन में फंसे थे, वो अपने-अपने घर जा सकें. लेकिन क्या दिल्ली से लौट रहे मज़दूरों के जीवन से समस्याएं दूर हुईं?
लाइव रिपोर्टिंग
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कोरोना वायरस के क्या हैं लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव
जेम्स गैलाघर
स्वास्थ्य और विज्ञान संवाददाता
कोरोना वायरस तेज़ी से पूरी दुनिया में फैल रहा है. जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीक़े.
और पढ़ेंउत्तर प्रदेशः कानपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य ने विवादित वायरल वीडियो पर दी सफ़ाई
समीरात्मज मिश्र
लखनऊ से, बीबीसी हिंदी के लिए
तब्लीग़ी जमात के लोगों पर अभद्रता का आरोप लगाकर पिछले दिनों चर्चा में आईं कानपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर आरती लालचंदानी ने अब अपनी सफ़ाई दी है.
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बीबीसी हिंदी का ये लाइव पेज अब यहीं समाप्त होता है. बीबीसी हिंदी पर कोरोना संबंधी कवरेज जारी है. आप मंगलवार की सभी अपडेट के लिए आप यहां क्लिक करें
कोरोना की दवाओं पर अपडेट
कोरोना वायरस का संभावित इलाज मानी जा रही दवा रेमडेसिविर पर हुए प्रयोग से पता चला है कि यह मध्यम लक्षणों वाले मरीज़ों को कुछ राहत देती है. दवा निर्माता कंपनी जीलिएड ने कहा है कि जिन लोगों ने कम अवधि के लिए ये दवा ली उनके नतीजे बेहतर रहे. कंपनी की ओर से इस घोषणा के बाद कंपनी के शेयरों के दाम चार प्रतिशत तक गिर गए.
इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल को रोकने के अपने फ़ैसले पर आगे क्या करना है इस पर वह मंगलवार को फ़ैसला करेगा. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने मलेरिया की इस दवा का समर्थन किया है.
मेडिकल जर्नल लेंसेट में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करने वाले मरीज़ों की मृत्यु दर ज़्यादा दी थी. इस शोध के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का ट्रायल रोक दिया था.
कोरोना से लड़ाई की कमान राज्यों को सौंपी तो अब मोदी सरकार क्या करेगी?
ब्रजेश मिश्र
बीबीसी संवाददाता
केंद्र सरकार ने अब लॉकडाउन खोलकर गेंद राज्यों के पाले में डाल दी है.
और पढ़ेंब्रिटेन में 23 मार्च के बाद संक्रमण के सबसे कम मामले
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि 23 मार्च के बाद से ब्रिटेन में रविवार को कोरोना संक्रमण के सबसे कम मामले सामने आए हैं.
रविवार को ब्रिटेन में कोरोना के 1570 नए मामले सामने आए हैं.
मंत्री के अनुसार इससे साफ़ है कि कोरोना वायरस का क़ाबू किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि "ब्रिटेन वायरस के ख़िलाफ़ जंग जीत रहा है."
लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि ब्रिटेन में सोशल डिस्टेंसिंग फ़िलहाल जारी रहेगी क्योंकि बीमारी अभी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है.
दुनिया भर में मशहूर इस्तांबुल का बाज़ार खुल गया
कोरोना की वजह से क़रीब दो महीने से बंद इस्तांबुल का मशहूर बाज़ार सोमवार को खुल गया.
ये बाज़ार क़रीब 500 साल पुराना है और दुनिया भर से लोग इसे देखने और यहां ख़रीदारी करने आते हैं.
इस्तांबुल का ये बाज़ार अपनी छोटी-छोटी गलियों के लिए मशहूर है इसलिए यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना एक बड़ी चुनौती है.
बाज़ार में आने वालों को मास्क लगाना होगा और प्रवेश द्वार के पास उनका तापमान चेक किया जाएगा. बाज़ार में आने वालों की संख्या पर भी पाबंदी लगाई गई है.
यहां आम तौर पर एक दिन में क़रीब डेढ़ लाख लोग आते हैं.
बाज़ार के अधिकारियों का कहना है कि बाज़ार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि बाज़ार को इतने लंबे वक़्त के लिए बंद करना पड़ा है. इससे पहले प्राकृतिक आपदा के कारण कुछ वक़्त के लिए बाज़ार को बंद करना पड़ा था.
तुर्की में लॉकडाउन में ढील दी गई है और पार्क, बीच, लाइब्रेरी और म्यूज़ियम को खोल दिया गया है.
लोग काम पर भी लौट आए हैं लेकिन बार और नाइटक्लब अभी भी बंद हैं.
तुर्की में कोरोना वायरस से अब तक क़रीब 4500 लोग मारे गए हैं.
बीबीसी हिंदी का विशेष डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर'
बीबीसी हिंदी का विशेष डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर'
बीबीसी हिंदी का विशेष डिजिटल बुलेटिन 'दिनभर' सुनिए मोहनलाल शर्मा से.
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कीर्तीश का कार्टून
खुलता लॉकडाउन, फैलता कोरोना वायरस, आगे क्या?
अनंत प्रकाश
बीबीसी संवाददाता
भारत में गाँवों से लेकर शहरों तक पैर पसारते कोरोना वायरस के बीच लॉकडाउन खोला जाना कितना ख़तरनाक है और कोरोना वायरस से कैसे बचा जा सकता है.
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कोरोना वायरस संक्रमण की सबसे पहले पहचान करने वाले चीनी डॉक्टर ली वेनलियांग की मंगेतर ने एक बेटी को जन्म दिया है.
डॉक्टर ली की मंगेतर, डॉक्टर पेंग यिन्हुआ भी वुहान शहर के ही एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत हैं.
चीन के हूबे प्रांत में स्थित वुहान वही शहर है जहाँ सबसे पहले कोविड-19 के मामलों की आधिकारिक पुष्टि हुई थी.
29 वर्षीय डॉक्टर ली वेनलियांग की 1 फ़रवरी को शादी होनी तय थी, लेकिन शहर में संक्रमण फैलने की वजह से उन्हें शादी टालनी पड़ी थी.
20 फ़रवरी को कोविड-19 की वजह से जब डॉक्टर ली की मौत हुई, तब उनकी मंगेतर डॉक्टर पेंग छह महीने की गर्भवती थीं.
डॉक्टर ली की मौत के बाद स्थानीय मीडिया ने दोनों की शादी की कुछ तस्वीरें, जो चीन में पारंपरिक तौर पर पहले ही खिंचवाई जाती हैं, ख़ूब शेयर की थीं.
अब ये तस्वीरें एक बार फिर सोशल मीडिया पर शेयर हो रही हैं.
सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि 'डॉक्टर ली की बेटी का इस दुनिया में आना, उनके परिवार के लिए एक आशीर्वाद है.'
बहुत सारे लोगों ने भावनात्मक संदेश लिखे हैं. कुछ ने लिखा है कि ‘इस बच्ची का जन्म चीन के राष्ट्रीय बाल दिवस पर हुआ है, लेकिन यह प्यारी बच्ची कभी भी अपने ‘हीरो’ पिता से नहीं मिल पाएगी.’
डॉक्टर ली वेनलियांग की मौत का दुख पूरे चीन में मनाया गया था.
दरअसल, डॉक्टर ली ने ही चीन के वुहान शहर में अपने साथी डॉक्टरों को सबसे पहले इस संक्रमण का अलर्ट भेजा था.
उन्होंने अस्पताल में अपने साथ काम करने वाले डॉक्टरों का बताया था कि ‘उन्होंने कुछ मरीज़ देखे हैं जिनमें सार्स जैसे लक्षण हैं.’
लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उनकी इस बात को गंभीरता से नहीं लिया. इसके लिए उन्हें एक नोटिस भी दिया गया, जिसमें लिखा था कि ‘वे अगर अफ़वाहें फ़ैलाएंगे तो उन पर कार्यवाही हो सकती है.’
इसके कुछ दिन बाद डॉक्टर ली ने सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया को बताया कि ‘उन्हें संक्रमण लग गया है’, और कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई थी.
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कोरोना: अंतिम संस्कार के बाद अस्पताल ने कहा, 'मरीज़ ज़िंदा है'
भार्गव परीख
बीबीसी गुजराती
गुजरात के अहमदाबाद में पहले एक बुज़ुर्ग को मृत घोषित कर दिया गया और फिर कहा गया कि उनकी सेहत में सुधार हो रहा है.
और पढ़ेंWHO वाले निर्णय पर चीन ने कहा- 'अमरीका की भागने की आदत है'
विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संबंधों में कटौती की अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा पर चीन सरकार ने टिप्पणी की है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि “अमरीका के इस निर्णय से उनकी ‘पावर पॉलिटिक्स’ और ‘एक तरफ़ा सोच’ का पता चलता है.”
चीनी विदेश मंत्रालय ने अमरीका के निर्णय की व्याख्या करते हुए कहा कि ‘अमरीका की भागने की आदत है.’
इसके साथ ही चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए समर्थन बढ़ाने का आह्वान किया है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को कहा था कि ‘अमरीका विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ अपने संबंध समाप्त कर रहा है क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय एजेंसी कोरोना वायरस महामारी को रोक पाने में असफल रही है.’
डोनाल्ड ट्रंप यह आरोप भी लगा चुके हैं कि ‘चीन का विश्व स्वास्थ्य संगठन पर पूरा नियंत्रण है.’
रियायतें मिलते ही पुराने रंग में लौटा पश्चिम बंगाल
प्रभाकर मणि तिवारी
कोलकाता से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
‘बसों और सड़कों पर भारी भीड़, ट्रैफ़िक जाम और दुकानों-बाज़ारों में उमड़ते ग्राहक.’
दो महीने पहले कोरोना की वजह से शुरू हुए लॉकडाउन से पहले कोलकाता का ज़िक्र होते ही यह तस्वीर उभरती थी.
अब सोमवार से तमाम रियायतों के एलान के साथ ही ‘सिटी ऑफ़ जॉय’ अपने चिर-परिचित रंग में लौट आई है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हालांकि रियायतों का एलान करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की हिदायत दी थी.
लेकिन कोई ढाई महीने से घरों में क़ैद लोगों को भला इसकी परवाह कहाँ थी.
सड़कों पर भी वाहनों का जाम लगा रहा. सरकार ने धार्मिक स्थलों को खोलने के अलावा टीवी और फ़िल्मों की भी शूटिंग की अनुमति दे दी है.
लेकिन कालीघाट, दक्षिणेश्वर और तारापीठ समेत ज़्यादातर प्रमुख मंदिरों ने कम से कम और दो सप्ताह इंतज़ार करने का निर्णय लिया है.
सरकार ने कंटेनमेंट इलाक़ों में 15 जून तक लॉकडाउन बढ़ाया है. लेकिन उनके अलावा तक़रीबन ज़्यादातर इलाक़े खोल दिये गए हैं.
ज़्यादातर दुकानों और बाज़ारों के खुलने के बावजूद लोकल ट्रेनों के बंद रहने की वजह से उप-नगरों से आने वाले कर्मचारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
बसों में भारी भीड़ नज़र आई. सरकार ने बसों में खड़े होकर यात्रा करने पर पाबंदी लगाई है. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
हुगली ज़िले के डानकुनी से आने वाले सुमित मंडल कहते हैं, “बसों में जब हर सीट पर यात्री बैठ सकता है तो खड़े होने में क्या आपत्ति है. और सीटों पर बैठने की स्थिति में भी तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन संभव नहीं है.”
वहीं बैरकपुर से आने वाले पुलकेश सेन कहते हैं, “कोरोना के निकट भविष्य में ख़त्म होने की कोई संभावना नहीं है. आख़िर हम कब तक इससे डरकर घरों में दुबके रहें?”
कोलकाता की पहचान रहीं पीली टैक्सियाँ भी फिर चलने लगी हैं और हुगली नदी में फेरी सेवाएँ भी शुरू हो गई हैं.
अब अगले दो सप्ताह में पाँच लाख प्रवासियों की संभावित वापसी से संक्रमण तेज होने का अंदेशा है.
मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तक बीते एक सप्ताह के आंकड़ों की रोशनी में यह आशंका जता चुके हैं.
बीते एक सप्ताह से संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और रोज़ाना नए रिकार्ड बन रहे हैं.
ममता बनर्जी का कहना है कि यह मामले प्रवासियों के लौटने से जुड़े हैं. जिन लोगों में नए मामले सामने आ रहे हैं उनमें से ज़्यादातर लोग हाल में दूसरे राज्यों से लौटे हैं.
मुख्यमंत्री श्रमिक एक्सप्रेस को कोरोना एक्सप्रेस तक बता चुकी हैं.
डोनाल्ड ट्रंप के आगे कोरोना, पीछे खाई
कोरोना वायरस से बेहाल अमरीका में अब दंगों की आग भड़क चुकी है. ट्रंप पर लग रहे हैं कई आरोप.
दिल्ली से मज़दूर जा रहे हैं, लेकिन उनके जीवन से दिक़्क़तें नहीं
रेलवे ने आज से 200 रेलगाड़ियां चला दी ताकि जो लोग लॉकडाउन में फंसे थे, वो अपने-अपने घर जा सकें. लेकिन क्या दिल्ली से लौट रहे मज़दूरों के जीवन से समस्याएं दूर हुईं?
मोदी के मंत्री प्रवासी मज़दूरों पर क्या बोले?
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान पैदल ही या साइकिलों पर अपने घरों की ओर निकलने वाले श्रमिक भाई थोड़े अधीर हो गए थे.