जी-7 की जगह जी-11, भारत को बुलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बुलाई सितंबर में पहली बैठक
सीमा विवाद बढ़ाकर चीन ने दिया भारत को संदेश कि वह अमेरिका की चीन विरोधी गतिविधियों में हिस्सा न बने।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कोविड-19 के बाद जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ रुख बनाया है उसका असर समूचे वैश्विक ताने-बाने पर पड़ने की संभावना बलवती हो गई है। ट्रंप ने अब दुनिया के सबसे शक्तिशाली सात देशों के संगठन समूह-7 (जी-7) को समाप्त कर इसकी जगह पर जी-11 बनाने का प्रस्ताव किया है।
जी-7 के अलावा रूस, आस्ट्रेलिया, भारत व दक्षिण कोरिया को बुलावा
इस समूह में शामिल होने के लिए उन्होंने भारत को भी रूस, आस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया के साथ आमंत्रित किया है। चीन के साथ सीमा विवाद में उलझे भारत को यह फैसला करना होगा कि सितंबर, 2020 में बुलाई गई इस बैठक में शामिल होना है या नहीं।
ट्रंप ने कहा- जी-7 पुराना संगठन हो चुका है, बैठक सितंबर तक टली
जी-7 देश में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन और जापान शामिल हैं। वैसे जब से जी-20 देशों का संगठन बना है तब से जी-7 का रुतबा खत्म हो गया है। ट्रंप ने अगले महीने जून में इसकी बैठक बुलाई थी लेकिन कई सदस्य देशों ने इसमें शामिल होने में असमर्थता जता दी। अब शनिवार को ट्रंप ने कहा है कि, मुझे नहीं लगता है कि जी-7 सही तरीके से अभी दुनिया में जो हो रहा है उसका प्रतिनिधित्व करता है। यह पुराना संगठन हो चुका है। वह इसकी बैठक सितंबर तक टाल रहे हैं और आगामी बैठक में रूस, आस्ट्रेलिया, भारत और दक्षिण कोरिया को आमंत्रित करने की योजना बना रहे हैं।
समूह-7 की बैठक का एजेंडा, भविष्य में चीन से किस तरह से निपटा जाए: ट्रंप
उन्होंने इस बैठक का एजेंडा भी स्पष्ट किया कि भविष्य में चीन से किस तरह से निपटा जाए। साफ है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने जो कोशिश शुरु की है उसके निशाने पर चीन है। वैसे पूर्व में भी जी-7 की बैठकों में दूसरे प्रमुख देशों को बुलाने की परंपरा रही है और इसमें चीन भी शामिल होता रहा है। रूस तो एक तरह से इस समूह का हिस्सा बन गया था, लेकिन वर्ष 2014 में क्त्रीमिया पर हमले के बाद उसे निष्कासित कर दिया गया है।
ट्रंप के प्रस्ताव पर आमंत्रण आने के बाद ही भारत प्रतिक्रिया देगा
ट्रंप के इस प्रस्ताव पर भारत ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। अमेरिकी सरकार की तरफ से इस बारे में आधिकारिक तौर पर आमंत्रण आने के बाद ही सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया दी जाएगी। सितंबर, 2020 में संयुक्त राष्ट्र का सालाना अधिवेशन अमेरिका में होता है और तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्ष उसमें शिरकत करते हैं। यही वह है कि ट्रंप ने सितंबर में ही इस नए समूह की बैठक बुलाने का प्रस्ताव किया है।
ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव से पहले बैठक बुलाकर चीन विरोधी छवि को और पुख्ता करना चाहते हैं
कूटनीतिक सर्किल में माना जा रहा है कि ट्रंप नवंबर, 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से दो महीने पहले इस बैठक को बुला कर अपनी चीन विरोधी छवि को और पुख्ता करने की मंशा रखते हैं।
सीमा विवाद बढ़ाकर चीन ने दिया भारत को संदेश, अमेरिका की चीन विरोधी गतिविधियों में हिस्सा न लें
ऐसे में भारत काफी सोच विचार कर फैसला करेगा। खास तौर पर तब जब चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ चुका है। देश के प्रमुख रणनीतिक विशेषज्ञ ब्रम्हा चेलानी मानते हैं कि चीन ने हाल ही में पूर्वी लद्दाख सीमा पर अपने सैनिक गतिविधियों को बढ़ाने के अलावा नेपाल और भारत के बीच भी सीमा विवाद को बढ़ाने का काम किया है। इसका मकसद यही है कि भारत को यह संदेश दिया जाए कि वह अमेरिका की चीन विरोधी गतिविधियों में हिस्सा न बने।