लॉकडाउन 4.0 में एक अहम घटनाक्रम देश में करीब दो महीने के बाद घरेलू उड़ानों को फिर से इजाजत मिलना भी रहा. देश के व्यस्ततम एयरपोर्ट्स में से एक माने जाने वाले मुंबई एयरपोर्ट से भी 25 मई से घरेलू उड़ानें शुरू हो गईं. यहां मौजूदा स्थिति में हर दिन 25 विमान टेक ऑफ कर रहे हैं. इतनी संख्या में ही यहां लैंडिंग हो रही है. कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश के एयरपोर्ट्स पर कड़े उपाय किए गए हैं. मुंबई Covid-19 हॉटस्पॉट है, इसलिए यहां एयरपोर्ट पर भी खास सतर्कता बरती जा रही है.
मुंबई एयरपोर्ट पर इस वक्त टर्मिनल 2 (T2) ही ऑपरेशनल है. एयरपोर्ट के बाहर पहुंचते ही यहां उस व्यवस्था में काफी बदलाव महसूस किया जा सकता है, जो लॉकडाउन से पहले यहां सामान्य दिनों में हुआ करती थी. पहले वाहन से निकलने के एंट्रेंस तक पहुंचने के लिए तीन लाइन हुआ करती थीं. सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए अब यहां यात्रियों के लिए दो लाइन ही उपलब्ध है. यात्री वाहन से अपनी एयरलाइंस के साइन बोर्ड के पास उतर सकते हैं, फिर वहां से एंट्रेंस तक पहुंचने के लिए लंबी कतार में लगना पड़ता है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए एयरपोर्ट पर फ्लावर मार्किंग की गई है.
वेब चेक-इन अनिवार्य
यात्रियों को फ्लाइट टाइम से दो घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचना जरूरी है. साथ ही अब वेब चेक-इन अनिवार्य कर दिया गया है. एंट्रेंस पर यात्री का टेम्प्रेचर लिया जाता है. फिर आई कार्ड, वेब चेक-इन डिटेल्स CISF कर्मी को देनी पड़ती है. आरोग्य सेतु ऐप भी एंट्री से पहले देखा जाता है. उस पर ग्रीन यानी ‘लो रिस्क’ दिखने पर ही एंट्री दी जाती है. अगर ऐप पर रेड स्टेट्स दिखता है तो यात्री को टेम्परेरी आइसोलेशन सेंटर में भेजा जाता है. उल्लंघन पर नागरिक प्रशासन को इसकी सूचना दी जाती है.
अगर किसी के पास आरोग्य सेतु के लिए स्मार्टफोन नहीं है तो उस यात्री से सेल्फ डिक्लेयरेशन फॉर्म भरवाया जाता है. इन सबमें वक्त लगता है, इसलिए कतार भी लंबी देखी जा सकती हैं.
एंट्रेस पर CISF कर्मी शीशे के पीछे से ही आईकार्ड देखता है. यात्री को वेब चेक-इन का बारकोड मोबाइल पर स्कैन करना होता है. एंट्रेस पर सैनिटाइजर्स के साथ ब्लीच्ड डोरमैट भी उपलब्ध हैं, जिससे जूतों के तले की सफाई हो सके. अगर वेब चेक-इन नहीं है, तो हर एंट्रेस पर गाइडेंस देने के लिए एयरलाइन्स कर्मी मौजूद रहते हैं.
सेल्फ सर्विस किओस्क
मेन एंट्रेस से एयरपोर्ट में दाखिल होने के बाद यात्री को सेल्फ सर्विस किओस्क के पास जाना होता है. यहां पहले की तरह बोर्डिंग पास और टैग्स प्रिंट किए जा सकते हैं. अगर चेक-इन बैगेज नहीं तो यात्री सीधा सिक्योरिटी चेक की ओर जा सकता है. लगेज ड्रॉप के पहले की तरह कतार में लगना पड़ता है. यहां एयरलाइन कर्मी शीशे के पीछे मौजूद रहते हैं. वो लगेज या बैग्स को टच नहीं करते. आईकार्ड चेक शीशे के पार से मैग्नीफायर से किया जाता है. बैग्स को लोडिंग के लिए भेजने से पहले टैग्स बारकोड की स्कैनिंग भी की जाती है.
सिक्योरिटी चेक
सिक्योरिटी कर्मी खुद ही सोशल डिस्टेंसिंग का बहुत ध्यान रख रहे हैं. वो यात्रियों या लगेज से न्यूनतम कॉन्टेक्ट करते हैं. ये सभी मास्क, शील्ड, ग्लव्स से लैस रहते हैं. कुछ PPE किट्स के साथ भी देखे जाते हैं. पैसेंजर लगेज के स्कैनर्स पर जाने के दौरान ये स्टिक्स का इस्तेमाल करते हैं. जिन टब्स में बैग्स, फोन, बेल्ट, घड़ियां, शूज रखे जाते हैं उन्हें हर यूज के बाद सैनेटाइज किया जाता है.
CISF कर्मी ज्यादा होने के बावजूद फिजीकल स्कैनिंग कम हो रही है. यात्री को खुद ही सुनिश्चित करना होता है मेटल डिटेक्टर बीप न करे और रेड ना हो. इसके लिए यात्री घड़ी, जूते तक उतार देते हैं और हाथ ऊपर हवा में रखते हैं.
वॉशरूम्स में सोशल डिस्टेंसिंग
एयरपोर्ट्स पर हाथ साफ करने के लिए सैनेटाइजर्स जगह जगह रखे गए हैं. साथ ही अब यात्री हैंड सैनेटाइजर्स की 350 मिली की बॉटल साथ ले जा सकता है. पहले सिर्फ 100 मिली ही साथ ले जाने की इजाजत थी. पब्लिक वाटर फाउंटेंस को बंद कर दिया गया है. अब सिर्फ पानी की बोतलों की रीफिलिंग कर सकते हैं. यूरिनल्स अब आल्टरनेट क्रम में उपलब्ध हैं. वॉशबेसिन्स ऑपरेशनल हैं लेकिन हैंड ड्रायर्स अब यूज नही किए जा सकते.
एयरपोर्ट पर पीले रंग के बिन्स उपलब्ध हैं जहां यूज्ड हैंड ग्लव्स, मास्क, PPE किट्स को डिस्पोज ऑफ किया जा सकता है. बायोमेडिकल कचरा उठाने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ने नियमों के मुताबिक कॉन्ट्रेक्टर की व्यवस्था की है.
मुंबई शहर में दुकानें बंद, एयरपोर्ट पर खुलीं
एयरपोर्ट पर दुकानों पर ग्राहकों के लिए खास हिदायतें हैं. कुछ ने तो जूते उतार कर दुकान में प्रवेश की बात लिखी हुई है. कुछ दुकानदार टेम्प्रेचर चेक भी लेते हैं. हैंड सैनेटाइजर का यूज अनिवार्य है. एयरपोर्ट पर कॉफी शॉप और बेकरी स्टोर भी खुले दिखे. लॉकडाउन की वजह से दुकानों के कर्मचारी नहीं पहुंच पा रहे हैं. इसलिए एयरपोर्ट पर 50 फीसदी से कम ही दुकानें खुली हैं.
लाउंज भी खुला
अगर किसी यात्री के पास ज्यादा वक्त है तो यात्री लाउंज खुला है. लाउंज मैनेजर ललित गंगावाने कहते हैं, ‘’अगर कोई यात्री आता है तो टेम्प्रेचर फिर नापा जाता है और सैनेटाइजर यूज के लिए दिया जाता है. सीटिंग अरेंजमेंट में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है. हम यात्रियों से न्यूनतम कॉन्टेक्ट कर रहे हैं. ऑर्डर डिजिटली लिया जाता है. सब कुछ साफ सफाई से सर्व किया जाता है.”
डिपार्चर
क्योंकि मुंबई एक साइलेंट एयरपोर्ट है इसलिए यहां एनाउंसमेंट्स नहीं की जातीं. यात्रियों को खुद ही अपने बोर्डिंग गेट्स तक जाना होता है. सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से कतारों की लंबाई ज्यादा है. एयरलाइन की तरफ जाने से पहले आई कार्ड और बोर्डिंग पास की फिर स्कैनिंग होती है. एयरलाइंस की ओर से हर यात्री को पाउच दिए जा रहे हैं जिसमें मास्क, शील्ड और सैनेटाइजर्स होते हैं.
एराइवल
विमान से उतरने के बाद यात्री एयरपोर्ट पर लगेज कलेक्ट करने के लिए कन्वेयर बेल्ट तक पहुंचते हैं. यहां सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए नियमित तौर पर एनाउंसमेट्स होती हैं. यहां बेल्ट के पास वेटिंग के लिए प्लास्टिक चेयर्स भी उपलब्ध हैं लेकिन यात्री बहुत कम ही इनका इस्तेमाल करते हैं.
बेल्ट के पास खड़े होने के लिए भी सोशल डिस्टेंसिंग की मार्किंग की गई है. लगेज कलेक्ट करने के बाद बाहर से आए यात्रियों को BMC के अधिकारियों के काउंटर्स की ओर जाना होता है. एग्जिट एरिया को सिर्फ दो कतारों के लिए कॉर्डन ऑफ किया गया है. यहां सभी यात्रियों का टेम्प्रेचर लिया जाता है. फिर एक अधिकारी हाथ पर अनिवार्य 14 दिन के होम आइसोलेशन की मुहर लगाता है.
आगे का प्लान
लॉकडाउन खत्म होने के बाद मुंबई में एयरपोर्ट अथॉरिटी का इरादा यात्रियों की सुरक्षा के लिए टैक्सियो को सैनेटाइज करने का है. सूत्र ने बताया, “प्रीपेड टैक्सियों को यात्रियों की हर ड्रॉपिंग के बाद सैनेटाइज किया जाएगा. सभी ड्राइवर्स का भी टेम्प्रेचर चेक किया जाएगा.”