वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष एक ट्वीट के जरिए सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं। ट्वीट में उन्होंने सावरकर को महात्मा गांधी की हत्या का जिम्मेदार माना है। गुरुवार (28 मई, 2020) को आशुतोष ने ट्वीट कर लिखा, 'सावरकर से नहीं हट सकता गांधी की हत्या और अंग्रेजों से माफी मांगने का दाग।' अपनी इस बात के समर्थन में उन्होंने एक खबर का लिंक भी शेयर किया है, जिसमें कपूर कमीशन के एक कोट का हवाला देते हुए कहा गया, 'सभी तथ्य एक साथ रखे जाएं तो स्पष्ट होता है कि महात्मा गांधी की हत्या में सावरकर और उनके संगठन का ही हाथ था।' लेख में कहा गया कि कपूर कमीशन को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू या इंदिरा गांधी ने नहीं, लालबहादुर शास्त्री सरकार ने गठित किया था। सवाल है कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी? अपने इस ट्वीट के बाद आशुतोष सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं। ट्विटर यूजर अजीत पांडे @Ajitpan81693849 उन्हें 24 साल पुरानी घटना याद दिलाते हुए लिखते हैं, 'काशीराम ने जो तमाचा मुंह पर मारा था आज तक उसका निशान नहीं हट पाया है??' दरअसल मामला साल 1996 का है। तत्कालीन बसपा नेता कांशीराम के आवास के बाहर पत्रकारों की खासी भीड़ जमा थी। पत्रकार उनके कमरे में घुसकर साक्षात्कार लेने पर उतारू थे। इस दौरान जब कांशीराम बाहर निकले तो पत्रकार बाइट लेने के लिए उनकी तरफ दौड़ पड़े। इस पर नाराज दिवंगत नेता ने पत्रकारों में मौजूद आशुतोष को थप्पड़ जड़ दिया। इसके बाद उनके कार्यकर्ताओं ने भी आशुतोष के साथ अन्य पत्रकारों को बाहर निकाल दिया। इसी तरह द्वारका @daiya_dwarka लिखते हैं, 'तुम आज हो कल नहीं रहोगे। सावरकर अमर हैं और अमर रहेंगे। गांधी जी की जिसने हत्या की थी उसकी वजह जनता जानती है। तभी तो गोडसे को महान बताया जाता है।' गोपाल सनातनी @GopalSa22721269 लिखते हैं, 'चांटा याद है क्या वो दाग जिंदगी से नहीं हटेगा। आजतक झनझनाहट कायम हैं। अब तो बता दो क्यों मारा..??' Coronavirus in India LIVE updates अरविंद ठाकुर @arvindsthakur लिखते हैं, 'आशुतोष से नहीं हट सकता कांशीराम से पिटने का दाग।' सुनील बिरला @sunilbirla8 लिखते हैं, 'नेहरू जेल में बैठकर अपनी बेटी को रोज खत लिखते थे। अपनी पसंद का खाना खाते थे। गद्देदार बिस्तर पर सोते थे। और माफीवीर सावरकर को कहते हैं। धन्य हो इतिहास लिखने वालों, इरफ़ान हबीब और रोमिला थापर।'