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यूरोपीय संघ का 750 अरब यूरो का विशाल कोष बनाने का प्रस्ताव
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यूरोपीय कमीशन ने कोरोना संकट से उबरने के लिए 750 अरब यूरो यानी लगभग
620 खरब रुपए का एक विशाल रिकवरी फ़ंड बनाने का प्रस्ताव किया है.
इस कोष से हरेक सदस्य देश को मदद और कर्ज़ दिया जाएगा.
कोरोना महामारी की वजह से यूरोपीय संघ के 27 देशों की अर्थव्यवस्था को
चोट पहुँची है मगर इस संगठन के कई सदस्य महामारी से पहले ही भारी कर्ज़ में डूबे
हुए थे.
यूरोपीय संघ के कुछ देश जैसे ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड्स, डेनमार्क और
स्वीडन जैसे देश दूसरे देशों की मदद के लिए कर्ज़ की व्यवस्था का भार अपने कंधों
पर लेने के पक्ष में नहीं हैं.
उनका कहना है कि इसके बदले जिन देशों को ज़रूरत हो उन्हें कम ब्याज़
पर कर्ज़ देने के बारे में सोचा जाना चाहिए.
ऐसे में यूरोपीय संघ प्रमुख अर्सला वॉन डर लेयेन को रिकवरी फ़ंड बनाने
के लिए ऐसे देशों को राज़ी कराना होगा जिन्हें इसकी उपयोगिता पर संदेह है.
ब्रेकिंग न्यूज़लॉकडाउन पीढ़ी पर 'दशकों तक रह सकता है असर'
Getty ImagesCopyright: Getty Images
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने चेतावनी दी है
कि कोरोना महामारी से दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाओं को धक्का लगा है और बेरोज़गारी
बढ़ी है, और इसमें युवा कर्मचारियों पर ज़्यादा असर पड़ा है.
संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने एक रिपोर्ट में
कहा है कि 29 साल से कम उम्र का हर छह में से एक या एक से ज़्यादा व्यक्ति ने काम
बंद कर दिया है जिसमें युवा महिलाओं पर सबसे गंभीर प्रभाव पड़ा है.
संस्था का कहना है कि इस संकट से लॉकडाउन पीढ़ी की रोज़गार की
संभावनाओं पर असर पड़ सकता है जो कई दशकों तक दिखाई देता रह सकता है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के प्रमुख गाइ राइडर ने कहा,"लोगों की ज़िंदगियों महामारी के तत्काल प्रभाव का दाग़ स्थायी रूप से बना
रहेगा."
संस्था का कहना है कि एक ओर जहाँ इस वायरस से
350,000 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है, वहीं इससे नौकरियाँ ख़त्म हुई हैं, शिक्षा बाधित हुई
है और नौकरियाँ चाहने वाले लोगों की राह में बाधाएँ आ खड़ी हुई हैं.
संगठन ने युवाओं की मदद के लिए तत्काल और बड़े पैमाने पर मदद के लिए
योजनाएँ चलाए जाने की अपील की है.
ब्रेकिंग न्यूज़हरियाणा में बिना मास्क या थूकते पकड़े जाने पर 500 रुपए का जुर्माना होगा
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा है कि राज्य में सार्वजनिक स्थलों पर बिना मास्क लगाए पाए पर 500 रुपए का जुर्माना लगेगा. इसी तरह सार्वजनिक स्थलों पर थूकते देखे जाने पर भी 500 रुपए का दंड देना होगा.
वाराणसी स्टेशन पर श्रमिक स्पेशल में दो प्रवासियों की मौत
समाचार एजेंसी पीटीआई ने उत्तर-पूर्व रेलवे के प्रवक्ता के हवाले से
बताया है कि उत्तर प्रदेश में वाराणसी स्टेशन पर एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में दो
प्रवासी मृत पाए गए हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़रेलवे बिना हमें बताए ट्रेन चला रही है, पीएम दखल दें - ममता बनर्जी
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि प्रवासी मज़दूरों की वापसी के लिए रेल मंत्रालय अपनी मर्ज़ी से रेलगाड़ियाँ चला रहा है.
उन्होंने कहा,"हमारी जानकारी के बिना 36 ट्रेनें मुंबई से आ रही हैं. मैंने महाराष्ट्र के साथ बात की, उन्हें भी सूचना देर से मिली. रेलवे अपनी मर्ज़ी से इसकी योजना बना रही है."
ममता बनर्जी ने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की.
उन्होंने कहा,"मैं प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से आग्रह करूँगी कि वो श्रमिक ट्रेनों के आने पर नज़र रखेंं ताकि पश्चिम बंगाल में संक्रमण ना बढ़ जाए. प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए."
इस बीच पश्चिम बंगाल में 183 नए रोगियों की पुष्टि हुई है जिसके बाद राज्य में संक्रमित रोगियों की संख्या बढ़कर 4,192 हो गई है.
ब्रेकिंग न्यूज़30 मई को होगा पंजाब में लॉकडाउन के बारे में एलान
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 30 मई को पंजाब में लॉकडाउन को बढ़ाने या हटाने के बारे में एलान करेंगे. पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. देश भर में लॉकडाउन 31 मई तक लागू है.
राहुल गांधी ने भारतीय मूल के जाने माने अमरीकी स्वास्थ्य विशेषज्ञ आशीष झा से बात की.
ब्रेकिंग न्यूज़हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विनः फ़्रांस ने लगाई रोक, पर कई देशों में संक्रमण से बचाने वाली दवा बता इस्तेमाल जारी
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हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन नाम की मलेरिया की दवा से कोरोना
वायरस के संक्रमण का इलाज होने के दावों को एक बड़ा आघात लगा है जब फ़्रांस में
कोविड रोगियों के इलाज के लिए इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई.
फ़्रांस
सरकार ने कहा है कि दो सलाहकार संस्थाओं ने ये पाया कि इस दवा के सेहत से जुड़े गंभीर
प्रभाव हो सकते है जिसके बाद वहाँ डॉक्टरों के इस दवा को लेने पर रोक लगा दी गई है
जो एहतियात के तौर पर इसका सेवन कर रहे थे.
पर कई देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है और कई देशों
में इसपर रिसर्च किया जा रहा है.
अमरीका में सरकार ने अस्पतालों में रोगियों को
आपातकाल परिस्थितियों में इस दवा के इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी है. लेकिन उसने
चेतावनी दी है कि अस्पतालों के बाहर या शोध से अलग इस दवा का प्रयोग नहीं किया जाए
क्योंकि इससे दिल को ख़तरा हो सकता है. हालाँकि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप खुलकर इस
दवा को समर्थन देते रहे हैं और उन्होंने कहा कि वे ख़ुद एहतियात के तौर पर इस दवा
का सेवन करते रहे हैं.
ब्राज़ील में भी इस दवा पर लगी पाबंदियों में ढील दी
गई है और साधारण मामलों से लेकर अस्पतालों में गंभीर रूप से बीमार रोगियों को ये
दवा देने की छूट दे दी गई है. ब्राज़ील के राष्ट्रपति जेर बोल्सोनारो इस दवा के
इस्तेमाल के पक्षधर रहे हैं.
भारत
सरकार ने इसके इस्तेमाल के दायरे को और बढ़ाकर अब इसे एहतियाती दवा के तौर पर
स्वास्थ्यकर्मियों को देना तय किया है.
मगर अब किसी भी रिसर्च में ये नहीं कहा गया है कि ये
दवा कोरोना संक्रमण का इलाज है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस सप्ताह सुरक्षा
कारणों से इस दवा के परीक्षण पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी.
लेकिन और कुछ जगह अध्ययन हो रहे हैं, जैसे स्विस दवा
कंपनी नोवार्टिस अमरीका में परीक्षण कर रही है. ऐसे ही ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के
समर्थन से थाईलैंड में महिडोल ऑक्सफ़ोर्ड ट्रॉपिकल मेडिसीन रिसर्च यूनिट में भी एक
शोध हो रहा है.
अफ़्रीकी
देश नाइजीरिया ने कहा है कि वो इस दवा से जुड़ी एक और दवा क्लोरोक्वीन के क्लीनिकल
ट्रायल के लिए दबाव डालेगा.
बीबीसी हिंदी पर कीर्तीश का कार्टून
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ब्रेकिंग न्यूज़सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- 'मुफ़्त ज़मीन लेने वाले प्राइवेट अस्पताल मुफ़्त इलाज क्यों नहीं कर सकते'
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र
सरकार से पूछा कि जिन निजी अस्पतालों को मुफ़्त जम़ीन दी गई है वो कोरोना वायरस
मरीज़ों का मुफ़्त या मामूली फ़ीस में इलाज क्यों नहीं कर सकते.
कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह के
अंदर जवाब मांगा है और कहा है कि जो अस्पताल मरीज़ों का मुफ़्त या मामूली फ़ीस में
इलाज कर सकते हैं उनकी पहचान की जाए.
सचिन जैन नामक व्यक्ति की याचिका पर
सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में मांग की गई थी कि कोविड-19 मरीज़ों
के लिए मुफ़्त या बहुत ही मामूली क़ीमत पर इलाज के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं.
मुख्य न्यायाधीश एस.ए बोबड़े की अध्यक्षता
में तीन सदस्यीय पीठ ने इस पर सुनवाई की और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से एक सप्ताह
के अंदर विस्तृत रिपोर्ट की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा,“निजी अस्पतालों को जब मुफ़्त में ज़मीन दी जा सकती है तो वे कोविड-19 मरीज़ों
का मुफ़्त इलाज क्यों नहीं कर सकते. उन्हें मुफ़्त में या बेहद मामूली क़ीमत पर ज़मीन
दी गई हो तो उन चेरिटेबल अस्पतालों को उनका मुफ़्त में इलाज करना चाहिए.”
प्रवासी मज़दूरों के मामले पर कल सुनवाई
वहीं, कल सुप्रीम कोर्ट ने देश में फंसे
प्रवासी मज़दूरों के हालात पर ख़ुद संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को
उनके लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों
को कहा था कि उनके द्वारा उठाए गए क़दमों में कमियां हैं.
प्रवासी मज़दूरों से संबंधित मामले पर कल
सुनवाई होगी.
कोविड-19: ब्राज़ील में हालात किस तेज़ी से बदले, 1 से क़रीब 25 हज़ार मौतों तक
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26 फ़रवरी 2020 तक ब्राज़ील में कोरोना वायरस संक्रमण का
कोई केस दर्ज नहीं हुआ था. यानी चीन के बाहर जब कोविड-19 का पहला केस दर्ज हुआ, तब
से लगभग एक महीने बाद तक भी ब्राज़ील में कोई केस नहीं था.
लेकिन 26 फ़रवरी को साओ पाउलो में, जो कि ब्राज़ील का सबसे
घनी आबादी वाला शहर है, एक केस सामने आया.
मरीज़ एक 61 वर्षीय बुज़ुर्ग थे जो उत्तरी इटली के
लॉमबार्डी इलाक़े की यात्रा करके लौटे थे.
लॉमबार्डी इटली का वो क्षेत्र है, जहाँ कोरोना वायरस ने
सबसे अधिक नुकसान किया, एक बड़ी आबादी कोरोना से संक्रमित हुई और सबसे ज़्यादा
मौतें भी वहीं हुईं.
आधिकारिक रूप से इन 61 वर्षीय बुज़ुर्ग को ही ब्राज़ील में
कोविड-19 का पहला केस कहा जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि ‘वायरस इससे काफ़ी पहले ब्राज़ील में आ चुका होगा.’
जैसे अप्रैल के पहले सप्ताह तक ब्राज़ील में आधिकारिक रूप
से मरने वालों की संख्या पर नज़र नहीं जा रही थी, लेकिन बाद में मानो एक विस्फोट
हुआ और अब तक ब्राज़ील में कोविड-19 से 24,512 लोगों की मौत हो चुकी है.
11 अप्रैल को बताया गया कि दक्षिणी गोलार्ध पर स्थित देशों
में ब्राज़ील पहला ऐसा देश है जहाँ मरने वालों की संख्या एक हज़ार से ज़्यादा हो
गई है.
उस समय तक यह थ्योरी भी काफ़ी चल रही थी कि ‘गर्म देशों में कोरोना वायरस का वैसा असर नहीं होगा जैसा यूरोप
के ठंडे देशों में देखना को मिला.’
17 मई तक ब्राज़ील में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की
संख्या स्पेन और इटली से ज़्यादा हो गई थी और अब ब्राज़ील दुनिया का दूसरा ऐसा देश
बन गया जहाँ कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज हुए हैं.
अमरीका, स्पेन, फ़्रांस, इटली और ब्रिटेन में अभी
भी कोविड-19 से मरने वालों की संख्या ब्राज़ील से ज़्यादा है. मगर वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने एक अध्ययन के बाद यह
चेतावनी दी है कि ब्राज़ील में मरने वालों की संख्या पाँच गुना बढ़कर, अगस्त तक एक
लाख 25 हज़ार हो सकती है.
हाल ही में अमरीका ने कहा है कि ब्राज़ील से आने वाले किसी
यात्री को वो अपने यहाँ एंट्री नहीं देंगे.
लेकिन फ़रवरी से लेकर अप्रैल तक ब्राज़ील के राष्ट्रपति ज़ायर
बोलसेनारो कोरोना वायरस संक्रमण की तुलना ‘सामान्य
सर्दी ज़ुकाम’ से करते रहे और वे दावा करते रहे कि ‘मीडिया देश में भय का माहौल बना रहा है, इस संक्रमण से इतना डरने की
ज़रूरत नहीं है.’
उन्होंने यह भी कहा कि ‘अर्थव्यवस्था
को जीवंत रखना ज़्यादा ज़रूरी है, इसलिए बुजुर्ग लोग घरों में रहें, लेकिन बाकी
लोग अपने काम-धंधे करते रहें.’
नीचे दिए ग्राफ़ में आप देख सकते हैं कि कैसे चीन ने अपने
यहाँ संक्रमण को एक स्तर पर रोक दिया, जबकि ब्राज़ील ने चीन को पीछे छोड़ दिया है.
'2021 की शुरुआत में मिलेगा कोविड-19 का टीका', राहुल गांधी से चर्चा में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर का दावा
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर आशीष झा ने कहा है कि ‘तीन टीकों ने ट्रायल में कोरोना वायरस संक्रमण के ख़िलाफ़ बढ़िया
नतीजे दिये हैं जिनमें से कोई एक टीका अगले वर्ष की शुरुआत में निश्चित रूप से तैयार
हो जाएगा.’
कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी के साथ वीडियो
कॉन्फ़्रेंस में प्रोफ़ेसर आशीष झा ने यह दावा किया है.
प्रोफ़ेसर आशीष ने कहा, "अमरीका,
चीन और ब्रिटेन में चल रहे टीकों के ट्रायल के शुरुआती नतीजे बढ़िया हैं. अभी यह
उम्मीद की जा सकती है कि अगले वर्ष की शुरुआत में इनमें से कोई एक टीका कोविड-19
की रोकथाम में प्रभावी साबित होगा. भारत को इसके लिए प्लान तैयार करना चाहिए कि
उन्हें अपने लोगों के लिए यह टीका किस तरह हासिल करना है."
प्रोफ़ेसर आशीष हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के
डायरेक्टर हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर उन्होंने काफ़ी काम किया है.
जब राहुल गांधी ने प्रोफ़ेसर आशीष से पूछा कि क्या बीसीजी
का टीका मददगार है? और क्या कोरोना वायरस तेज़ गर्मी में
निष्क्रिय हो सकता है? तो उन्होंने जवाब दिया, "बीसीजी का टीका मददगार हो सकता है. इसके कुछ संकेत भी मिलते हैं, पर इनके
आधार पर पुख्ता तरीक़े से कुछ नहीं कहा जा सकता. रही बात गर्मी की तो अभी तक तो
ऐसा नहीं देखा गया कि गर्मी का इस वायरस पर कुछ असर पड़ा हो. लेकिन यह देखा गया है
कि खुली जगह में होने पर संक्रमण का ख़तरा किसी बंद जगह की तुलना में कम होता है."
प्रोफ़ेसर आशीष ने कहा कि ‘टेस्टिंग की संख्या बढ़ाकर ही कोविड-19 को रोकना संभव है, संक्रमित लोगों का जितना तेज़ी से पता लगेगा, उतनी जल्दी ही इसे रोकने के प्रयास किये जा सकेंगे.’
हालांकि राहुल गांधी ने उन्हें बताया कि ‘कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे कहा है कि ज़्यादा टेस्ट करने का मतलब है लोगों को इस बीमारी से डराना.’
राहुल गांधी ने कहा, “जब मैंने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से सवाल किया कि टेस्टिंग के नंबर कम क्यों हैं? तो उनकी दलील थी कि ज़्यादा टेस्ट करेंगे तो लोग ज़्यादा डरेंगे. लोगों में डर बैठेगा. लेकिन ये बात वो अनाधिकारिक रूप से कहते हैं.”
राहुल गांधी बीते कुछ दिनों से, अलग-अलग क्षेत्रों के सम्मानित लोगों से वीडियो कॉल पर चर्चा कर रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और नॉबेल पुरस्कार से नवाज़े गए अभिजीत बनर्जी से कोविड-19 संकट पर चर्चा की थी.
‘दुनिया के ज़्यादातर बड़े नेता ‘ट्रप वाली दवा’ ले रहे’
एल सल्वाडोर के राष्ट्रपति का कहना है कि ‘दुनिया के सभी बड़े नेता’ कोरोना वायरस
संक्रमण से बचाव के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ले रहे हैं.
यह दवा अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी ले चुके हैं.
उन्होंने एक प्रेस वार्ता में यह बात स्वीकार भी की थी. लेकिन एक जाँच में इस दवा
को कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में नाकाम पाया गया है.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन मूल रूप से मलेरिया के इलाज के लिए
विकसित की गई दवा है.
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 की रोकथाम के
लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के सभी ट्रायल यह कहते हुए रद्द कर दिये थे कि कोरोना
संक्रमण के मामलों में इस दवा का कोई असर होता हो, ऐसा नहीं पाया गया है.
बल्कि कुछ विशेषज्ञों ने दावा किया है कि यह दवा कोविड-19
के मरीज़ों को नुक़सान कर सकती है.
इसी रविवार ट्रंप ने बताया था कि वे अब हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन
का सेवन नहीं कर रहे. लेकिन आज एल सल्वाडोर के 38 वर्षीय राष्ट्रपति नायिब बुकेले
ने कहा कि वे और उनके अन्य नेता हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ले रहे हैं.
उन्होंने कहा, “मैं रोगनिरोधी
दवा के तौर पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ले रहा हूँ. राष्ट्रपति ट्रंप यह दवा ले
चुके हैं और दुनिया के अन्य बड़े नेता भी कोविड-19 से बचाव के लिए इस दवा का सेवन
कर रहे हैं.”
लाइव रिपोर्टिंग
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कोरोना संक्रमण : पटना, लखनऊ, मुंबई और कोलकाता में कितने मामले, भारत और दुनिया में कितने हैं मरीज़?
कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले हर दिन लगातार बढ़ रहे हैं. लेकिन कहां कितने मरीज़ सामने आ रहे हैं, पल-पल का हाल.
और पढ़ेंकोरोना वायरस के क्या हैं लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव
जेम्स गैलाघर
स्वास्थ्य और विज्ञान संवाददाता
कोरोना वायरस तेज़ी से पूरी दुनिया में फैल रहा है. जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीक़े.
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यूरोपीय संघ का 750 अरब यूरो का विशाल कोष बनाने का प्रस्ताव
यूरोपीय कमीशन ने कोरोना संकट से उबरने के लिए 750 अरब यूरो यानी लगभग 620 खरब रुपए का एक विशाल रिकवरी फ़ंड बनाने का प्रस्ताव किया है.
इस कोष से हरेक सदस्य देश को मदद और कर्ज़ दिया जाएगा.
कोरोना महामारी की वजह से यूरोपीय संघ के 27 देशों की अर्थव्यवस्था को चोट पहुँची है मगर इस संगठन के कई सदस्य महामारी से पहले ही भारी कर्ज़ में डूबे हुए थे.
यूरोपीय संघ के कुछ देश जैसे ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड्स, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश दूसरे देशों की मदद के लिए कर्ज़ की व्यवस्था का भार अपने कंधों पर लेने के पक्ष में नहीं हैं.
उनका कहना है कि इसके बदले जिन देशों को ज़रूरत हो उन्हें कम ब्याज़ पर कर्ज़ देने के बारे में सोचा जाना चाहिए.
ऐसे में यूरोपीय संघ प्रमुख अर्सला वॉन डर लेयेन को रिकवरी फ़ंड बनाने के लिए ऐसे देशों को राज़ी कराना होगा जिन्हें इसकी उपयोगिता पर संदेह है.
ब्रेकिंग न्यूज़लॉकडाउन पीढ़ी पर 'दशकों तक रह सकता है असर'
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने चेतावनी दी है कि कोरोना महामारी से दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाओं को धक्का लगा है और बेरोज़गारी बढ़ी है, और इसमें युवा कर्मचारियों पर ज़्यादा असर पड़ा है.
संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने एक रिपोर्ट में कहा है कि 29 साल से कम उम्र का हर छह में से एक या एक से ज़्यादा व्यक्ति ने काम बंद कर दिया है जिसमें युवा महिलाओं पर सबसे गंभीर प्रभाव पड़ा है.
संस्था का कहना है कि इस संकट से लॉकडाउन पीढ़ी की रोज़गार की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है जो कई दशकों तक दिखाई देता रह सकता है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के प्रमुख गाइ राइडर ने कहा,"लोगों की ज़िंदगियों महामारी के तत्काल प्रभाव का दाग़ स्थायी रूप से बना रहेगा."
संस्था का कहना है कि एक ओर जहाँ इस वायरस से 350,000 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है, वहीं इससे नौकरियाँ ख़त्म हुई हैं, शिक्षा बाधित हुई है और नौकरियाँ चाहने वाले लोगों की राह में बाधाएँ आ खड़ी हुई हैं.
संगठन ने युवाओं की मदद के लिए तत्काल और बड़े पैमाने पर मदद के लिए योजनाएँ चलाए जाने की अपील की है.
ब्रेकिंग न्यूज़हरियाणा में बिना मास्क या थूकते पकड़े जाने पर 500 रुपए का जुर्माना होगा
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा है कि राज्य में सार्वजनिक स्थलों पर बिना मास्क लगाए पाए पर 500 रुपए का जुर्माना लगेगा. इसी तरह सार्वजनिक स्थलों पर थूकते देखे जाने पर भी 500 रुपए का दंड देना होगा.
वाराणसी स्टेशन पर श्रमिक स्पेशल में दो प्रवासियों की मौत
समाचार एजेंसी पीटीआई ने उत्तर-पूर्व रेलवे के प्रवक्ता के हवाले से बताया है कि उत्तर प्रदेश में वाराणसी स्टेशन पर एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में दो प्रवासी मृत पाए गए हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़रेलवे बिना हमें बताए ट्रेन चला रही है, पीएम दखल दें - ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि प्रवासी मज़दूरों की वापसी के लिए रेल मंत्रालय अपनी मर्ज़ी से रेलगाड़ियाँ चला रहा है.
उन्होंने कहा,"हमारी जानकारी के बिना 36 ट्रेनें मुंबई से आ रही हैं. मैंने महाराष्ट्र के साथ बात की, उन्हें भी सूचना देर से मिली. रेलवे अपनी मर्ज़ी से इसकी योजना बना रही है."
ममता बनर्जी ने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की.
उन्होंने कहा,"मैं प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से आग्रह करूँगी कि वो श्रमिक ट्रेनों के आने पर नज़र रखेंं ताकि पश्चिम बंगाल में संक्रमण ना बढ़ जाए. प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए."
इस बीच पश्चिम बंगाल में 183 नए रोगियों की पुष्टि हुई है जिसके बाद राज्य में संक्रमित रोगियों की संख्या बढ़कर 4,192 हो गई है.
ब्रेकिंग न्यूज़30 मई को होगा पंजाब में लॉकडाउन के बारे में एलान
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 30 मई को पंजाब में लॉकडाउन को बढ़ाने या हटाने के बारे में एलान करेंगे. पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. देश भर में लॉकडाउन 31 मई तक लागू है.
कोरोना वायरस पर बीबीसी हिंदी का ख़ास डिजिटल बुलेटिन 'कोरोना दिनभर'
सुनिए सर्वप्रिया सांगवान के साथ
बीबीसी हिंदी पर कोरोना विशेष डिजिटल बुलेटिन
सिडनी में समुद्र तट पर बहते हज़ारों मास्क
ऑस्ट्रेलिया में सिडनी के पास एक समुद्रतट पर हज़ारों की संख्या में मास्क पानी में बहते हुए मिले.
दरअसल हुआ ये कि चीन से एक बड़ा मालवाहक जहाज़ मास्क लेकर मेलबोर्न जा रहा था मगर मौसम बिगड़ने की वजह से जहाज़ को ब्रिस्बेन ले जाना पड़ा.
लेकिन इस बीच तूफ़ान की वजह से जहाज़ से 40 कंटेनर समुद्र में गिर गए.
इनमें रखे सामानों में मेडिकल ज़रूरत की चीज़ें भी थीं जिनमें मास्क शामिल थे.
कोरोना वायरस की वैक्सीन पर राहुल गांधी ने हार्वर्ड के प्रोफेसर से पूछा सवाल
राहुल गांधी ने भारतीय मूल के जाने माने अमरीकी स्वास्थ्य विशेषज्ञ आशीष झा से बात की.
ब्रेकिंग न्यूज़हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विनः फ़्रांस ने लगाई रोक, पर कई देशों में संक्रमण से बचाने वाली दवा बता इस्तेमाल जारी
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन नाम की मलेरिया की दवा से कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज होने के दावों को एक बड़ा आघात लगा है जब फ़्रांस में कोविड रोगियों के इलाज के लिए इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई.
फ़्रांस सरकार ने कहा है कि दो सलाहकार संस्थाओं ने ये पाया कि इस दवा के सेहत से जुड़े गंभीर प्रभाव हो सकते है जिसके बाद वहाँ डॉक्टरों के इस दवा को लेने पर रोक लगा दी गई है जो एहतियात के तौर पर इसका सेवन कर रहे थे.
पर कई देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है और कई देशों में इसपर रिसर्च किया जा रहा है.
अमरीका में सरकार ने अस्पतालों में रोगियों को आपातकाल परिस्थितियों में इस दवा के इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी है. लेकिन उसने चेतावनी दी है कि अस्पतालों के बाहर या शोध से अलग इस दवा का प्रयोग नहीं किया जाए क्योंकि इससे दिल को ख़तरा हो सकता है. हालाँकि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप खुलकर इस दवा को समर्थन देते रहे हैं और उन्होंने कहा कि वे ख़ुद एहतियात के तौर पर इस दवा का सेवन करते रहे हैं.
ब्राज़ील में भी इस दवा पर लगी पाबंदियों में ढील दी गई है और साधारण मामलों से लेकर अस्पतालों में गंभीर रूप से बीमार रोगियों को ये दवा देने की छूट दे दी गई है. ब्राज़ील के राष्ट्रपति जेर बोल्सोनारो इस दवा के इस्तेमाल के पक्षधर रहे हैं.
भारत सरकार ने इसके इस्तेमाल के दायरे को और बढ़ाकर अब इसे एहतियाती दवा के तौर पर स्वास्थ्यकर्मियों को देना तय किया है.
मगर अब किसी भी रिसर्च में ये नहीं कहा गया है कि ये दवा कोरोना संक्रमण का इलाज है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस सप्ताह सुरक्षा कारणों से इस दवा के परीक्षण पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी.
लेकिन और कुछ जगह अध्ययन हो रहे हैं, जैसे स्विस दवा कंपनी नोवार्टिस अमरीका में परीक्षण कर रही है. ऐसे ही ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के समर्थन से थाईलैंड में महिडोल ऑक्सफ़ोर्ड ट्रॉपिकल मेडिसीन रिसर्च यूनिट में भी एक शोध हो रहा है.
अफ़्रीकी देश नाइजीरिया ने कहा है कि वो इस दवा से जुड़ी एक और दवा क्लोरोक्वीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए दबाव डालेगा.
बीबीसी हिंदी पर कीर्तीश का कार्टून
ब्रेकिंग न्यूज़सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- 'मुफ़्त ज़मीन लेने वाले प्राइवेट अस्पताल मुफ़्त इलाज क्यों नहीं कर सकते'
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से पूछा कि जिन निजी अस्पतालों को मुफ़्त जम़ीन दी गई है वो कोरोना वायरस मरीज़ों का मुफ़्त या मामूली फ़ीस में इलाज क्यों नहीं कर सकते.
कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है और कहा है कि जो अस्पताल मरीज़ों का मुफ़्त या मामूली फ़ीस में इलाज कर सकते हैं उनकी पहचान की जाए.
सचिन जैन नामक व्यक्ति की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में मांग की गई थी कि कोविड-19 मरीज़ों के लिए मुफ़्त या बहुत ही मामूली क़ीमत पर इलाज के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं.
मुख्य न्यायाधीश एस.ए बोबड़े की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने इस पर सुनवाई की और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से एक सप्ताह के अंदर विस्तृत रिपोर्ट की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा,“निजी अस्पतालों को जब मुफ़्त में ज़मीन दी जा सकती है तो वे कोविड-19 मरीज़ों का मुफ़्त इलाज क्यों नहीं कर सकते. उन्हें मुफ़्त में या बेहद मामूली क़ीमत पर ज़मीन दी गई हो तो उन चेरिटेबल अस्पतालों को उनका मुफ़्त में इलाज करना चाहिए.”
प्रवासी मज़दूरों के मामले पर कल सुनवाई
वहीं, कल सुप्रीम कोर्ट ने देश में फंसे प्रवासी मज़दूरों के हालात पर ख़ुद संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को उनके लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को कहा था कि उनके द्वारा उठाए गए क़दमों में कमियां हैं.
प्रवासी मज़दूरों से संबंधित मामले पर कल सुनवाई होगी.
कोविड-19: ब्राज़ील में हालात किस तेज़ी से बदले, 1 से क़रीब 25 हज़ार मौतों तक
26 फ़रवरी 2020 तक ब्राज़ील में कोरोना वायरस संक्रमण का कोई केस दर्ज नहीं हुआ था. यानी चीन के बाहर जब कोविड-19 का पहला केस दर्ज हुआ, तब से लगभग एक महीने बाद तक भी ब्राज़ील में कोई केस नहीं था.
लेकिन 26 फ़रवरी को साओ पाउलो में, जो कि ब्राज़ील का सबसे घनी आबादी वाला शहर है, एक केस सामने आया.
मरीज़ एक 61 वर्षीय बुज़ुर्ग थे जो उत्तरी इटली के लॉमबार्डी इलाक़े की यात्रा करके लौटे थे.
लॉमबार्डी इटली का वो क्षेत्र है, जहाँ कोरोना वायरस ने सबसे अधिक नुकसान किया, एक बड़ी आबादी कोरोना से संक्रमित हुई और सबसे ज़्यादा मौतें भी वहीं हुईं.
आधिकारिक रूप से इन 61 वर्षीय बुज़ुर्ग को ही ब्राज़ील में कोविड-19 का पहला केस कहा जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि ‘वायरस इससे काफ़ी पहले ब्राज़ील में आ चुका होगा.’
जैसे अप्रैल के पहले सप्ताह तक ब्राज़ील में आधिकारिक रूप से मरने वालों की संख्या पर नज़र नहीं जा रही थी, लेकिन बाद में मानो एक विस्फोट हुआ और अब तक ब्राज़ील में कोविड-19 से 24,512 लोगों की मौत हो चुकी है.
11 अप्रैल को बताया गया कि दक्षिणी गोलार्ध पर स्थित देशों में ब्राज़ील पहला ऐसा देश है जहाँ मरने वालों की संख्या एक हज़ार से ज़्यादा हो गई है.
उस समय तक यह थ्योरी भी काफ़ी चल रही थी कि ‘गर्म देशों में कोरोना वायरस का वैसा असर नहीं होगा जैसा यूरोप के ठंडे देशों में देखना को मिला.’
17 मई तक ब्राज़ील में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या स्पेन और इटली से ज़्यादा हो गई थी और अब ब्राज़ील दुनिया का दूसरा ऐसा देश बन गया जहाँ कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज हुए हैं.
अमरीका, स्पेन, फ़्रांस, इटली और ब्रिटेन में अभी भी कोविड-19 से मरने वालों की संख्या ब्राज़ील से ज़्यादा है. मगर वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने एक अध्ययन के बाद यह चेतावनी दी है कि ब्राज़ील में मरने वालों की संख्या पाँच गुना बढ़कर, अगस्त तक एक लाख 25 हज़ार हो सकती है.
हाल ही में अमरीका ने कहा है कि ब्राज़ील से आने वाले किसी यात्री को वो अपने यहाँ एंट्री नहीं देंगे.
लेकिन फ़रवरी से लेकर अप्रैल तक ब्राज़ील के राष्ट्रपति ज़ायर बोलसेनारो कोरोना वायरस संक्रमण की तुलना ‘सामान्य सर्दी ज़ुकाम’ से करते रहे और वे दावा करते रहे कि ‘मीडिया देश में भय का माहौल बना रहा है, इस संक्रमण से इतना डरने की ज़रूरत नहीं है.’
उन्होंने यह भी कहा कि ‘अर्थव्यवस्था को जीवंत रखना ज़्यादा ज़रूरी है, इसलिए बुजुर्ग लोग घरों में रहें, लेकिन बाकी लोग अपने काम-धंधे करते रहें.’
नीचे दिए ग्राफ़ में आप देख सकते हैं कि कैसे चीन ने अपने यहाँ संक्रमण को एक स्तर पर रोक दिया, जबकि ब्राज़ील ने चीन को पीछे छोड़ दिया है.
कोरोना वायरसः आपकी नौकरी में इन्फेक्शन का कितना ख़तरा है?
कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में करोड़ों लोग घरों से ही काम कर रहे हैं.
और पढ़ें'2021 की शुरुआत में मिलेगा कोविड-19 का टीका', राहुल गांधी से चर्चा में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर का दावा
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर आशीष झा ने कहा है कि ‘तीन टीकों ने ट्रायल में कोरोना वायरस संक्रमण के ख़िलाफ़ बढ़िया नतीजे दिये हैं जिनमें से कोई एक टीका अगले वर्ष की शुरुआत में निश्चित रूप से तैयार हो जाएगा.’
कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ़्रेंस में प्रोफ़ेसर आशीष झा ने यह दावा किया है.
प्रोफ़ेसर आशीष ने कहा, "अमरीका, चीन और ब्रिटेन में चल रहे टीकों के ट्रायल के शुरुआती नतीजे बढ़िया हैं. अभी यह उम्मीद की जा सकती है कि अगले वर्ष की शुरुआत में इनमें से कोई एक टीका कोविड-19 की रोकथाम में प्रभावी साबित होगा. भारत को इसके लिए प्लान तैयार करना चाहिए कि उन्हें अपने लोगों के लिए यह टीका किस तरह हासिल करना है."
प्रोफ़ेसर आशीष हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर उन्होंने काफ़ी काम किया है.
जब राहुल गांधी ने प्रोफ़ेसर आशीष से पूछा कि क्या बीसीजी का टीका मददगार है? और क्या कोरोना वायरस तेज़ गर्मी में निष्क्रिय हो सकता है? तो उन्होंने जवाब दिया, "बीसीजी का टीका मददगार हो सकता है. इसके कुछ संकेत भी मिलते हैं, पर इनके आधार पर पुख्ता तरीक़े से कुछ नहीं कहा जा सकता. रही बात गर्मी की तो अभी तक तो ऐसा नहीं देखा गया कि गर्मी का इस वायरस पर कुछ असर पड़ा हो. लेकिन यह देखा गया है कि खुली जगह में होने पर संक्रमण का ख़तरा किसी बंद जगह की तुलना में कम होता है."
प्रोफ़ेसर आशीष ने कहा कि ‘टेस्टिंग की संख्या बढ़ाकर ही कोविड-19 को रोकना संभव है, संक्रमित लोगों का जितना तेज़ी से पता लगेगा, उतनी जल्दी ही इसे रोकने के प्रयास किये जा सकेंगे.’
हालांकि राहुल गांधी ने उन्हें बताया कि ‘कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे कहा है कि ज़्यादा टेस्ट करने का मतलब है लोगों को इस बीमारी से डराना.’
राहुल गांधी ने कहा, “जब मैंने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से सवाल किया कि टेस्टिंग के नंबर कम क्यों हैं? तो उनकी दलील थी कि ज़्यादा टेस्ट करेंगे तो लोग ज़्यादा डरेंगे. लोगों में डर बैठेगा. लेकिन ये बात वो अनाधिकारिक रूप से कहते हैं.”
राहुल गांधी बीते कुछ दिनों से, अलग-अलग क्षेत्रों के सम्मानित लोगों से वीडियो कॉल पर चर्चा कर रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और नॉबेल पुरस्कार से नवाज़े गए अभिजीत बनर्जी से कोविड-19 संकट पर चर्चा की थी.
‘दुनिया के ज़्यादातर बड़े नेता ‘ट्रप वाली दवा’ ले रहे’
एल सल्वाडोर के राष्ट्रपति का कहना है कि ‘दुनिया के सभी बड़े नेता’ कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ले रहे हैं.
यह दवा अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी ले चुके हैं. उन्होंने एक प्रेस वार्ता में यह बात स्वीकार भी की थी. लेकिन एक जाँच में इस दवा को कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में नाकाम पाया गया है.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन मूल रूप से मलेरिया के इलाज के लिए विकसित की गई दवा है.
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के सभी ट्रायल यह कहते हुए रद्द कर दिये थे कि कोरोना संक्रमण के मामलों में इस दवा का कोई असर होता हो, ऐसा नहीं पाया गया है.
बल्कि कुछ विशेषज्ञों ने दावा किया है कि यह दवा कोविड-19 के मरीज़ों को नुक़सान कर सकती है.
इसी रविवार ट्रंप ने बताया था कि वे अब हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का सेवन नहीं कर रहे. लेकिन आज एल सल्वाडोर के 38 वर्षीय राष्ट्रपति नायिब बुकेले ने कहा कि वे और उनके अन्य नेता हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ले रहे हैं.
उन्होंने कहा, “मैं रोगनिरोधी दवा के तौर पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ले रहा हूँ. राष्ट्रपति ट्रंप यह दवा ले चुके हैं और दुनिया के अन्य बड़े नेता भी कोविड-19 से बचाव के लिए इस दवा का सेवन कर रहे हैं.”