कोरोना वायरस: ब्राज़ील क्या अमरीका को भी पीछे छोड़ देगा?
पाब्लो ओचोआ
बीबीसी न्यूज़
पिछले हफ़्ते नर्स डे पर एलेने ओलीविरा ने प्रोटेक्टिव गीयर पहने हुए अपनी पिक्चर इंस्टाग्राम पर डाली और लोगों से घर पर ही रहने की अपील की.
33 साल की ओलीविरा फ़ोर्टएलेज़ा हॉस्पिटल में पूरी रात काम करने के बाद इतनी थक चुकी थीं कि उनसे बिस्तर से उठा भी नहीं जा रहा था. यह हॉस्पिटल उत्तर-पूर्वी ब्राज़ील के सिआरा राज्य में मौजूद है.
पिछले दो महीने से उन्होंने अपने माता-पिता को भी नहीं देखा था. ओलीविरा ने लिखा, "मैं उन्हें बहुत याद करती हूं और मुझे बुरा लगता है."
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"जब मैं यह लिख रही हूं, उस वक्त मेरे सहयोगी किसी के बेड के बगल में खड़े होकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं और वे उनकी ज़िंदगियां बचाने या उन्हें थोड़ा सम्मान देने की कोशिश कर रहे हैं."
"मैं तारीफ़ या बधाई नहीं चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि आप घर पर रहें और ख़ुद को, मुझे और अपने परिवार को सुरक्षित रखें."
लॉकडाउन का उल्लंघन
ओलीविरा देख रही थीं कि कई सारे ब्राज़ीली लोग या तो लॉकडाउन के उपायों की उपेक्षा कर रहे थे या फिर वे बिना वजह इन उपायों का उल्लंघन कर रहे थे.
ख़ासतौर पर ब्राज़ील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के समर्थकों ने इस बीमारी की गंभीरता को नकारने की कोशिश की है.
उन्होंने लोगों में गलत धारणाएं फैलाईं और इसके ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन किए. उन्होंने सामाजिक दूरी के नियमों की धज्जियां उड़ाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है.
ओलीविरा ने इंस्टाग्राम पर लिखा, "आज नर्स डे है और मेरे देश के राष्ट्रपति जेट-स्की की राइड कर रहे हैं और वह पूछते हैं, तो क्या हुआ?"
"ये केवल आँकड़े नहीं हैं, ये ऐसे लोग हैं जिनके बच्चे, मां-बाप, पार्टनर हैं. ये किसी न किसी के प्रिय हैं और ये जीना चाहते हैं."
ना-उम्मीदी
ब्राज़ील दुनिया भर में कोविड-19 के सबसे ज़्यादा मामलों के लिहाज से दूसरे पायदान पर है. जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक़, ब्राज़ील के क़रीब तीन लाख, 30 हज़ार से ज़्यादा लोग संक्रमित हैं.
लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि यह आँकड़ा 30 लाख के भी पार हो सकता है.
रिबेराओ प्रेटो मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर डोमिंगोस एल्वेस बताते हैं, "मैं साफ़तौर पर कह सकता हूं कि ब्राज़ील पूरी दुनिया में कोविड-19 वायरस के फैलने का सबसे अहम केंद्र बन गया है."
अब तक 21 हज़ार से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं लेकिन प्रोफ़ेसर एल्वेस कहते हैं कि मरने वालों की तादाद को बड़े पैमाने पर दबाया गया है.
हॉस्पिटलों में कोविड-19 के मरीज़ों की भरमार है. डॉक्टरों और नर्सों को यह चुनाव करना पड़ रहा है कि वे किन मरीज़ों को इलाज देकर बचा सकते हैं और किन मरीज़ों पर इलाज का कोई फ़ायदा नहीं होगा.
इसके बावजूद बोल्सोनारो इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि कोविड-19 महज़ एक हल्का फ़्लू है.
भारत में कोरोनावायरस के मामले
यह जानकारी नियमित रूप से अपडेट की जाती है, हालांकि मुमकिन है इनमें किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के नवीनतम आंकड़े तुरंत न दिखें.
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दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
समाप्त
दक्षिणपंथी बोल्सोनारो लॉकडाउन विरोधी प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं. महामारी के बीच में वह अपने समर्थकों के साथ हाथ मिलाते और यहां तक कि क़रीब 30 गेस्ट्स के साथ बारबेक्यू का आयोजन करते दिखाई दिए हैं.
ब्राज़ील में मौतों का आंकड़ा 5,000 के पार जाने पर पिछले महीने पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने कहा था, "तो क्या हुआ? मुझे खेद है, लेकिन मैं कोई करिश्मा नहीं कर सकता हूं."
सियारा राज्य के स्वास्थ्य सचिवालय से महामारी को ट्रैक कर रहे महामारी विज्ञानी इटालो लेनोन कहते हैं कि मौजूदा हालात ने उन्हें निराशा से भर दिया है.
लेनोन बताते हैं, "जब यह सब शुरू हुआ तो मैंने सोचा कि मैं अपने स्किल्स से इसे रोकने में सफल रहूंगा. मुझे लगा कि हम एक मुश्किल महामारी का सामना करने जा रहे हैं, लेकिन मैं लोगों की मदद कर सकूंगा."
"मुझे लगता है कि हम एक नामुमकिन काम करने की कोशिश कर रहे हैं."
'हम जीने और मरने वालों में चुनाव कर रहे हैं'
सियारा राज्य में साओ पाओलो के बाद सबसे बड़ी तादाद में मामले सामने आए हैं. इंटेंसिव केयर यूनिट्स तक़रीबन अपनी पूरी क्षमता पर काम कर रही हैं. ऐसा तब है जबकि महामारी के आने के बाद से बेड्स की संख्या दोगुनी हो चुकी है.
ओलीविरा एक बच्चों के हॉस्पिटल में काम करती हैं और वह एक इमर्जेंसी यूनिट में भी काम करती हैं जहां पर कोविड-19 के मरीज़ों को लाया गया है.
इस तरह की यूनिट्स लंबे वक़्त के लिए भर्ती किए जाने के लिए नहीं हैं लेकिन मौजूदा वक़्त में उनके 40 मरीज़ों में से किसी के लिए भी हॉस्पिटल बेड उपलब्ध नहीं हैं.
शहर ने बड़े शीत कंटेनर लगाए हैं ताकि कोरोना से मरने वालों के शव इनमें स्टोर किए जा सकें.
ओलीविरा के मुताबिक़, "हमें यह तय करना पड़ रहा है कि किसे वेंटिलेटर पर रखा जाए और किसे नहीं."
वह कहती हैं कि कई मरीज़ इंतज़ार करते-करते मर गए हैं और स्टाफ केवल उन्हें पैलिएटिव केयर (ऐसे मरीज़ जिनके बचने के आसार नहीं होते हैं) दे पाते हैं ताकि वे शांति से मर सकें.
लेकिन, ब्राज़ील के काफ़ी लोग हालात की गंभीरता को समझ नहीं रहे हैं. लेनोन कहते हैं, "कई लोग हकीकत को मानना नहीं चाहते हैं."
'फ़ेक न्यूज़ से सबसे ज्यादा मुश्किल हो रही'
लोग सामाजिक दूरी के नियमों को मान नहीं रहे हैं, वे मास्क पहनने से इनकार कर रहे हैं. ये लोग भीड़भाड़ में हिस्सा ले रहे हैं.
लेनोन कहते हैं, "हम सुनते हैं कि फलां शख्स के यहां पार्टी आयोजित हुई है. हम लोगों को इस महामारी के बारे में समझाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, हमारी सबसे बड़ी समस्या फ़ेक न्यूज़ है."
इस महीने की शुरुआत में इंस्टाग्राम ने एक राज्य के प्रतिनिधि की साझा की गई उस पोस्ट को हटा दिया था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अधिकारी जानबूझकर मौतों के आँकड़े को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे हैं ताकि लोगों में भय पैदा हो.
यह सूचना बाद में ग़लत पाई गई और उसे हटा दिया गया था. लेकिन, तब तक इसे बोल्सोनारो भी शेयर कर चुके थे.
मार्च में ट्विटर और फ़ेसबुक ने फ़ेक न्यूज़ के तौर पर राष्ट्रपति की पोस्ट्स को डिलीट कर दिया था.
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गोले प्रत्येक देश में कोरोना वायरस के पुष्ट मामलों की संख्या दर्शाते हैं.
स्रोत: जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां
आंकड़े कब अपडेट किए गए
5 जुलाई 2022, 1:29 pm IST
पिछले महीने एमेजॉन के शहर मानाउस के बारे में ऐसी अफ़वाहें उड़ीं कि अधिकारी ख़ाली ताबूतों को दफ़न कर रहे हैं ताकि मरने वालों के आँकड़े को बढ़ाकर दिखाया जा सके.
शहर के स्वास्थ्य सिस्टम पर कोविड-19 के मरीज़ों का भारी बोझ है और बड़े पैमाने पर क़ब्रों का इस्तेमाल मरे हुए लोगों को दफ़न करने में किया जा रहा है.
राजनीतिक संकट
इस महामारी ने बोल्सोनारो की सरकार के भीतर एक राजनीतिक संकट भी पैदा कर दिया है.
एक महीने में ब्राज़ील के दूसरे स्वास्थ्य मंत्री नेल्सन टीच ने पिछले हफ़्ते इस्तीफ़ा दे दिया. वह कोरोना वायरस के मरीज़ों का इलाज क्लोरोक्विन से करने को लेकर राष्ट्रपति से असहमत थे.
अमरीका में डोनाल्ड ट्रंप की तरह से ही बोल्सोनारो भी इस बात के मज़बूत समर्थकों में हैं कि कोविड-19 के मरीज़ों का इलाज मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं से किया जाए. हालांकि, अध्ययनों से अभी तक इनके प्रभावी होने के बारे में पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाए हैं.
टीच से पहले स्वास्थ्य मंत्री रहे लुइज मैंडेटा को सामाजिक दूरी के उपायों को लेकर बोल्सोनारो से टकराव के चलते हटा दिया गया था.
राष्ट्रपति इकनॉमी पर बुरे असर को देखते हुए कारोबारों और लॉकडाउन की दूसरी पाबंदियों को लागू नहीं करना चाहते हैं.
लेकिन, शहरों और राज्यों ने इन उपायों को लागू किया है और महामारी के गंभीर होने के साथ ही वे इन्हें और सख्त बनाने पर विचार कर रहे हैं.
ब्राज़ील के सबसे बड़े शहर साओ पाओलो के मेयर ब्रूनो कोवास ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 के चलते हॉस्पिटलों के इमर्जेंसी बेड्स दो हफ्तों में ही भर सकते हैं और इसके बाद नए मरीज़ों को रखने की जगह नहीं होगी.
कोवास ने नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे अपनी जान के साथ खिलवाड़ न करें क्योंकि अधिकारियों के मुताबिक़, शहर की 1.2 करोड़ की आबादी का ज़्यादातर हिस्सा सामाजिक दूरी के नियमों की उपेक्षा कर रहा है.
दो हिस्सों में बँट गए परिवार
विभाजन और गहरा गए हैं और यहां तक कि परिवार भी दो हिस्सों में बंट गए हैं.
ओलीविरा कहती हैं कि उन्होंने अपने भाई से बात करना बंद कर दिया है क्योंकि वे लोग बोल्सोनारो की सलाह मान रहे हैं.
ऐसा मेडिकल टेस्ट जिससे साबित हो सके कि किसी शख्स को कोरोना वायरस था और अब उसमें कुछ इम्युनिटी आ गई है. यह टेस्ट खून में एंटीबॉडीज का पता लगाता है, जिन्हें बीमारी से लड़ने के लिए शरीर पैदा करता है.
बिना लक्षण वाले
ऐसा शख्स जिसे बीमारी हुई मगर उसमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए. कुछ स्टडीज से पता चला है कि कोरोना वायरस का शिकार हुए कुछ लोगों में तेज़ बुखार या कफ़ जैसे आम लक्षण नहीं नज़र आए.
कोरोना वायरस
वायरस समूह में से एक वायरस जिससे मनुष्यों या जानवरों में गंभीर या हल्की बीमारी हो सकती है. पूरी दुनिया में फैले कोरोना वायरस से कोविड-19 बीमारी हो रही है. सामान्य सर्दी या इंफ्लूएंजा (फ़्लू) फैलाने वाले दूसरे तरह के कोरोना वायरस हैं.
कोविड-19
कोरोना वायरस की वजह से फैल रही बीमारी का सबसे पहले पता 2019 के अंत में चीन के वुहान में लगा. यह मूलरूप में फ़ेफ़ड़ों पर असर डालता है.
संक्रमण की तेज़ी को रोकना
ट्रांसमिशन की दर को कम करना ताकि चार्ट पर प्रदर्शित किए जाने पर मामलों की संख्या के आधार पर पीक को फ्लैट कर कर्व को नीचे लाया जाए ताकि स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते बोझ को कम किया जा सके.
फ़्लू
इंफ्लूएंजा का संक्षिप्त नाम. एक वायरस जो कि सीजनल बीमारियों में मनुष्यों और जानवरों में फैलता है.
सामुदायिक प्रतिरोधक क्षमता
एक बड़ी आबादी तक पहुंचने के बाद किस तरह से एक बीमारी का फैलाव सुस्त पड़ता है.
लड़ने में सक्षम
ऐसा शख्स जिसका शरीर किसी बीमारी के सामने टिक सके या उसे रोक दे वह इससे इम्यून कहा जाता है. एक बार जब कोई शख्स कोरोना वायरस से उबर जाता है तो ऐसा माना जाता है कि वह एक निश्चित अवधि तक इस बीमारी का फिर से शिकार नहीं हो सकता.
वायरस के असर करने की अवधि
किसी बीमारी का शिकार होने और उसका लक्षण दिखाई देना शुरू होने के बीच की अवधि
लॉकडाउन
आवाजाही या रोज़ाना की ज़िंदगी पर पाबंदियां, जिनमें सार्वजनिक इमारतें बंद हैं और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए कहा गया है. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई देशों में लॉकडाउन को कड़े उपायों के तौर पर लागू किया गया है."
शुरुआत
किसी क्लस्टर या अलग-अलग इलाकों में तेज रफ्तार से बीमारी के कई मामले सामने आना.
महामारी
किसी गंभीर बीमारी का कई देशों में एकसाथ तेजी से फैलना महामारी कहलाता है.
एकांतवास
किसी संक्रामक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए इसकी जद में आए लोगों को अलग रखना.
सार्स
सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम एक कोरोना वायरस का ही प्रकार है जो कि एशिया में 2003 में शुरू हुआ था.
सेल्फ-आइसोलेशन
घर पर ही रहना और अन्य लोगों से सभी तरह के संपर्क से बचना ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके.
सामाजिक दूरी
अन्य लोगों से दूर रहना ताकि बीमारी के ट्रांसमिशन की रफ्तार कम की जा सके. सरकार की सलाह है कि अपने साथ रह रहे लोगों के अलावा दोस्तों और रिश्तेदारों से न मिलें. साथ ही सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल से भी बचें.
आपातकालीन स्थिति
किसी संकट के वक्त सरकार द्वारा रोज़ाना की जिंदगी पर पाबंदी लगाने के मकसद से उठाए गए कदम. इसमें स्कूलों और दफ्तरों को बंद करना, लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगाना और यहां तक कि सैन्य बलों को तैनात करना ताकि रेगुलर इमर्जेंसी सेवाओं को सपोर्ट किया जा सके."
लक्षण
संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर की कोशिश के तौर पर इम्यून सिस्टम से किसी बीमारी के संकेत. कोरोना वायरस का मुख्य लक्षण बुखार, सूखी खांसी और सांस लेने में दिक्कत होना है."
टीका
ऐसा इलाज जिससे शरीर एंटीबॉडीज पैदा करता है, जो कि बीमारी से लड़ता है और आगे के संक्रमण से लड़ने की इम्युनिटी देता है."
वेंटीलेटर
ऐसी मशीन जो कि ऐसे वक्त पर शरीर के लिए सांस लेने का काम करती है जब फ़ेफ़ड़े काम करना बंद करने लगते हैं.
विषाणु
एक छोटा सा एजेंट जो कि किसी जीवित सेल के भीतर अपनी कॉपी बना लेता है. वायरस की वजह से ये सेल मरने लगती हैं और शरीर की सामान्य केमिकल प्रक्रियाओं को अवरुद्ध कर देती हैं जिससे बीमारी हो जाती है.
मुख्य कहानी नीचे जारी है
ट्रांसलेटर
इन सभी शब्दों का क्या मतलब है?
वह कहती हैं कि वह इस बात से बेहद नाराज़ हैं कि ये लोग कोई भी सावधानी नहीं रख रहे हैं और न ही ये उनके बूढ़े मां-बाप के यहां जाना बंद कर रहे हैं.
उनके जैसे फ्रंटलाइन स्टाफ़ को इस महामारी के चलते क़ुर्बानियां देनी पड़ रही हैं. मसलन, ये लोग अपने बच्चों और पेरेंट्स से हफ़्तों से दूर हैं. वह कहती हैं कि उनकी ये क़ुर्बानी वे लोग नहीं समझ रहे हैं जो कि लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं.
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कोरोना वायरस एक संक्रामक बीमारी है जिसका पता दिसंबर 2019 में चीन में चला. इसका संक्षिप्त नाम कोविड-19 है
सैकड़ों तरह के कोरोना वायरस होते हैं. इनमें से ज्यादातर सुअरों, ऊंटों, चमगादड़ों और बिल्लियों समेत अन्य जानवरों में पाए जाते हैं. लेकिन कोविड-19 जैसे कम ही वायरस हैं जो मनुष्यों को प्रभावित करते हैं
कुछ कोरोना वायरस मामूली से हल्की बीमारियां पैदा करते हैं. इनमें सामान्य जुकाम शामिल है. कोविड-19 उन वायरसों में शामिल है जिनकी वजह से निमोनिया जैसी ज्यादा गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं.
ज्यादातर संक्रमित लोगों में बुखार, हाथों-पैरों में दर्द और कफ़ जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं.
लेकिन, कुछ उम्रदराज़ लोगों और पहले से ह्दय रोग, डायबिटीज़ या कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ रहे लोगों में इससे गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा रहता है.
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जब लोग एक संक्रमण से उबर जाते हैं तो उनके शरीर में इस बात की समझ पैदा हो जाती है कि अगर उन्हें यह दोबारा हुआ तो इससे कैसे लड़ाई लड़नी है.
यह इम्युनिटी हमेशा नहीं रहती है या पूरी तरह से प्रभावी नहीं होती है. बाद में इसमें कमी आ सकती है.
ऐसा माना जा रहा है कि अगर आप एक बार कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं तो आपकी इम्युनिटी बढ़ जाएगी. हालांकि, यह नहीं पता कि यह इम्युनिटी कब तक चलेगी.
कोरोना वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड क्या है?जिलियन गिब्स
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वैज्ञानिकों का कहना है कि औसतन पांच दिनों में लक्षण दिखाई देने लगते हैं. लेकिन, कुछ लोगों में इससे पहले भी लक्षण दिख सकते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि इसका इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिन तक का हो सकता है. लेकिन कुछ शोधार्थियों का कहना है कि यह 24 दिन तक जा सकता है.
इनक्यूबेशन पीरियड को जानना और समझना बेहद जरूरी है. इससे डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को वायरस को फैलने से रोकने के लिए कारगर तरीके लाने में मदद मिलती है.
क्या कोरोना वायरस फ़्लू से ज्यादा संक्रमणकारी है?सिडनी से मेरी फिट्ज़पैट्रिक
मिशेल रॉबर्ट्सबीबीसी हेल्थ ऑनलाइन एडिटर
दोनों वायरस बेहद संक्रामक हैं.
ऐसा माना जाता है कि कोरोना वायरस से पीड़ित एक शख्स औसतन दो या तीन और लोगों को संक्रमित करता है. जबकि फ़्लू वाला व्यक्ति एक और शख्स को इससे संक्रमित करता है.
फ़्लू और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं.
बार-बार अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं
जब तक आपके हाथ साफ न हों अपने चेहरे को छूने से बचें
खांसते और छींकते समय टिश्यू का इस्तेमाल करें और उसे तुरंत सीधे डस्टबिन में डाल दें.
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हर पांच में से चार लोगों में कोविड-19 फ़्लू की तरह की एक मामूली बीमारी होती है.
इसके लक्षणों में बुख़ार और सूखी खांसी शामिल है. आप कुछ दिनों से बीमार होते हैं, लेकिन लक्षण दिखने के हफ्ते भर में आप ठीक हो सकते हैं.
अगर वायरस फ़ेफ़ड़ों में ठीक से बैठ गया तो यह सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया पैदा कर सकता है. हर सात में से एक शख्स को अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है.
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अस्थमा यूके की सलाह है कि आप अपना रोज़ाना का इनहेलर लेते रहें. इससे कोरोना वायरस समेत किसी भी रेस्पिरेटरी वायरस के चलते होने वाले अस्थमा अटैक से आपको बचने में मदद मिलेगी.
अगर आपको अपने अस्थमा के बढ़ने का डर है तो अपने साथ रिलीवर इनहेलर रखें. अगर आपका अस्थमा बिगड़ता है तो आपको कोरोना वायरस होने का ख़तरा है.
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ह्दय और फ़ेफ़ड़ों की बीमारी या डायबिटीज जैसी पहले से मौजूद बीमारियों से जूझ रहे लोग और उम्रदराज़ लोगों में कोरोना वायरस ज्यादा गंभीर हो सकता है.
ऐसे विकलांग लोग जो कि किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और जिनको कोई रेस्पिरेटरी दिक्कत नहीं है, उनके कोरोना वायरस से कोई अतिरिक्त ख़तरा हो, इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं.
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कम संख्या में कोविड-19 निमोनिया बन सकता है. ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जिन्हें पहले से फ़ेफ़ड़ों की बीमारी हो.
लेकिन, चूंकि यह एक नया वायरस है, किसी में भी इसकी इम्युनिटी नहीं है. चाहे उन्हें पहले निमोनिया हो या सार्स जैसा दूसरा कोरोना वायरस रह चुका हो.
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शहरों को क्वारंटीन करना और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए बोलना सख्त कदम लग सकते हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो वायरस पूरी रफ्तार से फैल जाएगा.
फ़्लू की तरह इस नए वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है. इस वजह से उम्रदराज़ लोगों और पहले से बीमारियों के शिकार लोगों के लिए यह ज्यादा बड़ा ख़तरा हो सकता है.
क्या खुद को और दूसरों को वायरस से बचाने के लिए मुझे मास्क पहनना चाहिए?मैनचेस्टर से एन हार्डमैन
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पूरी दुनिया में सरकारें मास्क पहनने की सलाह में लगातार संशोधन कर रही हैं. लेकिन, डब्ल्यूएचओ ऐसे लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहा है जिन्हें कोरोना वायरस के लक्षण (लगातार तेज तापमान, कफ़ या छींकें आना) दिख रहे हैं या जो कोविड-19 के कनफ़र्म या संदिग्ध लोगों की देखभाल कर रहे हैं.
मास्क से आप खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाते हैं, लेकिन ऐसा तभी होगा जब इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और इन्हें अपने हाथ बार-बार धोने और घर के बाहर कम से कम निकलने जैसे अन्य उपायों के साथ इस्तेमाल किया जाए.
फ़ेस मास्क पहनने की सलाह को लेकर अलग-अलग चिंताएं हैं. कुछ देश यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके यहां स्वास्थकर्मियों के लिए इनकी कमी न पड़ जाए, जबकि दूसरे देशों की चिंता यह है कि मास्क पहने से लोगों में अपने सुरक्षित होने की झूठी तसल्ली न पैदा हो जाए. अगर आप मास्क पहन रहे हैं तो आपके अपने चेहरे को छूने के आसार भी बढ़ जाते हैं.
यह सुनिश्चित कीजिए कि आप अपने इलाके में अनिवार्य नियमों से वाकिफ़ हों. जैसे कि कुछ जगहों पर अगर आप घर से बाहर जाे रहे हैं तो आपको मास्क पहनना जरूरी है. भारत, अर्जेंटीना, चीन, इटली और मोरक्को जैसे देशों के कई हिस्सों में यह अनिवार्य है.
अगर मैं ऐसे शख्स के साथ रह रहा हूं जो सेल्फ-आइसोलेशन में है तो मुझे क्या करना चाहिए?लंदन से ग्राहम राइट
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
अगर आप किसी ऐसे शख्स के साथ रह रहे हैं जो कि सेल्फ-आइसोलेशन में है तो आपको उससे न्यूनतम संपर्क रखना चाहिए और अगर मुमकिन हो तो एक कमरे में साथ न रहें.
सेल्फ-आइसोलेशन में रह रहे शख्स को एक हवादार कमरे में रहना चाहिए जिसमें एक खिड़की हो जिसे खोला जा सके. ऐसे शख्स को घर के दूसरे लोगों से दूर रहना चाहिए.
मैं पांच महीने की गर्भवती महिला हूं. अगर मैं संक्रमित हो जाती हूं तो मेरे बच्चे पर इसका क्या असर होगा?बीबीसी वेबसाइट के एक पाठक का सवाल
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
गर्भवती महिलाओं पर कोविड-19 के असर को समझने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन अभी बारे में बेहद सीमित जानकारी मौजूद है.
यह नहीं पता कि वायरस से संक्रमित कोई गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के दौरान इसे अपने भ्रूण या बच्चे को पास कर सकती है. लेकिन अभी तक यह वायरस एमनियोटिक फ्लूइड या ब्रेस्टमिल्क में नहीं पाया गया है.
गर्भवती महिलाओंं के बारे में अभी ऐसा कोई सुबूत नहीं है कि वे आम लोगों के मुकाबले गंभीर रूप से बीमार होने के ज्यादा जोखिम में हैं. हालांकि, अपने शरीर और इम्यून सिस्टम में बदलाव होने के चलते गर्भवती महिलाएं कुछ रेस्पिरेटरी इंफेक्शंस से बुरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं.
मैं अपने पांच महीने के बच्चे को ब्रेस्टफीड कराती हूं. अगर मैं कोरोना से संक्रमित हो जाती हूं तो मुझे क्या करना चाहिए?मीव मैकगोल्डरिक
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
अपने ब्रेस्ट मिल्क के जरिए माएं अपने बच्चों को संक्रमण से बचाव मुहैया करा सकती हैं.
अगर आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ पैदा कर रहा है तो इन्हें ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पास किया जा सकता है.
ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं को भी जोखिम से बचने के लिए दूसरों की तरह से ही सलाह का पालन करना चाहिए. अपने चेहरे को छींकते या खांसते वक्त ढक लें. इस्तेमाल किए गए टिश्यू को फेंक दें और हाथों को बार-बार धोएं. अपनी आंखों, नाक या चेहरे को बिना धोए हाथों से न छुएं.
बच्चों के लिए क्या जोखिम है?लंदन से लुइस
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
चीन और दूसरे देशों के आंकड़ों के मुताबिक, आमतौर पर बच्चे कोरोना वायरस से अपेक्षाकृत अप्रभावित दिखे हैं.
ऐसा शायद इस वजह है क्योंकि वे संक्रमण से लड़ने की ताकत रखते हैं या उनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या उनमें सर्दी जैसे मामूली लक्षण दिखते हैं.
हालांकि, पहले से अस्थमा जैसी फ़ेफ़ड़ों की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.