अयोध्या राम मंदिर: समतलीकरण के दौरान मिले अवशेष पर उठे सवाल

  • समीरात्मज मिश्र
  • बीबीसी हिंदी के लिए
राम मंदिर का प्रारूप

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अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दावा किया है कि मंदिर परिसर के समतलीकरण के दौरान पुराने मंदिर के तमाम अवशेष मिले हैं.

ट्रस्ट ने ज़िलाधिकारी की अनुमति से 11 मई से वहां समतलीकरण का काम शुरू किया है.

ट्रस्ट की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि समतलीकरण के दौरान काफ़ी संख्या में पुरावशेष, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, पुष्प कलश, आमलक आदि कलाकृतियां निकली हैं.

ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने मीडिया को बताया, "अब तक 7 ब्लैक टच स्टोन के स्तंभ, 6 रेडसैंड स्टोन के स्तंभ, 5 फुट के नक्काशीनुमा शिवलिंग और मेहराब के पत्थर आदि बरामद हुए हैं. समतलीकरण का कार्य अभी प्रगति पर है."

ट्रस्ट की ओर से मंदिर के पुरावशेषों को राम मंदिर का प्रमाणिक तथ्य बताया जा रहा है. समतलीकरण का काम रामजन्मभूमि में उस स्थान पर कराया जा रहा है, जहाँ सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से पहले रामलला विराजमान थे.

कब से हो रहा है काम

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ट्रस्ट की ओर से वहां तक जाने के लिए बने गैलरीनुमा रास्ते के एंगल इत्यादि को हटाकर साफ़-सफ़ाई की जा रही है ताकि मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके.

चंपत राय ने बताया कि समतलीकरण के कार्य में 3 जेसीबी, 1 क्रेन, 2 ट्रैक्टर और 10 मज़दूर लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना को लेकर सुरक्षा के मानकों, मास्क और सोशल डिस्टेसिंग आदि का कड़ाई से पालन करके ये सारे काम हो रहे हैं.

अयोध्या के ज़िलाधिकारी अनुज कुमार झा कहते हैं कि ट्रस्ट ने उनसे लॉकडाउन में ढील के दौरान समतलीकरण की अनुमति मांगी थी, जो दे दी गई है और मानकों के तहत वहां काम हो रहा है.

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वहां मिले अवशेषों के बारे में डीएम अनुज कुमार झा का कहना था, "अभी जो भी अवशेष मिले हैं वो ट्रस्ट की ही निगरानी में रखे गए हैं और उनकी साफ़-सफ़ाई की गई है. पुरातात्विक दृष्टि से अभी इनका परीक्षण नहीं किया गया है और इतनी जल्दी ऐसा कर पाना संभव भी नहीं है."

समतलीकरण के दौरान जो चीज़ें मिल रही हैं, बताया जा रहा है कि उस तरह के अवशेष पहले भी मिल चुके हैं.

पहले भी मिले हैं अवशेष

अयोध्या के ज़िलाधिकारी अनुज कुमार झा

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स्थानीय पत्रकार महेंद्र त्रिपाठी कहते हैं, "पुराने मंदिर के अवशेष पहले भी मिले हैं. अभी भी जो चीज़ें मिल रही हैं, उन्हीं से संबंधित हैं. चाहे शिवलिंग हों, कलश हों या फिर मूर्तियां. चूँकि इस जगह को तुरंत सरकार ने कब्ज़े में लेकर वहां रामलला की मूर्ति रखवा दी थी इसलिए यहां के सामान उस वक़्त संरक्षित नहीं किए जा सके थे. वही चीज़ें अब मिल रही हैं."

लेकिन बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील रह चुके ज़फ़रयाब जिलानी ने इन अवशेषों के मिलने पर सवाल खड़े किए हैं.

ज़फ़रयाब जिलानी

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मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट यह कह चुका है कि एएसआई के सबूतों के मुताबिक़, तेरहवीं शताब्दी में वहां कोई मंदिर नहीं था, ऐसे में अवशेषों के मिलने की बातें सिवाय प्रोपेगेंडा के और कुछ नहीं हैं."

राम जन्म भूमि के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास कहते हैं कि पहले भी इस स्थल की पुरातत्व विभाग ने खुदाई की थी और खुदाई में मंदिर के साक्ष्य मिले थे.

बीबीसी से बातचीत में सत्येंद्र दास कहते हैं, "खुदाई में मिले साक्ष्यों के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फ़ैसला सुनाया था. अब दोबारा फिर राम मंदिर से जुड़े हुए ही साक्ष्य मिल रहे हैं जिसमें कमल दल, शंख, चक्र और धनुष. ये सभी आकृतियां सनातन धर्म से जुड़ी हैं और इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यहां पहले से ही मंदिर मौजूद था."

बौद्ध धर्म की बात

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इस बीच, कुछ लोगों ने यह कहकर एक नया विवाद खड़ा करने की कोशिश की है कि खुदाई में जो भी अवशेष मिल रहे हैं वो शिवलिंग या मंदिर से संबंधित नहीं बल्कि बौद्ध स्तंभ हैं और बौद्ध धर्म से संबंधित हैं.

सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर हैशटैग बौद्धस्थल अयोध्या के नाम से लोग खुदाई में मिले अवशेषों की तस्वीरें भी साझा कर रहे हैं.

पिछले साल राम मंदिर के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अधिग्रहित क्षेत्र में मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई. लॉकडाउन के चलते दो महीने तक यह काम नहीं शुरू हो सका था लेकिन लॉकडाउन में मिली कुछ रियायतों के बीच समतलीकरण का काम शुरू हो गया.

इसके अलावा मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या के राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों की सफाई का काम भी शुरू हो गया है.

पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद से जुड़ी 2.77 एकड़ ज़मीन रामलला विराजमान को सौंप दी थी.

कोर्ट ने मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया था जिसे सरकार ने पिछले दिनों वक़्फ़ बोर्ड को दे दिया.

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