भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए करीब 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को कोरोना के संकट से निपटने के लिए नाकाफी करार दिया है। राजन ने कहा कि इस पैकेज में गरीब पलायन करने वाले मजदूरों के लिए राशन का इंतजाम किया है। लेकिन लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार होने वाले लोगों को दूध, सब्जी, तेल और किराया देने जैसी जरूरतों के लिए कैश चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया अब तक के सबसे बड़े आर्थिक आपातकाल का सामना कर रही है और इससे निपटने के लिए कोई भी संसाधन नाकाफी हैं।

राजन ने कहा कि कोरोना का संकट भारत जैसे देश पर ज्यादा देखने को मिल रहाहै। इसकी वजह यह है कि भारत बीते कई सालों से ही मंदी के दौर से गुजर रहा है और बजटीय घाटे में इजाफा हुआ है। अर्थव्यवस्था को ट्रैक लाने के लिए हमें कई और प्रयास किए जाने की जरूरत है। हमें इस सब को रोकना होगा। द वायर वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में राजन ने कहा कि पैकेज में कुछ अच्छी चीजें हैं, लेकिन और ज्यादा प्रयास किए जाने की जरूरत है।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि कोरोना वायरस के संकट से प्रभावित लोगों और कंपनियों को राहत देने के रास्ते तलाशे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पैकेज से अर्थव्यवस्था को उबरने में जरूरी मदद मिलती नहीं दिख रही। इसके अलावा लॉकडाउन से प्रभावित गरीब तबके के लोगों को भी इससे मदद नहीं मिल सकी है।

राजन ने कहा कि हमें उन जगहों पर अर्थव्यवस्था में सुधार करना चाहिए, जहां जरूरी है। इसमें एमएसएमई और बैंक भी शामिल हैं। बता दें कि कोरोना के संकट से प्रभावित गरीबों की मदद के लिए सरकार ने प्रति व्यक्ति 5 किलो मुफ्त राशन देने और महिलाओं के जन धन खातों में तीन महीने तक 500 रुपये डालने का फैसला लिया है। रघुराम राजन ने कहा कि पलायन करने वाले गरीब मजदूरों को सरकार ने राशन देने का फैसला लिया है, लेकिन यह काफी नहीं है। गरीब तबके के लोगों को सब्जी, दूध और तेल खरीदने के लिए पैसे चाहिए। किराया अदा करने के लिए भी कैश की जरूरत है।

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