कोरोना वायरस की वैक्सीन पर अमरीका का यह दांव भारत के लिए कैसा?
अमरीका ने कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बना रही ब्रितानी कंपनी एस्ट्राजेनेका में 1.2 अरब डॉलर निवेश करने की घोषणा की है. इस निवेश के साथ ही अब ये साफ़ हो गया है कि अमरीका एक अरब वैक्सीन का एक तिहाई हिस्सा ख़रीदेगा.
कोरोना वायरस के कारण रुकी अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने के लिए कई देशों के नेता वैक्सीन का इंतज़ार कर रहे हैं. लेकिन अब तक कोरोना के लिए वैक्सीन बन नहीं पाई है, इस पर फ़िलहाल कई जगहों पर कोशिशें जारी है.
वैक्सीन की ज़रूरत पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार ज़ोर देने के बाद अमरीकी स्वास्थ्य विभाग, (डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ ऐंड ह्यूमन सर्विसेज) एस्ट्राजेनेका से वैक्सीन के 30 करोड़ डोज़ खरीदने के लिए सहमत हो गई है.
अमरीकी स्वास्थ्य मंत्री ऐलेक्स अज़ार का कहना है, "एस्ट्राजेनेका के साथ हुए अहम समझौते से ये तय हो गया है कि साल 2021 तक व्यापक रूप से कोरोना के लिए प्रभावी वैक्सीन बन सकेगी."
स्वास्थ्य विभाग से जारी एक बयान के अनुसार इस साल के अक्टूबर तक ये वैक्सीन अमरीका को मिल सकती है.
क्या है ये वैक्सीन?
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी जिस वैक्सीन पर काम कर रही है उसका लाइसेंस ब्रितानी कंपनी एस्ट्राजेनेका के पास है. पहले इस वैक्सीन का नाम था - ChAdOx1 nCoV-19, अब इसका नाम AZD1222 रखा गया है.
कोरोना वायरस के लिए अब तक कोई वैक्सीन नहीं बन सकी है. ऐसे में ये वैक्सीन कितनी कारगर साबित होने वाली है इस विषय में फ़िलहाल कोई जानकारी नहीं है. अमरीका के साथ हुए इस समझौते के बाद 30,000 अमरीकियों पर इस वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल किया जा सकेगा.
एस्ट्राजेनेका का कहना है कि वैक्सीन के 40 करोड़ डोज़ बनाने के लिए कंपनी ने अहम समझौते किए हैं. कंपनी की क्षमता वैक्सीन के एक अरब डोज़ बनाने की है और वो इस साल सितंबर में वैक्सीन की डिलीवरी शुरू करेगी.
कंपनी का ये भी कहना है कि कोरोना महामारी के दौर में बिना किसी लाभ कमाए वो पूरी दुनिया तक ये वैक्सीन पहुंचाना चाहती है. इससे पहले एस्ट्राजेनेका ने कहा था कि वो वैक्सीन के 10 करोड़ डोज़ ब्रितानी नागरिकों के लिए सप्लाई करेगी. इसमें से क़रीबी 3 करोड़ डोज़ वो इसी साल सितंबर में डिलीवर करेगी.
अमरीका के साथ हुए समझौते के बाद एस्ट्राजेनेका अब लंदन स्टॉक एक्सचेंज की सबसे बड़ी 100 ब्लूचिप कंपनियों की सूची में भी शामिल हो गई है. कंपनी के चीफ़ एग्ज़ेक्युटिव पास्कल सोरियोट ने कहा है कि, "वैक्सीन बनाने के काम को आगे बढ़ाने के लिए समर्थन देने के लिए अमरीका और ब्रिटेन की सरकारों का शुक्रिया."
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कोरोना वायरस के कारण अब तक दुनिया भर में 332,900 लोगों की जान जा चुकी है. यूरोप समेत दुनिया के कुल 188 देश इस वायरस से जूझ रहे हैं और माना जा रहा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया की अर्थव्यवस्था को इतना बड़ा झटका लगा है.
चूंकि इस वायरस का अब तक कोई इलाज नहीं निकल पाया है और दुनिया भर से नेताओं की उम्मीद वैक्सीन पर है.
AZD1222 कोरोना वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल बीते महीने शुरू हुआ है. 18 से 55 साल की उम्र के एक हज़ार हेल्थी वॉलन्टियर पर चल रहा ये ट्रायल वैक्सीन की सुरक्षा और इम्यूनोजेनेसिटी के लिए किया जा रहा है. माना जा रहा है कि इस ट्रायल के नतीजे जल्द ही सामने आएंगे.
हालांकि अब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस कोविड 19 के इलाज के लिए किसी भी वैक्सीन के अप्रूव नहीं किया है. संगठन के अनुसार चीन, जर्मनी और जापान समेत कई देशों में कोरोना वायरस की वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल चल रहे हैं. हालांकि जानकार मानते हैं कि इसके वैक्सीन को बनने में 12 से 18 महीनों का वक़्त लग सकता है.
अब तक केवल कुछ ही वैक्सीन का शोध इंसानों पर ट्रायल के स्तर तक पहुंच सका है. एस्ट्राजेनेका का कहना है कि उसे "इस बात का अंदाज़ा है कि हो सकता है कि ये वैक्सीन कामयाब न हो, लेकिन इसका क्लिनिकल ट्रायल करने और इसके उत्पादन का जोखिम उठाने के लिए वो प्रतिबद्ध है."
एस्ट्राजेनेका के अलावा जॉनसन एंड जॉनसन, फाइज़र, मॉडर्ना और सनोफी भी वैक्सीन बानाने के काम में जुटी हैं. अमरीका स्थित इनोवियो फार्मासुटिकल्स ने बुधवार को कहा है कि उन्होंने चूहों और गिनी पिग पर कोरोना वैक्सीन का सफल परीक्षण किया है. कंपनी का कहना है कि उनके परीक्षण में चूहे और गिनी पिग के शरीर कोरोना से लड़ने के लिए ज़रूरी एंटीबॉडी बनाने में कामयाब रहे हैं.
इसी सप्ताह मॉडर्ना ने भी कोरोना वैक्सीन परीक्षण से जुड़ा डेटा जारी किया. कंपनी के अनुसार वॉलन्टियर के एक सीमित समूह में इस वैक्सीन का परीक्षण किया गया था जिसके नतीजे सकारात्मक रहे हैं.
वैक्सीन पाने के लिए होड़
एस्ट्राजेनेका के अलावा अमरीकी सरकार ने कोरोना वैक्सीन बनाने के काम में लगे जॉनसन एंड जॉनसन, मॉडर्ना और सनोफी के साथ भी क़रार किए हैं.
ऐसे में इस पर बहस छिड़ गई है कि क्या अमीर मुल्क अपने नागरिकों को पहले कोरोना से बचा सकेंगे जबकि ग़रीब मुल्कों को इसके लिए इंतज़ार करना पड़ेगा.
इससे पहले इसी साल मार्च में फ्रांसीसी कंपनी सनोफी के प्रमुख ने कहा था कि वैक्सीन के शोध में अमरीका आर्थिक तौर पर मदद कर रहा है इस कारण वैक्सीन सबसे पहले अमरीकी मरीज़ों को ही मिलनी चाहिए. इस बयान पर फ्रांसीसी सरकार की नाराज़गी झेलने के बाद कंपनी को ने कहा कि वो सुनिश्चित करेगी कि दुनिया के सभी देशों के पास वैक्सीन एक वक़्त पर पहुंचे.
एस्ट्राजेनेका के साथ हुए करार के बारे में व्हाइट हाउस में जानकारी देते हुए अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि "वैक्सीन बनाने को लेकर काफी कुछ हो रहा है. हो सकता है कि आने वाले एक दो सप्ताह में आपको इस बारे में कई और घोषणाएं सुनने को मिलेंगी."
गुरुवार को फोर्ड मोटर कंपनी के दौरे के दौरान ट्रंप ने ज़िक्र किया कि "वैक्सीन के 15 करोड़ से 20 रोड़ डोज़ जल्द से जल्द लोगों तक पहुंचाने के लिए अमरीकी सेना तैयार है."
ऐसा मेडिकल टेस्ट जिससे साबित हो सके कि किसी शख्स को कोरोना वायरस था और अब उसमें कुछ इम्युनिटी आ गई है. यह टेस्ट खून में एंटीबॉडीज का पता लगाता है, जिन्हें बीमारी से लड़ने के लिए शरीर पैदा करता है.
बिना लक्षण वाले
ऐसा शख्स जिसे बीमारी हुई मगर उसमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए. कुछ स्टडीज से पता चला है कि कोरोना वायरस का शिकार हुए कुछ लोगों में तेज़ बुखार या कफ़ जैसे आम लक्षण नहीं नज़र आए.
कोरोना वायरस
वायरस समूह में से एक वायरस जिससे मनुष्यों या जानवरों में गंभीर या हल्की बीमारी हो सकती है. पूरी दुनिया में फैले कोरोना वायरस से कोविड-19 बीमारी हो रही है. सामान्य सर्दी या इंफ्लूएंजा (फ़्लू) फैलाने वाले दूसरे तरह के कोरोना वायरस हैं.
कोविड-19
कोरोना वायरस की वजह से फैल रही बीमारी का सबसे पहले पता 2019 के अंत में चीन के वुहान में लगा. यह मूलरूप में फ़ेफ़ड़ों पर असर डालता है.
संक्रमण की तेज़ी को रोकना
ट्रांसमिशन की दर को कम करना ताकि चार्ट पर प्रदर्शित किए जाने पर मामलों की संख्या के आधार पर पीक को फ्लैट कर कर्व को नीचे लाया जाए ताकि स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते बोझ को कम किया जा सके.
फ़्लू
इंफ्लूएंजा का संक्षिप्त नाम. एक वायरस जो कि सीजनल बीमारियों में मनुष्यों और जानवरों में फैलता है.
सामुदायिक प्रतिरोधक क्षमता
एक बड़ी आबादी तक पहुंचने के बाद किस तरह से एक बीमारी का फैलाव सुस्त पड़ता है.
लड़ने में सक्षम
ऐसा शख्स जिसका शरीर किसी बीमारी के सामने टिक सके या उसे रोक दे वह इससे इम्यून कहा जाता है. एक बार जब कोई शख्स कोरोना वायरस से उबर जाता है तो ऐसा माना जाता है कि वह एक निश्चित अवधि तक इस बीमारी का फिर से शिकार नहीं हो सकता.
वायरस के असर करने की अवधि
किसी बीमारी का शिकार होने और उसका लक्षण दिखाई देना शुरू होने के बीच की अवधि
लॉकडाउन
आवाजाही या रोज़ाना की ज़िंदगी पर पाबंदियां, जिनमें सार्वजनिक इमारतें बंद हैं और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए कहा गया है. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई देशों में लॉकडाउन को कड़े उपायों के तौर पर लागू किया गया है."
शुरुआत
किसी क्लस्टर या अलग-अलग इलाकों में तेज रफ्तार से बीमारी के कई मामले सामने आना.
महामारी
किसी गंभीर बीमारी का कई देशों में एकसाथ तेजी से फैलना महामारी कहलाता है.
एकांतवास
किसी संक्रामक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए इसकी जद में आए लोगों को अलग रखना.
सार्स
सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम एक कोरोना वायरस का ही प्रकार है जो कि एशिया में 2003 में शुरू हुआ था.
सेल्फ-आइसोलेशन
घर पर ही रहना और अन्य लोगों से सभी तरह के संपर्क से बचना ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके.
सामाजिक दूरी
अन्य लोगों से दूर रहना ताकि बीमारी के ट्रांसमिशन की रफ्तार कम की जा सके. सरकार की सलाह है कि अपने साथ रह रहे लोगों के अलावा दोस्तों और रिश्तेदारों से न मिलें. साथ ही सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल से भी बचें.
आपातकालीन स्थिति
किसी संकट के वक्त सरकार द्वारा रोज़ाना की जिंदगी पर पाबंदी लगाने के मकसद से उठाए गए कदम. इसमें स्कूलों और दफ्तरों को बंद करना, लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगाना और यहां तक कि सैन्य बलों को तैनात करना ताकि रेगुलर इमर्जेंसी सेवाओं को सपोर्ट किया जा सके."
लक्षण
संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर की कोशिश के तौर पर इम्यून सिस्टम से किसी बीमारी के संकेत. कोरोना वायरस का मुख्य लक्षण बुखार, सूखी खांसी और सांस लेने में दिक्कत होना है."
टीका
ऐसा इलाज जिससे शरीर एंटीबॉडीज पैदा करता है, जो कि बीमारी से लड़ता है और आगे के संक्रमण से लड़ने की इम्युनिटी देता है."
वेंटीलेटर
ऐसी मशीन जो कि ऐसे वक्त पर शरीर के लिए सांस लेने का काम करती है जब फ़ेफ़ड़े काम करना बंद करने लगते हैं.
विषाणु
एक छोटा सा एजेंट जो कि किसी जीवित सेल के भीतर अपनी कॉपी बना लेता है. वायरस की वजह से ये सेल मरने लगती हैं और शरीर की सामान्य केमिकल प्रक्रियाओं को अवरुद्ध कर देती हैं जिससे बीमारी हो जाती है.
मुख्य कहानी नीचे जारी है
ट्रांसलेटर
इन सभी शब्दों का क्या मतलब है?
भारत को भी मिलेगा वैक्सीन
एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि वो वैक्सीन के लिए दुनिया के कई देशों की सरकारों और पार्टनरों के साथ बात कर रही है. भारत में वैक्सीन पहुंचाने के लिए वो सेरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के साथ चर्चा कर रही है.
दुनिया में सबसे अधिक संख्या में वैक्सीन बना सकने में सक्षम सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया, केवल ऑक्सफर्ड में बन रही वैक्सीन का उत्पादन बड़ी संख्या में करने के लिए एक फैक्ट्री पर काम कर रहा. यहां एक साल में 40 करोड़ तक वैक्सीन बनाई जा सकेगी.
कंपनी के चीफ़ एग्जेक्युटिव अदार पूनावाला ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा है कि "हम एस्ट्राजेनेका के साथ चर्चा कर रहे हैं और एक महीने में 40 लाख तक वैक्सीन बनाने की क्षमता पर काम कर रहे हैं."
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कोरोना वायरस एक संक्रामक बीमारी है जिसका पता दिसंबर 2019 में चीन में चला. इसका संक्षिप्त नाम कोविड-19 है
सैकड़ों तरह के कोरोना वायरस होते हैं. इनमें से ज्यादातर सुअरों, ऊंटों, चमगादड़ों और बिल्लियों समेत अन्य जानवरों में पाए जाते हैं. लेकिन कोविड-19 जैसे कम ही वायरस हैं जो मनुष्यों को प्रभावित करते हैं
कुछ कोरोना वायरस मामूली से हल्की बीमारियां पैदा करते हैं. इनमें सामान्य जुकाम शामिल है. कोविड-19 उन वायरसों में शामिल है जिनकी वजह से निमोनिया जैसी ज्यादा गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं.
ज्यादातर संक्रमित लोगों में बुखार, हाथों-पैरों में दर्द और कफ़ जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं.
लेकिन, कुछ उम्रदराज़ लोगों और पहले से ह्दय रोग, डायबिटीज़ या कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ रहे लोगों में इससे गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा रहता है.
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जब लोग एक संक्रमण से उबर जाते हैं तो उनके शरीर में इस बात की समझ पैदा हो जाती है कि अगर उन्हें यह दोबारा हुआ तो इससे कैसे लड़ाई लड़नी है.
यह इम्युनिटी हमेशा नहीं रहती है या पूरी तरह से प्रभावी नहीं होती है. बाद में इसमें कमी आ सकती है.
ऐसा माना जा रहा है कि अगर आप एक बार कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं तो आपकी इम्युनिटी बढ़ जाएगी. हालांकि, यह नहीं पता कि यह इम्युनिटी कब तक चलेगी.
कोरोना वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड क्या है?जिलियन गिब्स
मिशेल रॉबर्ट्सबीबीसी हेल्थ ऑनलाइन एडिटर
वैज्ञानिकों का कहना है कि औसतन पांच दिनों में लक्षण दिखाई देने लगते हैं. लेकिन, कुछ लोगों में इससे पहले भी लक्षण दिख सकते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि इसका इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिन तक का हो सकता है. लेकिन कुछ शोधार्थियों का कहना है कि यह 24 दिन तक जा सकता है.
इनक्यूबेशन पीरियड को जानना और समझना बेहद जरूरी है. इससे डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को वायरस को फैलने से रोकने के लिए कारगर तरीके लाने में मदद मिलती है.
क्या कोरोना वायरस फ़्लू से ज्यादा संक्रमणकारी है?सिडनी से मेरी फिट्ज़पैट्रिक
मिशेल रॉबर्ट्सबीबीसी हेल्थ ऑनलाइन एडिटर
दोनों वायरस बेहद संक्रामक हैं.
ऐसा माना जाता है कि कोरोना वायरस से पीड़ित एक शख्स औसतन दो या तीन और लोगों को संक्रमित करता है. जबकि फ़्लू वाला व्यक्ति एक और शख्स को इससे संक्रमित करता है.
फ़्लू और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं.
बार-बार अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं
जब तक आपके हाथ साफ न हों अपने चेहरे को छूने से बचें
खांसते और छींकते समय टिश्यू का इस्तेमाल करें और उसे तुरंत सीधे डस्टबिन में डाल दें.
आप कितने दिनों से बीमार हैं?मेडस्टोन से नीता
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
हर पांच में से चार लोगों में कोविड-19 फ़्लू की तरह की एक मामूली बीमारी होती है.
इसके लक्षणों में बुख़ार और सूखी खांसी शामिल है. आप कुछ दिनों से बीमार होते हैं, लेकिन लक्षण दिखने के हफ्ते भर में आप ठीक हो सकते हैं.
अगर वायरस फ़ेफ़ड़ों में ठीक से बैठ गया तो यह सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया पैदा कर सकता है. हर सात में से एक शख्स को अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है.
अस्थमा वाले मरीजों के लिए कोरोना वायरस कितना ख़तरनाक है?फ़ल्किर्क से लेस्ले-एन
मिशेल रॉबर्ट्सबीबीसी हेल्थ ऑनलाइन एडिटर
अस्थमा यूके की सलाह है कि आप अपना रोज़ाना का इनहेलर लेते रहें. इससे कोरोना वायरस समेत किसी भी रेस्पिरेटरी वायरस के चलते होने वाले अस्थमा अटैक से आपको बचने में मदद मिलेगी.
अगर आपको अपने अस्थमा के बढ़ने का डर है तो अपने साथ रिलीवर इनहेलर रखें. अगर आपका अस्थमा बिगड़ता है तो आपको कोरोना वायरस होने का ख़तरा है.
क्या ऐसे विकलांग लोग जिन्हें दूसरी कोई बीमारी नहीं है, उन्हें कोरोना वायरस होने का डर है?स्टॉकपोर्ट से अबीगेल आयरलैंड
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
ह्दय और फ़ेफ़ड़ों की बीमारी या डायबिटीज जैसी पहले से मौजूद बीमारियों से जूझ रहे लोग और उम्रदराज़ लोगों में कोरोना वायरस ज्यादा गंभीर हो सकता है.
ऐसे विकलांग लोग जो कि किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और जिनको कोई रेस्पिरेटरी दिक्कत नहीं है, उनके कोरोना वायरस से कोई अतिरिक्त ख़तरा हो, इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं.
जिन्हें निमोनिया रह चुका है क्या उनमें कोरोना वायरस के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं?कनाडा के मोंट्रियल से मार्जे
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
कम संख्या में कोविड-19 निमोनिया बन सकता है. ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जिन्हें पहले से फ़ेफ़ड़ों की बीमारी हो.
लेकिन, चूंकि यह एक नया वायरस है, किसी में भी इसकी इम्युनिटी नहीं है. चाहे उन्हें पहले निमोनिया हो या सार्स जैसा दूसरा कोरोना वायरस रह चुका हो.
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकारें इतने कड़े कदम क्यों उठा रही हैं जबकि फ़्लू इससे कहीं ज्यादा घातक जान पड़ता है?हार्लो से लोरैन स्मिथ
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शहरों को क्वारंटीन करना और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए बोलना सख्त कदम लग सकते हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो वायरस पूरी रफ्तार से फैल जाएगा.
फ़्लू की तरह इस नए वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है. इस वजह से उम्रदराज़ लोगों और पहले से बीमारियों के शिकार लोगों के लिए यह ज्यादा बड़ा ख़तरा हो सकता है.
क्या खुद को और दूसरों को वायरस से बचाने के लिए मुझे मास्क पहनना चाहिए?मैनचेस्टर से एन हार्डमैन
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
पूरी दुनिया में सरकारें मास्क पहनने की सलाह में लगातार संशोधन कर रही हैं. लेकिन, डब्ल्यूएचओ ऐसे लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहा है जिन्हें कोरोना वायरस के लक्षण (लगातार तेज तापमान, कफ़ या छींकें आना) दिख रहे हैं या जो कोविड-19 के कनफ़र्म या संदिग्ध लोगों की देखभाल कर रहे हैं.
मास्क से आप खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाते हैं, लेकिन ऐसा तभी होगा जब इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और इन्हें अपने हाथ बार-बार धोने और घर के बाहर कम से कम निकलने जैसे अन्य उपायों के साथ इस्तेमाल किया जाए.
फ़ेस मास्क पहनने की सलाह को लेकर अलग-अलग चिंताएं हैं. कुछ देश यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके यहां स्वास्थकर्मियों के लिए इनकी कमी न पड़ जाए, जबकि दूसरे देशों की चिंता यह है कि मास्क पहने से लोगों में अपने सुरक्षित होने की झूठी तसल्ली न पैदा हो जाए. अगर आप मास्क पहन रहे हैं तो आपके अपने चेहरे को छूने के आसार भी बढ़ जाते हैं.
यह सुनिश्चित कीजिए कि आप अपने इलाके में अनिवार्य नियमों से वाकिफ़ हों. जैसे कि कुछ जगहों पर अगर आप घर से बाहर जाे रहे हैं तो आपको मास्क पहनना जरूरी है. भारत, अर्जेंटीना, चीन, इटली और मोरक्को जैसे देशों के कई हिस्सों में यह अनिवार्य है.
अगर मैं ऐसे शख्स के साथ रह रहा हूं जो सेल्फ-आइसोलेशन में है तो मुझे क्या करना चाहिए?लंदन से ग्राहम राइट
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
अगर आप किसी ऐसे शख्स के साथ रह रहे हैं जो कि सेल्फ-आइसोलेशन में है तो आपको उससे न्यूनतम संपर्क रखना चाहिए और अगर मुमकिन हो तो एक कमरे में साथ न रहें.
सेल्फ-आइसोलेशन में रह रहे शख्स को एक हवादार कमरे में रहना चाहिए जिसमें एक खिड़की हो जिसे खोला जा सके. ऐसे शख्स को घर के दूसरे लोगों से दूर रहना चाहिए.
मैं पांच महीने की गर्भवती महिला हूं. अगर मैं संक्रमित हो जाती हूं तो मेरे बच्चे पर इसका क्या असर होगा?बीबीसी वेबसाइट के एक पाठक का सवाल
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
गर्भवती महिलाओं पर कोविड-19 के असर को समझने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन अभी बारे में बेहद सीमित जानकारी मौजूद है.
यह नहीं पता कि वायरस से संक्रमित कोई गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के दौरान इसे अपने भ्रूण या बच्चे को पास कर सकती है. लेकिन अभी तक यह वायरस एमनियोटिक फ्लूइड या ब्रेस्टमिल्क में नहीं पाया गया है.
गर्भवती महिलाओंं के बारे में अभी ऐसा कोई सुबूत नहीं है कि वे आम लोगों के मुकाबले गंभीर रूप से बीमार होने के ज्यादा जोखिम में हैं. हालांकि, अपने शरीर और इम्यून सिस्टम में बदलाव होने के चलते गर्भवती महिलाएं कुछ रेस्पिरेटरी इंफेक्शंस से बुरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं.
मैं अपने पांच महीने के बच्चे को ब्रेस्टफीड कराती हूं. अगर मैं कोरोना से संक्रमित हो जाती हूं तो मुझे क्या करना चाहिए?मीव मैकगोल्डरिक
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
अपने ब्रेस्ट मिल्क के जरिए माएं अपने बच्चों को संक्रमण से बचाव मुहैया करा सकती हैं.
अगर आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ पैदा कर रहा है तो इन्हें ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पास किया जा सकता है.
ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं को भी जोखिम से बचने के लिए दूसरों की तरह से ही सलाह का पालन करना चाहिए. अपने चेहरे को छींकते या खांसते वक्त ढक लें. इस्तेमाल किए गए टिश्यू को फेंक दें और हाथों को बार-बार धोएं. अपनी आंखों, नाक या चेहरे को बिना धोए हाथों से न छुएं.
बच्चों के लिए क्या जोखिम है?लंदन से लुइस
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
चीन और दूसरे देशों के आंकड़ों के मुताबिक, आमतौर पर बच्चे कोरोना वायरस से अपेक्षाकृत अप्रभावित दिखे हैं.
ऐसा शायद इस वजह है क्योंकि वे संक्रमण से लड़ने की ताकत रखते हैं या उनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या उनमें सर्दी जैसे मामूली लक्षण दिखते हैं.
हालांकि, पहले से अस्थमा जैसी फ़ेफ़ड़ों की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.