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मरकज में शामिल 916 विदेशी नागरिकों को छोड़ने के लिए याचिका, हाई कोर्ट करेगा सुनवाई

याचिका में कहा गया है कि इन सभी विदेशी नागरिकों को 30 मार्च से ही क्वारनटीन में रखा गया है, जबकि उनके कोविड-19 के टेस्ट निगेटिव आ चुके हैं. इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करने जा रहा है.

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मरकज में शामिल 916 विदेशी नागरिकों को छोड़ने के लिए याचिका (फाइल फोटो)
मरकज में शामिल 916 विदेशी नागरिकों को छोड़ने के लिए याचिका (फाइल फोटो)

  • दिल्ली हाई कोर्ट शुक्रवार को करेगा याचिका पर सुनवाई
  • राजस्व विभाग के 9 मई के आदेश को चुनौती दी गई

दिल्ली हाई कोर्ट में निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज के कार्यक्रम में शामिल हुए 916 विदेशी नागरिकों को छोड़ने के लिए याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि मरकज के धार्मिक आयोजन में शामिल हुए 916 उन विदेशी नागरिकों को छोड़ा जाना चाहिए, जिन्हें फिलहाल इंस्टीट्यूशनल क्वारनटीन में रखा गया है.

याचिका में कहा गया है कि इन सभी विदेशी नागरिकों को 30 मार्च से ही क्वारनटीन में रखा गया है, जबकि उनके कोविड-19 के टेस्ट निगेटिव आ चुके हैं. इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करने जा रहा है. याचिका में दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग के 9 मई के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें 567 विदेशी नागरिकों को इंस्टीट्यूशनल क्वारनटीन करने के आदेश थे.

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इस आदेश में कहा गया था कि दिल्ली पुलिस इन सभी विदेशी नागरिकों को अपनी कस्टडी में रखें. हालांकि इन सबके कोविड-19 के टेस्ट निगेटिव आ चुके थे. फिलहाल इंस्टिट्यूशनल क्वारनटीन में रह रहे 916 में से 20 लोगों ने यह अर्जी दिल्ली हाई कोर्ट में लगाई है.

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याचिकाकर्ताओं का क्या कहना है?

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जहां बात नागरिकों के अधिकार और स्वतंत्रता की हो वहां सरकार पक्षपात कैसे कर सकती है. याचिका में कहा गया है कि फिलहाल उनको इंस्टीट्यूशनल क्वारनटीन करके रखना बंधक बनाकर रखने जैसा है, जो पूरी तरह से गैरकानूनी है.

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याचिका लगाने वाले विदेशी नागरिकों ने कहा है कि उनकी याचिका को फिलहाल प्राथमिकता के आधार पर कोर्ट के द्वारा सुना जाना जरूरी है, क्योंकि कुछ ही दिनों में रमजान का महीना खत्म हो रहा है और फिर ईद है. अगर ईद के दौरान भी उनको आइसोलेशन में बंधक बनाकर रखा जाता है तो यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा.

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