कोरोना संक्रमण के दौर में तर्क पर भारी पड़ती धार्मिक आस्था
- फ़ैसल मोहम्मद अली
- बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
तबलीग़ी जमात मामले का हाहाकार जारी ही था कि उत्तर प्रदेश के कन्नौज से जुमा की नमाज़ सामूहिक तौर पर पढ़ने की ज़िद पकड़े कुछ मुसलमानों और पुलिस के बीच झड़पों की ख़बर आई. दिल्ली से सटे नोएडा में भी छत पर सामूहिक नमाज़ पढ़ने जमा हुए लोगों को पुलिस ने हटाया और आयोजक के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया.
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देश में जारी 21 दिनों के लॉकडाउन के बीच अमृतसर का स्वर्ण मंदिर और दूसरे गुरुद्वारे श्रद्धालुओं के लिए खुले हैं. पंजाब में जनता कर्फ़्यू के दूसरे दिन यानी 23 मार्च से ही कर्फ़्यू लागू है.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (एसजीपीसी) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजिंदर सिंह मेहता ने बीबीसी से कहा कि स्वर्ण मंदिर में 'मर्यादा न कभी बंद हुई है, न कभी होगी.'
स्वर्ण मंदिर समेत सिख धार्मिक स्थलों की देखरेख करने वाली सबसे अहम संस्था एसजीपीसी पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और चंडीगढ़ के 90 बड़े गुरुद्वारों की देख-रेख के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार है.
हालांकि भारतीय मीडिया के बड़े वर्ग का फ़ोकस जमात मीटिंग के दौरान दिए गए 'अल्लाह के बंदों को वायरस से ख़तरा नहीं' जैसे बयान पर बना रहा है, लॉकडाउन के ठीक पहले दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा को अस्थाई मंदिर से हटाकर नई जगह स्थापित करने के राम जन्मभूमि ट्रस्ट के कार्यक्रम में हिस्सा लिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च शाम को देश में 21 दिनों के लॉकडाउन यानी 14 अप्रैल तक पूरी बंदी का ऐलान कर दिया था. मार्च की 22 तारीख़ को पहले ही देश भर में एक दिन का जनता कर्फ्यू लागू हो चुका था.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक़ कार्यक्रम पहले से ही तय था. कुछ वैसा ही तर्क जो तबलीग़ी जमात दिल्ली मुख्यालय में मार्च के दूसरे सप्ताह में हुए कार्यक्रम को लेकर दे रहा है.
चंपत राय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की संस्था विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष हैं और परिषद ने तबलीग़ी जमात पर प्रतिबंध लगाने की माँग भी की है.
धार्मिक समूहों पर सवाल
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भारतीय संविधान के जानकार फ़ैज़ान मुस्तफ़ा मानते हैं कि मज़हब और 'ब्लाइंड बिलिफ़्स' यानी अंधे यक़ीन के बीच बहुत बारीक अंतर है. वे कहते हैं कि 'मज़हब और विज्ञान, धर्म और तार्किकता में हमेशा एक तरह का झगड़ा रहा है.'
अजीब इत्तेफ़ाक़ है कि जिस वायरस की मानव में शुरुआत को कम्यूनिस्ट चीन में चिन्हित किया गया है, अब धार्मिक समूह उस घातक कोरोना वायरस के 'सबसे बड़े कुरियर' के तौर पर देखे जा रहे हैं.
दक्षिण कोरिया में बीमारी के फैलाव के लिए ईसाई संप्रदाय शियोजी चर्च की तरफ़ उंगली उठी, अब उन्होंने इसके लिए माफ़ी भी माँगी है. तो मलेशिया में कोरोना के मामलों में आई तेज़ी को फ़रवरी के अंत में राजधानी कुआलालुंपुर के पास हुई मुस्लिम समूह के आयोजन से जोड़कर देखा जा रहा है. इधर हिंदू धार्मिक संगठन इस्कॉन (ब्रिटेन) ने माना है कि कम-से-कम 21 श्रद्धालु धार्मिक समारोहों में शामिल होने के बाद संक्रमित पाए गए हैं.
ईसाई संगठन अखिल भारतीय कैथोलिक यूनियन के पूर्व अध्यक्ष जॉन दयाल कहते हैं, 'हर मज़हब में हर तरह के लोग होते हैं, तार्किक सोच वालों से लेकर दक़ियानूसी ख़्याल वालों तक. आपका अपने धर्म के मूल में यक़ीन रखना तब तक दुरुस्त है जब तक वो रूढ़िवादिता तक न जा पहुंचे.'
देश के सबसे अधिक कोरोना प्रभावित सूबे केरल के चालाकुडी चर्च में 22 मार्च को हुए सामूहिक धार्मिक कार्यक्रम के लिए पादरी को गिरफ्तार किया गया. साथ ही 50 श्रद्धालुओं के ख़िलाफ़ पुलिस केस दर्ज किया गया है.
सोशल मीडिया पर अफवाहों का दौर
केरल में तब तक कोरोना संक्रमित मामलों की तादाद 55 पहुंच चुकी थी, जबकि 50,000 पर निगरानी रखी जा रही थी. धार्मिक आयोजनों, स्पोर्ट्स टूर्नामेंट और दूसरे तरह के सामूहिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई थी.
जॉन दयाल कहते हैं, चाहे ये केरल में हो, या ओडिशा या फिर कर्नाटक में, जो ईसाई ये सोचते हैं कि एक इमारत में जमा होने से वो ख़ुदा का सम्मान कर रहे हैं तो ईसाई धार्मिक ग्रंथों को लेकर उनकी समझ बहुत सीमित है.
फ़ैज़ान मुस्तफ़ा के मुताबिक़ भी निज़ामुद्दीन के तबलीग़ी मरकज़ (मुख्यालय) में जो हुआ 'वो एक दक़ियानूसी सोच का नतीजा थी, न कि किसी साज़िश का हिस्सा,' हालांकि वो कहते हैं कि जमात प्रमुख मौलाना साद कंधालवी को संक्रमण के ख़तरे के दौरान सामूहिक धार्मिक आयोजन करवाने की ज़िम्मेदारी से बरी नहीं किया जा सकता.
दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद कंधालवी और छह अन्य लोगों के ख़िलाफ़ संक्रमण क़ानून और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है.
आईआईटी मुंबई के पूर्व प्रोफेसर राम पुनयानी मानते हैं कि महामारी के बीच धार्मिक मान्याताओं को बढ़ावा देने की कोशिश, ख़ास तौर पर अगर वो सत्ता पक्ष या उससे जुड़े लोगों के ज़रिए की जाती है; तो यह कोरोना के ख़िलाफ़ भारत और दुनियां की जंग में मुश्किलों को बढ़ाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू के दौरान जब स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिस और महामारी के दौरान काम कर रहे दूसरे लोगों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए लोगों से ताली, थाली, बर्तन बजाने की अपील की तो बीजेपी नेता शाइना एनसी ने ट्वीट कर कहा कि पुराणों के हिसाब से घंटी और शंख की आवाज़ से बैक्टेरिया, वायरस वगैरह मर जाते हैं.
बाद में हुई आलोचना के बाद शाइना एनसी ने ट्वीट डिलीट कर दिया लेकिन फिर इस तरह की बातें सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर घूमती रहीं.
वायरस का हमला टलने का दावा भी
पुनयानी के लेख 'कोरोना से जंग: अंधविश्वास के लिए कोई जगह नहीं' में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज की कोरोना से लड़ने के लिए दी गई गोमूत्र पार्टी और असम के बीजेपी विधायक सुमन हरिप्रिया का भी ज़िक्र है जिन्होंने गाय के गोबर से वायरस के इलाज की बात कही थी.
कोलकाता में गोमूत्र पीकर एक व्यक्ति के बीमार हो जाने के बाद पुलिस ने नारायण चटर्जी नाम के बीजेपी कार्यकर्ता को गिरफ़्तार किया, पर पार्टी नेता और हिंदू धार्मिक गुरु राम विलास वेदांती कहते हैं कि लोग इसलिए बीमार पड़ रहे हैं क्योंकि जिस गोमूत्र और गोबर का सेवन उन्होंने किया वो शुद्ध भारतीय नस्ल की नहीं थीं.
इस बीच मुस्लिम समूहों के पर्सनल व्हाट्सएप ग्रुप पर ऐसी कथित आयतों के ऑडियोज़ सर्कुलेट होते रहे जिनको सुनने से वायरस का हमला टलने का दावा किया जा रहा था.
अमरीका के राईस यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर क्रेग कौनसिडिन ने अंग्रेज़ी पत्रिका न्यूज़वीक में लिखा भी कि क्या सिर्फ़ प्रार्थना से कोरोना जैसी महमारी को रोका जा सकता है?
लेख में महामारी पर इस्लाम के आख़िरी पैगंबर मोहम्मद की राय का भी ज़िक्र है.
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चित्रकूट के तुलसी पीठ के जगतगुरु रामभद्राचार्य के मुताबिक़ गीता के दूसरे और छठवें अध्याय के 22वें श्लोक में महामारी जैसी आपदा और उससे निपटने के तरीक़ों का ज़िक्र है.
बनारस हिंदू विश्वद्यालय से आचार्य की डिग्री हासिल कर चुके भोपाल स्थित एनडी शर्मा भी 'आपत काले मर्यादा नास्ति' के शास्त्रों में विवरण का ज़िक्र करते हैं.
धर्म की स्थापित मान्यताओं को चैलेंज करने की वकालत करनेवाले राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर जगरूप शेखों कहते हैं कि धर्मों में जिस मानवतावाद, भाईचारे और सबकी भलाई की बात कही गई है वो मज़हब को कई मामलों में विज्ञान से आगे ले जाता है.
मज़हब की वजह से वायरस के फैलाव की बार-बार हो रही बात को जहां दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व सेक्रेटरी जफ़र जंग 'पूर्वाग्रह' मानते हैं, वहीं वकील और तबलीग़ी जमात के प्रवक्ता मुजीबुर रहमान इसे 'मोदी सरकार की नाकामियों पर पर्दा डालने और बीजेपी की राजनीति को आगे बढ़ाने की रणनीति' के तौर पर देखते हैं.
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बीजेपी के राजनीतिक जमावड़े का मुद्दा
लॉकडाउन के बाद सड़कों पर निकले ग़रीब तबक़े की बात पीछे चली गई है, ये सवाल भी कम उठ रहे हैं कि हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग के दावे के बावजूद वायरस संक्रमित लोग वहां से बाहर किस तरह निकल गए, जनता कर्फ़्यू के ऐलान के बावजूद मध्य प्रदेश में 20 मार्च को हुए बीजेपी के राजनीतिक जमावड़े का मुद्दा तो ठीक से बहस का हिस्सा भी न बन पाया, और अभिजात वर्ग के कोरोना फैलाव में भूमिका तक बात पहुंच ही नहीं पा रही है.
सोमवार तक नोएडा में कोरोना के 38 मामले पाए गए थे. सीज़फ़ायर नाम की एक कंपनी के 16 लोग संक्रमित पाए गए. पुलिस ने कंपनी के ख़िलाफ़ कुछ कर्मचारियों की मार्च में विदेश यात्रा और बाहर से आए ऑडिटर की ख़बर छुपाने के लिए मामला दर्ज किया है.
भोपाल में बुधवार तक जो 85 मरीज़ पाये गए हैं उनमें दो आईएएस अधिकारियों समेत 40 स्वास्थ्य विभाग के हैं. सवाल उठ रहे हैं कि कोरोना के मरीज़ आला अधिकारियों को पहले अस्पताल क्यों नहीं भेजा गया, ज़फ़र जंग सवाल करते हैं इन अधिकारियों का ताल्लुक क्या किसी मज़हबी जमात से था?
बार्क के एक रिसर्च के मुताबिक़ मार्च के तीसरे और चौथे हफ़्ते के दरमियान भारतीय टीवी चैनलों की टीआरपी में 200 से 300 गुणा तक उछाल आया, मुल्क के कई हिस्सों से मुसलमानों को निशाना बनाये जाने की ख़बरें आ रही हैं.
धर्म पर हुए लगातार प्रहार ने हालांकि कुछ उम्मीद की किरणें भी जगाई हैं. कट्टर माने जाने वाले वहाबी इस्लाम को मानने वाले सउदी अरब ने फ़रवरी से ही मक्का-मदीन की तीर्थयात्रा (उमरा) के लिए वीज़ा देना बंद कर दिया था. कैथोलिक चर्च के मुख्यालय इटली के रोम में लोग रविवार की सामूहिक प्रार्थना में टीवी के ज़रिये शामिल हो रहे हैं.
भारत में तिरूपति और वैष्णो देवी जैसे बड़े धार्मिक स्थलों ने श्रृद्धालुओं के आवागमन पर रोक लगा दी है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोगों को जुमा की नमाज़ सामूहिक तौर पर अदा करने की बजाए घर पर पढ़ने की सलाह दी है.
एसजीपीसी ने कहा है कि वैशाखी पर तलवंडी साहिब में 13-14 अप्रैल को होने वाला आयोजन प्रतीकात्मक तौर पर मनाने का फ़ैसला लिया गया है.
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