Corona Fighters: बीमार माता-पिता को छोड़ पीड़ितों की सेवा में देश की बेटी
Corona Fighters नौ महीने से अस्पताल में बतौर वार्ड अटेंडेंट काम कर रहीं सतनाम कौर कहती हैं कि आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी का उन्हें कोई डर नहीं है।
लुधियाना, अश्वनी पाहवा। Corona Fighters: सिविल अस्पताल में कोरोना के मरीजों के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में जाने से जहां कई अस्पतालों का स्टाफ कतरा जाता है वहीं सिविल अस्पताल में कॉन्ट्रेक्ट बेस पर तैनात महिला वार्ड अटेंडेंट कोरोना से लोहा ले रही हैं। वह भी उन परिस्थितियों में जब उनके माता-पिता गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।
चंडीगढ़ मार्ग पर स्थित जमालपुर क्षेत्र की रहने वाली 25 वर्षीय सतनाम कौर उर्फ सिमरन की मां पिछले करीब 10 साल से शुगर की बीमारी से जूझ रही हैं जबकि पिता को पांच साल पहले अधरंग हो गया था। दोनों बिस्तर पर हैं दो भाई हैं जो प्राइवेट जॉब करते हैं लेकिन उनका हौसला भी बढ़ा रहे हैं।
परिजनों ने बढ़ाया हौसला : जब सिमरन के माता पिता को इस बात का पता चला कि उनकी ड्यूटी कोरोना मरीजों को लेकर बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में लगाई गई है तो बीमार माता-पिता ने उन्हें यह कहकर देश-सेवा के लिए प्रेरित किया कि देश सबसे पहले है और वह दोनों बाद में। रोजाना करीब 12 घंटे तक वह वार्ड में रह कर मरीजों की सेवा कर अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रही हैं।
सेवा से बड़ा कुछ नहीं : नौ महीने से अस्पताल में बतौर वार्ड अटेंडेंट काम कर रहीं सतनाम कौर कहती हैं कि आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी का उन्हें कोई डर नहीं है। मौत से डर कैसा वह तो एक न एक दिन आनी ही है। आपदा के इस दौर में देश की सेवा कर सकूं यह गर्व की बात होगी। क्योंकि जिन लोगों की सेवा में वे लगीं हुईं हैं अगर वह इस संकट से उबर जाते हैं तो यह उन मरीजों के साथ साथ पूरे देश और उसके लिए सौभाग्य की बात होगी। घर पर सतनाम कौर उर्फ सिमरन फिजिकल डिस्टेंस का भी ख्याल रख रही हैं। पिता भी दूर से ही उसे उम्मीद भरी आंखों से देखते हैं।