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coronavirus : Kerala High Court said there is no exemption for sharing food in lockdown, advisory should be followed strictly
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केरल हाईकोर्ट की दो टूक, लॉकडाउन में खाना बांटने की भी छूट नहीं, एडवाइजरी का पालन हर हाल में हो
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोच्चि।
Published by: योगेश साहू
Updated Tue, 07 Apr 2020 03:46 AM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : Pixabay
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केरल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि लॉकडाउन के दौरान घूमने की इजाजत नहीं दी जा सकती, चाहे वे खाना बांटने के लिए ही बाहर क्यों न निकले हों। हाईकोर्ट ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें नेदुम्पना जिले के कोल्लम में जरूरतमंदों को खाना बांटने की इजाजत मांगी थी।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, अगर ऐसा कुछ किए जाने की जरूरत है तो याचिकाकर्ता राज्य सरकार की मदद कर सकते हैं। आपको हर हाल में सरकार की एडवाइजरी का पालन करना होगा। कोई भी स्वतंत्र तौर पर कुछ नहीं करना चाहिए, नहीं तो कल से हर रेस्टोरेंट खुल जाएगा।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा था कि सामुदायिक रसोई लोगों को खाना उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं। जब उन्होंने सरकार के साथ काम करने की इजाजत मांगी तो कोल्लम के जिला कलेक्टर ने अनुमति नहीं दी। वहीं, कलेक्टर की ओर से पेश अपर महाधिक्ता रंजीत थंपन ने बताया कि याचिकाकर्ता की ओर से कोई इजाजत नहीं मांगी गई।
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हाईकोर्ट ने बिल्लियों का खाना खरीदने की दी थी अनुमति
इससे पहले सोमवार को केरल उच्च न्यायालय ने लॉकडाउन के दौरान पालतू बिल्लियों के खाने का सामान खरीदने के लिये उसके मालिक को उसकी कार से बाहर जाने की अनुमति प्रदान कर दी थी। न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नाम्बियार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की पीठ ने तीन पालतू बिल्लियों के मालिक प्रकाश की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि पशुओं का आहार और चारा आवश्यक वस्तुओं के दायरे में आता है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा- जिला अदालतें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करें, भीड़ न लगाएं
देश में कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने देश की तमाम अदालतों को व्यापक रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के जरिये कार्यवाही को लेकर दिशानिर्देश जारी किए। शीर्ष अदालत ने कहा, कोरोना से बचने को सामाजिक दूरी जरूरी है। ऐसे में वकीलों-वादियों का अदालतों में जमावड़ा नहीं होना चाहिए। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट 25 मार्च से सिर्फ आवश्यक मामलों की ही सुनवाई वीसी से कर रहा है।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने सोमवार को वीसी से अदालतों के कामकाज के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए अपने विशेषाधिकार (संविधान के अनुच्छेद-142) का इस्तेमाल करते हुए कई निर्देश जारी किए।
पीठ ने कहा, वीसी के जरिये सुनवाई के तौर तरीकों को स्थापित करने के लिए तमाम हाईकोर्ट के साथ संपर्क करने और सहयोग करने के लिए नेशनल इंफोरमेशन सेंटर और राज्य के अधिकारियों को नियुक्त किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक इन निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है। वरिष्ठ वकील विकास सिंह द्वारा लिखे गए एक पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है।
दिए अहम दिशा- निर्देश
वीसी गुणवत्ता पर कोई भी शिकायत सुनवाई के दौरान या उसके तुरंत बाद की जानी चाहिए। बाद में की गई शिकायत पर विचार नहीं होगा।
कोई भी पीठासीन अधिकारी मामले में किसी पक्षकार के प्रवेश को प्रतिबंधित नहीं करेगा, जब तक कि किसी को कोई स्वास्थ्य समस्या न हो। अदालत कक्ष में प्रवेश को रोक सकता है कोर्ट।
बिना दोनों पक्षों की सहमति के कोई बयान दर्ज नहीं किया जा सकता।
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