संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (MPLAD) को दो साल के लिए खत्म करने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है और इस पर पुनर्विचार की अपील की है. कांग्रेस ने कहा है कि एमपीलैड को खत्म करने से सांसदों का रोल और काम प्रभावित होगा.
सैलरी में 30 फीसदी कटौती, MPLAD भी खत्म
बता दें कि कैबिनेट ने सोमवार को दो अहम फैसले लिए. पहले फैसले में सरकार ने एक अध्यादेश लाकर सभी सांसदों की सैलरी में 30 फीसदी की कटौती कर दी है. ये कटौती 1 अप्रैल 2020 से शुरू होगी और एक साल तक के लिए लागू रहेगी. इस फैसले के बाद पीएम, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री सभी की तनख्वाह में अगले एक साल तक के लिए 30 फीसदी की कटौती हो जाएगी.
दूसरे फैसले में केंद्र सरकार ने हर सांसद को मिलने वाले MPLAD फंड को अगले दो साल यानी कि 2020-21 और 2021-22 तक के लिए खत्म कर दिया है. लोकसभा और राज्यसभा के हर सांसद को प्रत्येक साल अपने क्षेत्र में विकास के लिए 5 करोड़ रुपये मिलते हैं. इस फैसले से सरकार के खाते में 7900 करोड़ रुपये आएंगे. इस पैसे का इस्तेमाल केंद्र सरकार अपने जरूरत के मुताबिक कर सकेगी.
कांग्रेस ने किया विरोध
कांग्रेस ने इसी MPLAD को खत्म करने का विरोध किया है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर लिखा, "प्रिय प्रधानमंत्री कांग्रेस सांसदों की सैलरी में कटौती का समर्थन करती है, कृपया ये ध्यान रखें कि MPLAD फंड का इस्तेमाल लोकसभा क्षेत्र में विकास के लिए किया जाता है. इसे सस्पेंड कर देना जनता के लिए बड़ी नाइंसाफी होगी. ये कदम सांसदों की भूमिका और उसके कार्यों को कमजोर करेगा.
एमपी के रोल और फंक्शन्स पर सवालियानिशान
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अगर ये पैसा खत्म कर देंगे, तो सीधे-सीधे इसका प्रतिकूल प्रभाव संबंधित सांसद के इलाके के लोगों और वहां की जनता पर पड़ेगा. इसका नुकसान सीधे-सीधे पूरे देश के अंदर होगा और यही नहीं एमपी के रोल और फंक्शन्स पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाएगा. अगर देश के सांसदों की आवाज ही चली गई, तो फिर देश की संसद प्रभावी तौर से काम कैसे करेगी? इसलिए इसे रीस्टोर करिए.
मनीष तिवारी ने भी किया विरोध
कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भी मोदी सरकार के इस कदम का विरोध किया है. उन्होंने कहा, "आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, एक ऐसा सांसद जो मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों का प्रतिनिधित्व करता है, मैं सैलरी में 30 फीसदी कटौती का पूर्ण रूप से समर्थन करता हूं, लेकिन MPLAD को सस्पेंड करना जरूरत से ज्यादा है. ऐसे समय में जब एक मानवीय आपदा आई है जिसके निकट भविष्य में और भी खराब होने के आसार हैं, MPLAD एक ऐसा माध्यम है, जिससे माइक्रो लेवल पर लोगों की मदद की जा सकती है और उनकी समस्याएं दूर की जा सकती हैं."
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उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि एमपीलैड को फिर से लागू किया जाए. कृपया इसके बारे में एक बार फिर से सोचें. ये एक हड़बड़ाहट में ली गई प्रतिक्रिया है, जैसा 4 घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन किया गया था. इससे गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी MPLAD को फिर से बहाल करने की मांग की है. इस बाबत थरूर ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है. थरूर ने कहा कि वे प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि इस फैसले पर फिर से विचार किया जाए. निश्चित रूप से इस पैसे को कोरोना के खिलाफ जंग में खर्च किया जा सकता है, लेकिन इसे सांसदों के क्षेत्र में खर्च किया जाना चाहिए न कि दूर बैठे केंद्र द्वारा इसका आवंटन किया जाना चाहिए.