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COVID 19: कोरोना के कम परीक्षण देश के लिए बन सकते हैं बड़ी मुसीबत, ऐसे कैसे रुकेगी महामारी

pradeep pandey प्रदीप पाण्डेय
Updated Mon, 06 Apr 2020 07:45 PM IST
सार

  • 30 जनवरी को भारत में हुई थी पहले कोरोना मरीज की पुष्टि
  • अभी तक लिए गए 89,534 सैंपल
  • भारत में 4,000 से ऊपर पहुंची संक्रमितों की संख्या
  • 109 लोगों कr मौत की पुष्टि

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COVID 19 India: slow testing of coronavirus in india may become big problems in upcoming days
Covid 19 - फोटो : PTI
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विस्तार
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भारत में शुरुआत से ही कोरोना वायरस की जांच को लेकर सवाल उठते रहे हैं। यहां कोरोना संक्रमित अन्य देशों के मुकाबले जांच के लिए बहुत ही कम सैंपल लिए जा रहे हैं। हमारे देश में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी को केरल के त्रिशूर जिले में सामने आया था।



इसकी पुष्टि खुद केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने ट्वीट के जरिये की थी। यह संक्रमित व्यक्ति चीन के वुहान विश्वविद्यालय में पढ़ता था और वहीं से केरल लौटा था। उसकी जांच हुई थी, जिसमें वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। इसके बाद मार्च की शुरुआत में दिल्ली और हैदराबाद में दो मामले मिलने के बाद सरकार हरकत में आई।


30 मार्च को भारत सरकार की ओर से बताया गया कि देश में प्रति 10 लाख लोगों में महज 6.8 लोगों की जांच की गई है। यह दुनियाभर में सबसे कम आंकड़ा है।

स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) के मुताबिक छह अप्रैल 2020 को दोपहर एक बजे तक कुल 89,534 सैंपल लिए जा चुके हैं। भारत में कोरोना से संक्रमितों की संख्या 4,067 हो गई है और मरने वालों की संख्या 109 पर पहुंच गई है।

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बाकी देशों में जांच-परीक्षण की क्या है स्थिति?

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आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने 30 मार्च को बताया था कि फ्रांस में हर सप्ताह 10 हजार लोगों की जांच हो रही है। जबकि ब्रिटेन में 16 हजार और अमेरिका में 26 हजार लोगों की जांच प्रति सप्ताह हो रही है। सबसे अधिक टेस्टिंग करने वाले देश में दक्षिण कोरिया है। दक्षिण कोरिया में प्रति सप्ताह तकरीबन 80 हजार लोगों की टेस्टिंग हो रही है, जबकि जर्मनी में यह आंकड़ा 42 हजार और इटली में 52 हजार का है।

अब बात करें इन देशों की मौजूदा हालत की तो वर्ल्डोमीटर (worldometers) के आंकड़े के मुताबिक अमेरिका में छह अप्रैल की शाम पांच बजे तक कोरोना से संक्रमितों की संख्या 3,36,851 और मरने वालों की संख्या 9,620 हो गई है। अमेरिका में अब तक 10 लाख से अधिक लोगों की जांच हो चुकी है। वहीं इटली में मरने वालों की संख्या 15,887 के आंकड़े को पार चुकी है।

दक्षिण कोरिया से क्या सीख सकते हैं?
दक्षिण कोरिया शुरुआत से ही इस संक्रमण को काफी गंभीरता से देख रहा था। उसने राष्ट्रीय स्तर पर जांच की और नतीजा पूरी दुनिया के सामने है। वहां अभी तक सिर्फ 186 लोगों की मौत हुई है और कुल संक्रमित लोगों की संख्या 10,284 है। दक्षिण कोरिया में सबसे अधिक मामले तीन मार्च को सामने आए थे जिनकी संख्या 851 थी, लेकिन उसके बाद संक्रमण की संख्या गिरती गई और पांच अप्रैल को सिर्फ 81 मामले सामने आए। यानी दक्षिण कोरिया ने एक महीने के अंदर कोरोना को काबू में कर लिया है।

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच में समस्या कहां है?

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corona bihar - फोटो : PTI
हमारे देश में शुरू में सिर्फ उन लोगों की ही जांच की गई थी जो किसी कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में आए थे। या फिर ऐसे लोग जिनमें कोरोना के लक्षण देखे गए। लेकिन इस बीच अनजाने में संक्रमण बढ़ता गया क्योंकि जिन लोगो में कोरोना का संक्रमण था उन्हें भी इस बात की जानकारी नहीं थी।

हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बिहार में कोरोना के पहले मरीज की पुष्टि उसके मरने के बाद हुई। ऐसे भी कई केस सामने आए जिनमें मरीज के मरने के बाद डॉक्टर जांच के लिए उनका सैंपल लेने पहुंचे थे।

देश में कितने लोग कोरोना से संक्रमित हैं इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि यह भी संभव है कि एयरपोर्ट पर जिन लोगों की थर्मल स्कैनिंग हुई थी उनमें भी भविष्य में कोरोना का संक्रमण मिले। हमारे देश में अभी भी उन लोगों की ही जांच हो रही है जिनमें कोरोना के गंभीर लक्षण दिखाए दे रहे हैं या फिर उन लोगों की, जो किसी ऐसे आयोजन में शामिल हुए हैं जहां संक्रमण की पुष्टि हुई हो।
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विकट हो सकती है कोरोना की स्थिति

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डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो) - फोटो : PTI
अमेरिका में प्रति सप्ताह 26 हजार लोगों की जांच हो रही थी, इसके बावजूद वहां स्थिति विकट हो गई है। वहां पिछले 24 घंटे में 1,224 लोगों की जान गई है। भारत में अभी तक जेनेटिक तरीके से कोरोना की टेस्टिंग हो रही है, लेकिन जल्द ही रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग शुरू होने वाली है जिसके बाद 15 मिनट में नतीजा आ जाएगा।

जेनेटिक टेस्टिंग में रिजल्ट आने में करीब 48 घंटे का वक्त लगता है। भारत में एंटीबॉडी टेस्टिंग शुरू होने के बाद अचानक से संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं, क्योंकि जितनी तेजी से टेस्टिंग होगी उतने ही रिजल्ट सामने आएंगे।

देश में अभी हालत यह है कि जब तक किसी के संक्रमित होने की जानकारी मिल रही है, तबतक उसके कारण कई लोगों में संक्रमण फैल चुका होता है। ऐसे में संक्रमण तेजी से फैल सकता है और स्थिति भयावह हो सकती है। स्थिति विकट होने की स्थिति में भारत में संभावित इलाकों में कोरोना टेस्टिंग सेंटर्स भी बनाए जा सकते हैं ताकि अधिक-से-अधिक टेस्ट किए जाएं और कोरोना को कंट्रोल किया जाए।

भीलवाड़ा मॉडल से बन सकती है बात

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पूरे देश में भीलवाड़ा मॉडल लागू करके भी कोरोना को कंट्रोल किया जा सकता है। बता दें कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राजस्थान सरकार ने तुरंत एक्शन लिया और पूरे शहर में कर्फ्यू लगाकर बॉर्डर सील कर दिया। जिले की सीमाएं सील करते हुए 14 एंट्री पॉइंट्स पर चेक पोस्ट बनाईं, ताकि कोई भी शहर से न बाहर जा सके और न अंदर आ सके।

भीलवाड़ा में कोरोना के आंकड़ों को 27 पर ही रोक दिया गया। 16 हजार स्वास्थ्य कर्मियों की टीम को एक साथ भीलवाड़ा भेजा गया गया। स्वास्थ्य कर्मियों ने घर-घर जाकर स्क्रीनिंग शुरू कर दी। इस दौरान करीब 18 हजार लोगों में सर्दी-जुकाम के लक्षण पाए गए। कोरोना संक्रमण के बाद देश में पहली बार भीलवाड़ा में इस तरह का काम शुरू किया गया और ये कारगर साबित हुआ। भीलवाड़ा में सरकार ने समय रहते तो जरूरी कदम उठाए हैं, वह सराहनीय है।
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