कोविड-19: भारत सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप का सोर्स कोड किया सार्वजनिक

  • ब्रजेश मिश्र
  • बीबीसी संवाददाता
आरोग्य सेतु ऐप

इमेज स्रोत, Getty Images

भारत सरकार ने 'आरोग्य सेतु' मोबाइल ऐप के सोर्स कोड को सार्वजनिक करने की घोषणा की है जिसके बाद इस ऐप की जाँच-परख कर पाना संभव होगा.

कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की कॉन्टैक्ट-ट्रेसिंग के लिए विकसित किये गए इस सरकारी मोबाइल ऐप पर प्राइवेसी और सेफ़्टी से जुड़े कुछ सवाल उठे थे.

लेकिन सोर्स कोड से जुड़ी भारत सरकार की घोषणा को लोगों के डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने एक अच्छी पहल बताते हुए कहा है कि 'इससे मोबाइल ऐप इस्तेमाल कर रहे लोगों की सिक्योरिटी सुनिश्चित की जा सकेगी.'

भारत सरकार ने 2 अप्रैल 2020 को 'आरोग्य सेतु' मोबाइल ऐप लॉन्च किया था और वर्तमान में क़रीब 11.5 करोड़ लोग इस ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनमें से सभी एन्ड्रॉयड यूज़र अब इस ऐप का सोर्स कोड देख सकेंगे.

केंद्र सरकार ने बताया है कि आईओएस यानी एप्पल के मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करने वाले यूज़र्स के लिए भी जल्द सोर्स कोड रिलीज़ किया जाएगा.

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने मंगलवार को कहा कि "दुनिया में कोई भी अन्य सरकार इस पैमाने पर इतना खुला रुख़ नहीं अपनाती है. कोरोना वायरस महामारी से लोगों को सतर्क करने के लिये आरोग्य सेतु ऐप की शुरुआत की गई, लेकिन कुछ लोगों ने इस ऐप के ज़रिये लोगों के निजी डेटा जुटाये जाने और उनकी निजी जिंदगी के बारे में तांक-झांक करने का आरोप लगाया. सरकार ने इन्हीं चिंताओं का समाधान करने के लिये यह क़दम उठाया है. इस ऐप के सोर्स कोड को खोल दिया गया है."

नेशनल इन्फ़ोमेटिक सेंटर की महानिदेशक नीता वर्मा ने कहा कि इस ऐप में खामी का पता लगाने वाले लोगों के लिये चार श्रेणी के पुरस्कार रखे गये हैं. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिहाज़ से संवेदनशीलता को लेकर तीन श्रेणियों में प्रत्येक में एक लाख रुपये का पुरस्कार रखा गया है जबकि कोड में सुधार के सुझाव के लिये एक पुरस्कार एक लाख रुपये का रखा गया है.

छोड़िए YouTube पोस्ट, 1
Google YouTube सामग्री की इजाज़त?

इस लेख में Google YouTube से मिली सामग्री शामिल है. कुछ भी लोड होने से पहले हम आपकी इजाज़त मांगते हैं क्योंकि उनमें कुकीज़ और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है. आप स्वीकार करने से पहले Google YouTube cookie policy और को पढ़ना चाहेंगे. इस सामग्री को देखने के लिए 'अनुमति देंऔर जारी रखें' को चुनें.

चेतावनी: तीसरे पक्ष की सामग्री में विज्ञापन हो सकते हैं.

पोस्ट YouTube समाप्त, 1

क्या है मामला

छोड़कर पॉडकास्ट आगे बढ़ें
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर (Dinbhar)

वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख़बरें जो दिनभर सुर्खियां बनीं.

दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर

समाप्त

कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए घरों में जिन लोगों को क्वारंटीन किया गया था उन पर सरकार ने नज़र रखने के लिए तकनीक का सहारा ले रही है. इसके साथ ही तकनीक के ज़रिए ही कोरोना संक्रमित लोगों के मूवमेंट पर भी नज़र रखी जा रही है.

भारत सरकार के 'आरोग्य सेतु' ऐप के ज़रिए लोग अपने आसपास कोरोना के मरीज़ों के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकते हैं. सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया था कि ये ऐप यूजर्स की निजता को ध्यान में रखकर बनाया गया है.

भारत सरकार के अलावा पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक और गोवा की सरकारों ने ऐसे मोबाइल ऐप शुरू किए हैं जिनके ज़रिए कोरोना वायरस कोविड 19 से संबंधित जानकारियां हासिल की जा सकती हैं.

साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि इन ऐप के ज़रिए कोरोना संक्रमित लोगों और होम क्वारंटीन पर रखे गए लोगों पर नज़र रखी जा रही है. इससे पहले ऐसी ख़बरें भी आई थीं कि भारत सरकार कोरोना कवच नाम का ऐप लाने की तैयारी कर रही है, जो कोरोना संक्रमितों पर नज़र रखेगा.

साथ ही राज्य सरकारें भी टेलिकॉम कंपनियों की मदद से कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की लोकेशन और कॉल हिस्ट्री के जरिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी कर रही हैं.

कोरोना वॉच मोबाइल ऐप
इमेज कैप्शन, कर्नाटक सरकार के कोरोना वॉच मोबाइल ऐप के ज़रिए कोरोना पॉज़िटिव व्यक्ति के बीते 14 दिनों के मूवमेंट के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है.

कोरोना मुक्त हिमाचल का नारा

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, भारत में हिमाचल प्रदेश सरकार कोरोना मुक्त हिमाचल ऐप लॉन्च करने की तैयारी में था. जबकि आंध्र प्रदेश सरकार ने कोरोना एलर्ट ट्रेसिंग सिस्टम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है.

इसके ज़रिए क़रीब 25000 लोगों पर नज़र रखी जा रही है जो होम क्वारंटीन पर रखे गए हैं.

प्रशासन इन लोगों के मोबाइल नंबरों के आधार पर डेटाबेस भी निकाल रहा है ताकि इनके संपर्क में आने वालों की तलाश की जा सके.

ऐसे क़दम सिर्फ़ भारत में ही नहीं दुनिया के कई देशों में उठाए जा रहे हैं.

छोड़िए Twitter पोस्ट, 1
Twitter सामग्री की इजाज़त?

इस लेख में Twitter से मिली सामग्री शामिल है. कुछ भी लोड होने से पहले हम आपकी इजाज़त मांगते हैं क्योंकि उनमें कुकीज़ और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है. आप स्वीकार करने से पहले Twitter cookie policy और को पढ़ना चाहेंगे. इस सामग्री को देखने के लिए 'अनुमति देंऔर जारी रखें' को चुनें.

पोस्ट Twitter समाप्त, 1

इसराइल में रातोंरात पास हुआ कानून

इसराइल सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए लोगों के मोबाइल डेटा पर नज़र रख रही है.

कहा जा रहा है कि इससे उन लोगों की तलाश करने में आसानी होगी जो संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए हैं.

इसराइल के अलावा, चीन, दक्षिण कोरिया, अमरीका, सिंगापुर, हॉन्ग कॉन्ग में भी सरकारों ने ऐसा कदम उठाया है.

हालांकि दुनिया भर में साइबर एक्सपर्ट इस कदम पर सवाल उठा रहे हैं और इसे लोगों की निजता का हनन बता रहे हैं.

वीडियो कैप्शन, कोरोना: 671 दिनों तक अकेले रहने वाले शख़्स

डेटा के इस्तेमाल पर सवाल

विशेषज्ञों का मानना रहा है कि कोरोना वायरस जैसी महामारी की आपात स्थिति से निपटने के लिए भले ही सरकार का यह क़दम एक हद तक सही लग रहा हो लेकिन अगर लोगों की निजता की बात की जाए और जो जानकारी सरकार इकट्ठा कर रही है उसका इस्तेमाल कब तक होगा और कैसे होगा इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है जो कि चिंता का विषय है.

साइबर क़ानून एक्सपर्ट पवन दुग्गल का कहना है कि ये इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के ज़रिए इकट्ठा किया जा रहा डेटा जब इस्तेमाल किया जाएगा तो निजता के अधिकार का हनन तो होगा ही साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन होगा जिसमें निजता के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बताया गया है.

बीबीसी से उन्हें कहा, "सरकार यह कह सकती है कि ट्रेसिंग जनस्वास्थ्य को ध्यान में रखकर की जा रही है क्योंकि कम्युनिटी ट्रांसमिशन का ख़तरा बढ़ रहा है इसलिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ज़रूरी है. लेकिन सरकार ऐसी कोई गारंटी नहीं दे रही कि हालात सुधरने के बाद इस डेटा को नष्ट कर दिया जाएगा. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना बनती है कि इस डेटा का ग़लत इस्तेमाल हो सकता है."

दूसरी तरफ़ सरकार ने इस ऐप में खामी का पता लगाने वाले लोगों के लिये चार श्रेणी के पुरस्कार घोषित किए हैं.

नेशनल इन्फ़ोमेटिक सेंटर की महानिदेशक नीता वर्मा ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज़ से संवेदनशीलता को लेकर तीन श्रेणियों में प्रत्येक में एक लाख रुपये का पुरस्कार रखा गया है जबकि कोड में सुधार के सुझाव के लिये एक पुरस्कार एक लाख रुपये का रखा गया है.

वीडियो कैप्शन, कोरोना: किस ख़ास तकनीक से चीन ने रोकी महामारी

न्यू वर्ल्ड साइबर ऑर्डर

पवन दुग्गल का ये भी कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से लोग डरे हुए हैं इसलिए फिलहाल वो निजता के हनन का मुद्दा नहीं उठा रहे हैं. इस वजह से भारत ही नहीं दुनिया भर में शासकों को ऐसी ताकत मिल रही है जो आगे चलकर जनता के ख़िलाफ़ इस्तेमाल हो सकती है और उसके परिणाम बुरे हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, "पूरी दुनिया के परिवेश में देखें तो एक नया वर्ल्ड साइबर ऑर्डर आ रहा है जहां पर सरकारें अपनी शक्तियों को और ज़्यादा मजबूत कर रही हैं और इस महामारी के आधार पर लोगों के अधिकारों के उल्लंघन का लाइसेंस ले रही हैं. लोग ये नहीं समझ रहे हैं कि ये महामारी सिर्फ़ इंसानों को ख़त्म नहीं करेगी, जब हालात सामान्य होंगे तो लोगों को पता चलेगा कि उनकी जानकारियों का दुरुपयोग हो रहा है."

पवन दुग्गल मानते हैं कि लोगों को इसके प्रति जागरूक होना पड़ेगा और अगर उन्हें इस महामारी के ख़त्म होने बाद कानूनी रास्ते भी अपनाने पड़ सकते हैं ताकि वो अपनी निजता और डिजिटल स्वतंत्रता को बचा सकें. क्योंकि ये ट्रेंड दुनिया के कई देशों में है.

हालांकि भारत सरकार का कहना है कि इन्हीं चिंताओं का समाधान करने के लिये ज़रूरी क़दम उठाया गया है. इस ऐप के सोर्स कोड को खोल दिया गया है

इंटरनेट फ्रीडम फ़ाउंडेशन के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर अपार गुप्ता भी इस बात से सहमत नज़र आते हैं.

अपार गुप्ता कहते हैं कि इससे जो नुकसान हो सकते हैं उनमें सबसे प्रमुख है कि ये डेटा जो सरकार ले रही है वो बिना किसी क़ानून के दायरे में ले रही है ऐसे में इसका इस्तेमाल वो कैसे करती है और कब तक करती है किसी को नहीं पता.

कोरोना वायरस मोबाइल ऐप

इमेज स्रोत, Reuters

आधार नंबर की तरह हो सकती है ट्रेसिंग

आधार कार्ड से जुड़ी जानकारियों को लेकर भी लंबे समय तक बहस छिड़ी थी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी गया था. कई मौकों पर ऐसी ख़बरें भी आईं कि आधार कार्ड का डेटा लीक हो गया और हज़ारों लोगों की निज़ी जानकारी सार्वजनिक हो गई या किसी ऐसी पार्टी के पास पहुंच गई जो उसका ग़लत इस्तेमाल कर सकती है.

आधार कार्ड को राशन और दूसरी सरकारी सुविधाओं को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था.

लेकिन बाद में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि आधार को बैंक ख़ातों और पैन कार्ड से जोड़कर टैक्स की चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. आधार कार्ड को मोबाइल नंबर के लिए ज़रूरी कर दिया गया.

डेटा और निजी जानकारियां...

अपार गुप्ता कहते हैं कि जिस तरह आधार नंबर एक सर्विलांस सिस्टम बन गया है और उसे हर चीज़ से जोड़ा जा रहा है वैसे ही कोरोना वायरस से जुड़े एप्लिकेशन में लोगों का डेटा लिया जा रहा है, उनका हेल्थ डेटा और निजी जानकारियां भी शामिल हैं वो सरकार किस तरह और कब तक इस्तेमाल करती है इसकी कोई गारंटी नहीं है.

उन्होंने कहा, "कर्नाटक सरकार ने ये तक आदेश दिए हैं कि लोग हर घंटे अपनी सेल्फ़ी खींचकर भेजें, जो कि उनकी निजता का हनन है. सरकार कोरोना का संकट दूर करने के उद्देश्य से यह कर रही है वो ठीक है लेकिन क्या वाकई ऐसे एप्लिकेशन की ज़रूरत है? क्या इसके लिए कोई क़ानून है ये बड़ा सवाल है."

छोड़िए Twitter पोस्ट, 2
Twitter सामग्री की इजाज़त?

इस लेख में Twitter से मिली सामग्री शामिल है. कुछ भी लोड होने से पहले हम आपकी इजाज़त मांगते हैं क्योंकि उनमें कुकीज़ और दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है. आप स्वीकार करने से पहले Twitter cookie policy और को पढ़ना चाहेंगे. इस सामग्री को देखने के लिए 'अनुमति देंऔर जारी रखें' को चुनें.

पोस्ट Twitter समाप्त, 2

अधिकतर राज्य सरकारों ने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के उद्देश्य से यह शुरू किया है लेकिन इसकी कोई समय सीमा तय नहीं की गई है.

अपार गुप्ता बताते हैं, "अगर आप एंड्रॉयड प्लेस्टोर पर जाएं और प्राइवेसी पॉलिसी का जो लिंक है उस पर क्लिक करें तो पाएंगे कि ये प्राइवेसी पॉलिसी के पेज़ पर नहीं खुलता. ये किसी अधूरे पेज़ पर खुलता है या किसी दूसरे सरकारी विभाग की वेबसाइट पर खुलता है."

"कर्नाटक सरकार के कोरोना ऐप में दिए गए प्राइवेसी लिंक पर क्लिक करें तो वो लैंड रिकॉर्ड डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर ले जाता है. प्राइवेसी पॉलिसी भी सरकार नहीं रख रही और न ही ये बता रही कि वो हमारा कितना डेटा लेगी और कब तक लेगी. और सबसे बड़ी बात है कि सरकार ये डेटा किसे देगी और कौन उन पर नज़र रखेगा. इससे बाद में काफ़ी संकट आ सकता है."

कोरोना ऐप

आरोग्य सेतु की प्राइवेसी पॉलिसी क्या है?

केंद्र सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, ये ऐप पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के ज़रिए तैयार किया गया है ताकि देश के लोगों को कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में एकजुट किया जा सके.

यह ऐप लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने के उद्देश्य से बनाया गया है. जिस व्यक्ति के फ़ोन में ये ऐप होगा वो दूसरों के संपर्क में कितना रहे हैं, यह पता लगाने के लिए ब्लूटूथ तकनीक, एल्गोरिदम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

अगर आपके फ़ोन में ये ऐप इंस्टॉल है तो ये अपने आस-पास के उन लोगों को भी खोज लेगा जो आपके आसपास रहते हैं और उनके फ़ोन में भी ये ऐप है. ये ऐप बताएगा कि आपके आसपास रहने वाला कोई भी व्यक्ति अगर कोरोना वायरस से संक्रमित है तो आपको कितना ख़तरा है और जीपीएस लोकेशन की मदद से वो यह भी पता लगाएगा कि आप कब उनके संपर्क में आए हैं.

ऐप की मदद से सरकार आइसोलेशन और वायरस संक्रमण फैलने से रोकने के लिए ज़रूरी कदम भी वक़्त रहते उठा पाएगी. ये ऐप 11 भाषाओं में उपलब्ध है.

सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि ऐप में नाम, मोबाइल नंबर, जेंडर, पेशा, ट्रैवेल हिस्ट्री और आप धूम्रपान करते हैं या नहीं, ये ब्यौरा पूछा जाएगा.

ऐप में मौजूद आपकी निजी जानकारी और डेटा का इस्तेमाल भारत सरकार करेगी ताकि कोरोना से संबंधित डेटाबेस तैयार किया जा सके और वायरस संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.

सभी जानकारी क्लाउड में अपलोड की जाएगी और इसके जरिए आपको लगातार कोरोना वायरस से संबंधित सूचनाएं भी दी जाएंगी.

मोबाइल नंबर पर सरकार की ओर से मैसेज और दूसरे माध्यमों से जानकारी दी जाती रहेगी.

किसी भी तरह की जानकारी का इस्तेमाल कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के अलावा किसी अन्य वजह से इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

अगर आप ऐप डिलीट करते हैं तो 30 दिनों के भीतर आपका डेटा क्लाउड से हटा दिया जाएगा.

(तीन अप्रैल को पब्लिश हुई ये स्टोरी 27 मई को नई जानकारी के साथ अपडेट की गई है.)

कोरोना वायरस के बारे में जानकारी
लाइन
कोरोना वायरस हेल्पलाइन

इमेज स्रोत, GoI

कोरोना वायरस के बारे में जानकारी

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)