कोरोना वायरस: तबलीग़ी जमात मामले में पूछताछ करने गई बिहार पुलिस पर हमला

  • नीरज प्रियदर्शी
  • बीबीसी हिंदी के लिए, बिहार से
पुलिस

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बिहार के मधुबनी ज़िले के झंझारपुर अनुमंडल के अंधराठाढ़ी प्रखंड के जमैला गीदड़गंज गांव में एक मस्जिद में तबलीग़ी जमात से आए लोगों के बारे में जानकारी लेने गई पुलिस और ग्रामीणों के बीच मंगलवार को तीखी झड़प हुई.

इस मामले में पुलिस ने टीम पर हमले और पत्थरबाज़ी के आरोप दर्ज किए हैं. वहीं ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया और गोली भी चलाई. घटना से जुड़े वीडियोज़ और ख़बरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

पुलिस के मुताबिक़, "मस्जिद में मंगलवार की शाम सोशल डिस्टेंसिंग समझाने और बाहरी लोगों के बारे में जानकारी जुटाने पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम पर लोगों ने हमला कर दिया."

इस मामले में दर्ज की गई एफ़आईआर के अनुसार हमलावरों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया जिससे अंचल अधिकारी सहित अन्य कर्मी ज़ख्मी हो गए.

पुलिस का आरोप है कि ग्रामीणों की ओर से फ़ायरिंग भी की गई है. मामला बढ़ता देख बीडीओ व थानाध्यक्ष को किसी तरह जान बचाकर वहां से निकलना पड़ा.

झांझरपुर के डीएसपी अमित शरन ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "पुलिस गीदड़गंज गांव की मस्जिद में ये पता करने गई थी कि क्या दिल्ली में तबलीग़ी जमात में हुए कार्यक्रम से लौटकर कई व्यक्ति वहां ठहरे हैं."

घटना को लेकर मधुबनी एसपी डॉक्टर सत्यप्रकाश ने बीबीसी को बताया, "थानाध्यक्ष को मस्जिद में भीड़ और बाहरी लोगों के होने की सूचना मिली थी. इस पर कार्रवाई के लिए जब पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की टीम पहुंची तो ग्रामीणों के एक गुट ने अचानक हमला बोल दिया."

उन्होंने बताया, "हमलावरों पर एफ़आईआर दर्ज कर वीडियो और पूछताछ के आधार पर पहचानकर इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है."

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ग्रामीणों का पुलिस पर आरोप

पुलिस का कहना है कि जब वे ग्रामीणों को सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब समझा रहे थे तब उन पर हमला हुआ.

दूसरी तरफ ग्रामीणों ने पुलिस टीम पर नमाज़ में सजदे के समय लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया है. इस संबंध में हमने ग्रामीणों से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.

मधुबनी के सामाजिक कार्यकर्ता विजय घनश्याम ने बीबीसी को बताया, "ग्रामीण इस वक़्त मीडिया से बात करने से डर रहे हैं. गांव और पूरे इलाक़े में पुलिस की सख़्ती भी है. ग्रामीणों को भय है कि मीडिया में बात जाने से पुलिस उनकी पहचान करके उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई भी कर सकती है."

घटना के समय के जो वीडियोज़ सोशल मीडिया पर वायरल हैं उनमें ग्रामीण स्थानीय मीडिया से कहते हुए देखे जा सकते हैं, "मस्जिद में नमाज़ हो रही थी. सजदे के दौरान पुलिस वालों ने लाठीचार्ज कर दिया जिससे कई लोग ज़ख़्मी हो गए. उसके बाद जब गावों वालों को पता चला तो उन लोगों ने पुलिस पर हमला बोल दिया."

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वे आगे कहते हैं, "पुलिस ने बचाव के लिए गोलियां चलाईं, जिसमें एक युवक को गोली लग गई है. अब पुलिस उसे अपने साथ लेकर अपनी मर्ज़ी के अनुसार बातें लिखवा रही हैं."

पुलिस द्वारा सजदे के समय लाठीचार्ज करने और फिर गोली चलाने के ग्रामीणों के आरोप पर झंझारपुर के एसडीओ शैलेश कुमार सिंह बीबीसी से कहते हैं, "ग्रामीणों का ये आरोप बेबुनियाद है. बीडीओ, सीओ और स्थानीय पुलिस की टीम सिर्फ़ पूछताछ के लिए गई थी, लेकिन लोग आक्रामक हो गए. पत्थरबाज़ी के साथ-साथ गोली उन्होंने ही चलाई. उनकी संख्या अधिक थी, इसलिए पुलिस को आत्मरक्षा में लौटना पड़ा. बाद में जब हमलोग दल-बल के साथ पहुंचे तब तक सारे लोग भाग चुके थे, घरों में ताला लटका था. हम तो यही जानना चाहते हैं कि जिस युवक के ज़ख्मी होने की बात कही जा रही है वो कहां हैं? मामले की जांच चल रही है क़रीब 200 से अधिक अज्ञात और कुछ नामजदों के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज हुआ है."

बिहार में बाहर से आए लोगों को क्वारंटीन करने के लिए ले जा रही पुलिस और प्रशासन के साथ लोगों की झड़प और पत्थरबाज़ी की यह कोई पहली ख़बर नहीं है.

इससे पहले जहानाबाद और सीतामढ़ी में भी लोगों को क्वारंटीन करने गई पुलिस और मेडिकल टीम के साथ लोगों की झड़प और मारपीट की घटनाएं घट चुकी हैं.

बहरहाल बिहार में कोरोना के संक्रमण के मामले बढ़कर 23 हो गए हैं.

प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि लॉकडाउन के दौरान बाहर से आए हर शख़्स को 14 दिन क्वरंटीन में रखा जाएगा.

वहीं, महाराष्ट्र के सोलापुर में एक व्यक्ति को पीटने का मामला सामने आया है.

व्यक्ति की मांग थी कि तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल होकर लौटे लोगों पर कार्रवाई की जानी चाहिए.

निज़ामुद्दीन में तबलीग़ी जमात मरकज़ में हुए समारोह में 16 लोग शामिल थे जिनमें से 10 लोग पीड़ित व्यक्ति के गांव के हैं.

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