हरियाणा: पानीपत में प्रशासन ने प्रवासी मज़दूरों के लिए सड़ी हुई खिचड़ी के पैकेट भिजवाए

हरियाणा के पानीपत में रह रहे कई प्रवासी मज़दूरों ने शिकायत की है कि या तो प्रशासन उन्हें भोजन मुहैया नहीं करा रहा है और अगर कहीं पर खाना पहुंच भी रहा है तो उसकी गुणवत्ता काफी ख़राब है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

हरियाणा के पानीपत में रह रहे कई प्रवासी मज़दूरों ने शिकायत की है कि या तो प्रशासन उन्हें भोजन मुहैया नहीं करा रहा है और अगर कहीं पर खाना पहुंच भी रहा है तो उसकी गुणवत्ता काफी ख़राब है.

**EDS: RPT (CHANGES LOCATION FROM NEW DELHI TO GHAZIABAD)** Ghaziabad: Migrant workers along with their family members take rest after they set forth to their their villages on foot, amid a nationwide lockdown in wake of coronavirus pandemic, in Ghaziabad, Sunday, March 29, 2020. (PTI Photo/Arun Sharma)(PTI29-03-2020 000043B)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण देश भर के शहरों में फंसे हजारों मजदूरों को कई गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है. राज्य सरकारें दावा कर रही हैं कि मजदूरों को पलायन करने की जरूरत नहीं है और शहर में ही उनके रहने-खाने का इंतजाम किया जा रहा है.

हालांकि जमीनी हकीकत सरकारों की गैर-जिम्मेदाराना और घोर संवेदहीन रवैये को बयां कर रही है. आलम ये है कि मजदूरों को बासी, खराब या सड़ा-गला भोजन दिया जा रहा है.

द वायर  ने हरियाणा के कई मजदूरों से इस संबंध में बातचीत की है, जिन्होंने ये पुष्टि की है कि या तो उन तक राशन पहुंचाया ही नहीं जा रहा है और अगर बार-बार गुजारिश के बाद थोड़ी-बहुत राहत पहुंच भी रही है तो भोजना की गुणवत्ता बेहद खराब है.

मूल रूप से बिहार के नालंदा जिले के निवासी और मौजूदा समय में पानीपत के कबाड़ी रोड पर रह रहे मजदूर विक्की ने बताया कि बीते मंगलवार यानी कि 31 मार्च को प्रशासन की तरफ से शाम छह बजे के आसपास 45 मजदूरों के लिए खिचड़ी के कुछ पैकेट भिजवाए गए थे, लेकिन वो बिल्कुल खराब थे. विक्की ने आरोप लगाया कि खाना सड़ चुका था और उससे दुर्गंध आ रही थी.

विक्की धागा मिल में मजदूरी करते हैं. उन्होंने कहा, ‘हमें ये खाना डस्टबिन में फेंकना पड़ा. हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं, ये सब खाकर उनकी तबीयत और खराब हो जाती. सरकार हमें सूखा राशन दे दे, हम खुद बना लेंगे.’

पानीपत के देस कॉलोनी में रहने वाले शाहिद बीती रात सो रहे थे कि रात दस बजे उनके पास फोन आया और कहा गया कि आकर राशन लेकर जाओ.

शाहिद राशन लेने नहीं गए क्योंकि उन्होंने अपने बच्चों को पहले ही बिस्किट खिला कर सुला दिया था. उन्होंने कहा, ‘हम दिन भर खाने के इंतजार में बैठे थे. कोई खाना देने नहीं आया. एक हफ्ते हो गए हमें कुछ भी नहीं मिला है.’

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के रहने वाले घनश्याम वर्तमान में रामायणी चौक पर रहते हैं. उन्होंने बताया कि घर पर गैस बिल्कुल खत्म हो गई है, पैसे नहीं हैं जिसके कारण वे अपने बच्चों को दूध नहीं दे पा रहे हैं.

घनश्याम ने कहा, ‘चार दिन पहले मैं अपनी पत्नी के साथ मध्य प्रदेश में अपने गांव में जाने के लिए निकल गया था. लेकिन पुलिस ने हमें सोनीपत में पकड़ लिया और वापस पानीपत छोड़ गई. तब उन्होंने पांच किलो आटे की एक थैली, आलू, एक लीटर तेल और दाल दिया था. हालांकि सिलेंडर नहीं है, इस राशन का क्या करें हम.’


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घनश्याम ने बताया कि उन्होंने हरियाणा का हेल्पलाइन नंबर 1100 पर कॉल किया था लेकिन वहां से जवाब आया कि तुम्हारा मध्य प्रदेश का आधार कार्ड नहीं चलेगा, राशन नहीं मिल सकता.

55 वर्षीय विधवा और शारीरिक रूप से अक्षम गीता देवी रेहड़ी लगाकर अपना गुजारा चलाती थीं. वे राजनगर की गली नंबर तीन में रहती हैं. इनके पड़ोस में रहने वाली रेणु घरों में सफाई करने का काम करती थीं. लॉकडाउन के कारण दोनों का काम बंद हो गया है और दोनों को अभी तक किसी तरह का राशन नहीं दिया गया है.

गीता देवी ने कहा, ‘मेरे दोनों हाथ और पांव बिल्कुल खराब हो रखे हैं. चलना-फिरना भी मुश्किल है. अभी तक कोई भी सहायता नहीं मिली है. पिछले कई दिनों से भूखी बैठी हूं.’

एक अन्य मजदूर प्रीती ने बताया कि वो पिछले कई दिनों से बीमार हैं, इलाज भी नहीं हो पा रहा और खाना भी नहीं मिल रहा है.

उन्होंने बताया कि बीती रात को प्रशासन की तरफ से खाने के नाम पर उन्हें नमकीन चावल का पैकेज भिजवाया गया था. उन्होंने कहा, ‘इससे क्या होगा. मैं बीमारी के हालत में ये सब कैसे खा सकती.’

आरोप है कि हरियाणा प्रशासन प्रवासी मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए उचित राशि नहीं खर्च कर रहा है और जो हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, उस पर कॉल करने पर कोई फोन नहीं उठा रहा, अगर एकाध बार फोन लग भी जा रहा तो अधिकारी मामले को टरकाने की कोशिश कर रहे हैं.

हालांकि हरियाणा के पानीपत प्रशासन का कहना है कई लोग हेल्पलाइन पर फर्जी कॉल करके जमाखोरी कर रहे हैं, इसलिए अब सूखा राशन देना बंद कर दिया गया.

पानीपत के जिला कलेक्टर हेमा शर्मा से जब इस संबंध में सवाल किया तो पहले तो उन्होंने ऐसी कोई दिक्कत होने की संभावना से इनकार किया. हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि आप उन मजदूरों का संपर्क दें, मदद की जाएगी.

उन्होंनेद वायर  से बातचीत में कहा, ‘अब हमने सूखा राशन देना बंद कर दिया है, क्योंकि लोग सूखा राशन जमा करना शुरू कर दिया था. एक ही व्यक्ति अलग-अलग नंबर से कॉल करके सूखा राशन मंगाता था और अपने यहां जमा कर लेता था.’

शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन ने हर वार्ड में कर्मचारियों की ड्यूटी लगा रखी है, जो वहां जाते हैं और पता करते हैं कि किसे खाने की जरूरत है. कर्मचारी ये भी देखते हैं कि राशन है या नहीं, ताकि ऐसा न हो कि फ्री में जो भी मिल रहा है ले लेंगे.’

स्थानीय प्रशासन ने 20 प्राइवेट संस्थाओं के साथ टाई-अप किया है, जो कि ऑर्डर आने पर खाना बनाकर डिलीवरी करने का काम करते हैं. हालांकि मजदूरों का कहना है कि हर टाइम के लिए इन्हें कॉल करना पड़ता है और हर बार इन्हें खाना पहुंचाने के लिए प्रशासन की मंजूरी लेनी पड़ती है.

मजदूर संगठन इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (इफटू) ने कहा कि वे परसों पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे, ताकि भुखमरी के शिकार इन प्रवासी व स्थानीय श्रमिकों, बुनकरों को तत्काल राशन व आर्थिक मदद सरकार दे, इनके जिंदा रहने का अधिकार की सुरक्षा हो पाएं.

द वायर  ने अपनी पिछली रिपोर्ट में बताया था कि हरियाणा के पानीपत ज़िले के प्रवासी बुनकरों, रिक्शा चालकों समेत हजारों दिहाड़ी मज़दूरों को राशन नहीं मिल पा रहा है. इसमें से कई लोग अपने गांव वापस लौट रहे थे, लेकिन प्रशासन ने इन्हें ये आश्वासन देकर रोका है कि उन्हें खाने-पीने की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी.