कोरोना वायरस: भारतीय मीडिया के निशाने पर चीन क्यों?
- सचिन गोगोई
- बीबीसी मॉनिटरिंग
कोरोना वायरस के दुनिया भर में फैलने और एक महामारी की शक्ल लेने के बाद से भारतीय मीडिया चीन को इसके लिए उत्तरदायी ठहरा रहा है.
कोरोना को रोकने के लिए भारत सरकार ने देश भर में 21 दिनों का लॉकडाउन लागू कर दिया है. ऐसे में भारतीय मीडिया का एक बड़ा तबका चीन पर आरोप लगा रहा है उसने जानबूझकर इस वायरस को तैयार किया और फैलाया है.
भारतीय मीडिया में डब्ल्यूएचओ की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
कोरोना वायरस फैलने के पीछे चीन का षड्यंत्र होने की थ्योरी भारत के पूरे मेनस्ट्रीम न्यूज़ मीडिया में जमकर चल रही है.
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए भारत ने 24 मार्च को अपने 1.3 अरब लोगों को 21 दिन के लॉकडाउन में डालने के अभूतपूर्व फ़ैसला लिया. इसके साथ ही देश में चीन विरोधी सेंटीमेंट बढ़ता दिखाई दे रहा है. मीडिया और एक्सपर्ट्स इस महामारी के फैलने में चीन की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं.
चीनी षड्यंत्र की थ्योरी
कई नागरिक ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कोरोना फैलने के लिए चीन को ज़िम्मेदार मान रहे हैं.
कोरोना चीन की चाल है, ये थ्योरी हाल तक ब्लॉग्स, सोशल मीडिया पोस्ट्स और कुछ सनसनीख़ेज़ टीवी चैनलों तक ही सीमित थी.
लेकिन, अब इस पर कुछ मेनस्ट्रीम भारतीय मीडिया में भी चर्चा हो रही है. इन मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पूछा जा रहा है कि कोरोना वायरस कहीं चीनी जैविक हथियार प्रोजक्ट का नतीजा तो नहीं है.
कोरोना वायरस के शुरू होने के बाद शुरुआती चरण में अग्रिम पंक्ति की भारतीय मीडिया कवरेज चीनी सरकार को लेकर बड़े स्तर पर संयमित और निरपेक्ष थी.
हालांकि, कुछ हिंदी न्यूज़ चैनल चीन पर गैर-प्रामाणिक आरोप लगा रहे थे कि चीन ने बायोलॉजिकल रिसर्च के जरिए कोविड-19 को तैयार किया है.
दूसरी ओर, प्रमुख भारतीय आउटलेट्स चीन में कोरोना से प्रभावित इलाकों में मौजूद भारतीयों को वहां से निकाले जाने पर फोकस कर रहे थे.
हालांकि, भारत में चल रहे मौजूदा 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान चीन के ख़िलाफ़ आरोपों पर अब प्रामाणिक मीडिया आउटलेट्स और एक्सपर्ट भी चर्चा कर रहे हैं. ये चीन के उत्तरदायित्व को तय करने की मांग कर रहे हैं.
चीन के ख़िलाफ़ आरोप
भारत सरकार कोरोना वायरस को रोकने के तरीकों को लेकर चीन के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए है, लेकिन देश के कई प्रभावशाली मीडिया आउटलेट्स अब इस महामारी के लिए चीन की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं.
24 मार्च को अपने ट्वीट में भारत में चीन के राजदूत सुन वीडोंग ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ फ़ोन पर बात की है. इसमें जयशंकर ने सहमति जताई कि भारत कोरोना वायरस को 'चाइनीज वायरस' नहीं कहेगा.
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हालांकि, भारतीय मीडिया चीन की आलोचना कई मसलों को लेकर कर रही है. इनमें हालात को सही तरीके से हैंडल नहीं करने से लेकर इस वायरस को तैयार करने और इसे पूरी दुनिया में फैलाने तक के आरोप शामिल हैं.
भारत में 25 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद से ही 'चाइनीजवायरस' और 'चाइनीजवायरस19' जैसे हैशटैग्स बड़े पैमाने पर भारतीयों द्वारा चलाए जाने लगे. इनके ज़रिए पूरी दुनिया में वायरस को फैलाने के लिए चीन को दोषी ठहराया जा रहा था.
जानबूझकर की गई लापरवाही
प्रमुख सिक्योरिटी और स्ट्रैटिजिक अफेयर्स एनालिस्ट नितिन ए गोखले ने लिखा है कि वायरस के फैलने से चीनी अधिकारियों की साफ़ तौर पर एक जानबूझकर की गई नज़रअंदाजी जाहिर होती है. उन्होंने पूरी दुनिया को जोखिम में डाल दिया है. गोखले कहते हैं कि दुनिया को चीन की जवाबदेही तय करनी चाहिए. पूरी दुनिया में चीनी वायरस का फैलाव और इसके कहर को देखते हुए इसे मानवता के ख़िलाफ़ अपराध माना जा सकता है.
लोकप्रिय हिंदी दैनिक अखबार दैनिक जागरण में छपी एक टिप्पणी में कहा गया है कि इस बात की पुष्टि होना बेहद मुश्किल है कि कोरोना वायरस चीन के जैविक हथियार टेस्टिंग का परिणाम है, लेकिन इस तथ्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि चीन के वुहान शहर में चीन ने वायरस रिसर्च की दुनिया की सबसे बड़ी लैब बनाई है. वुहान से ही यह वायरस पूरी दुनिया में फैला है.
इस टिप्पणी में आगे कहा गया है, "चीनी सरकारी मीडिया भी लैब को लेकर शेखी बघारती रही है."
संकट के जरिए कमाई
अंग्रेजी भाषा के एक प्रमुख न्यूज़ चैनल इंडिया टुडे के एंकर शिव अरूर ने चीन पर वायरस तैयार करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अब चीन दूसरे मुल्कों को दवाइयां और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) बेचकर पैसे कमा रहा है.
अरूर ने चीन को एक अविश्वसनीय, विश्वासघाती देश की संज्ञा दी जो कि अब पूरे विश्व के लिए ख़तरा बन गया है. उन्होंने कहा कि चीन एक एजेंडे पर आगे बढ़ रहा है और वह है- पहले एक संकट पैदा करना और फिर जब पूरी दुनिया उस संकट से निबटने में जूझ रही तो उससे कमाई करना.
डब्ल्यूएचओ पर भी चीन से मिले होने के आरोप
भारत सरकार या सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कोरोना वायरस के लिए चीन पर कोई आरोप नहीं लगाया है, लेकिन बीजेपी के एक सहयोगी संगठन ने हालात को ख़राब बनाने में चीन और डब्ल्यूएचओ के आपस में मिले होने का आरोप लगाया है.
स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ को तुरंत इस वायरस का नाम चाइना वायरस रख देना चाहिए. एसजेएम बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को आर्थिक मसलों पर सलाह देती है.
एसजेएम के राष्ट्रीय संयोजक अश्विनी महाजन ने अंग्रेज़ी भाषा की न्यूज़ वेबसाइट दप्रिंट को बताया,"वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की भूमिका और साख पर सवाल पैदा हो रहे हैं. इसने पहले चीन की उस बात पर भरोसा किया कि कोरोना वायरस इंसानों से इंसानों में नहीं फैल रहा है. लेकिन, अब यह साबित हो चुका है कि यह इंसानों के आपस में संपर्क में आने से यह फैल रहा है. डब्ल्यूएचओ माफ़ी क्यों नहीं मांगता औरर इस वायरस का नाम चाइना वायरस रखता?"
चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव पर भी सवाल
महाजन ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) की इस वायरस के फैलने में भूमिका की ग्लोबल इनवेस्टिगेशन की भी मांग की. उन्होंने कहा कि यह वायरस उन देशों में लोगों को बड़े पैमाने पर मार रहा है जो चीन के बीआरआई पार्टनर हैं. इनमें ईरान और इटली जैसे देश शामिल हैं.
उन्होंने कहा, "चीन ने अनैतिक तरीकों से इस वायरस को फैलाया है और अब पूरी दुनिया ख़तरे में है."
भारत के कई एक्सपर्ट भी डब्ल्यूएचओ की भूमिका को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. एक प्रभावशाली स्ट्रैटिजिक अफेयर्स एक्सपर्ट समीर सरन ने एक टिप्पणी में लिखा है कि डब्ल्यूएचओ ने सुस्ती भरे तरीक़े से इस संकट पर अपना रेस्पॉन्स किया.
सरन का आकलन है कि चीन डब्ल्यूएचओ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर अपने दबदबे को बढ़ा रहा है.
सीनियर जर्नलिस्ट और कमेंटरेटर शेखर गुप्ता ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा है कि डब्ल्यूएचओ जो कि लगातार चीन के अच्छे व्यवहार के सर्टिफिकेट्स बांट रहा था अब पूरी दुनिया को क्वारंटीन के उपायों के खिलाफ लेक्चर दे रहा है और इस तरह से हालात को और खराब बना रहा है.
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चीन पर प्रोपेगैंडा कैंपेन के आरोप
वायरस के फैलने के बाद से भारत के कई कमेंटेटर्स और मीडिया आउटलेट्स ने आरोप लगाया है कि चीन अब झूठ बोलकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है.
प्रमुख स्ट्रैटिजिक अफेयर्स एक्सपर्ट ब्रह्मा चेल्लानी ने अंग्रेजी न्यूज़ मैगजीन ओपेन में लिखा है कि चीन अब पूरी दुनिया में एक ग्लोबल लीडर के तौर पर अपनी रीब्रैंडिंग करने की आक्रामक तरीके से कोशिश कर रहा है.
चेल्लानी कहते हैं, "चीन की पब्लिक डिप्लोमैसी में ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल शामिल है. इनके ज़रिए वह गलत और झूठी सूचनाएं जारी कर पूरी दुनिया में नैरेटिव को प्रभावित करना चाहता है."
अंग्रेजी न्यूज़ चैनल वायोन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन कोरोना वायरस के चलते उसके ख़िलाफ़ हो रही आलोचनाओं का सक्रिय रूप से जवाब देने के लिए प्रोपेगैंडा मशीनरी का इस्तेमाल कर रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की प्रोपेगैंडा मशीनरी में बड़ी संख्या में फेक सोशल मीडिया अकाउंट्स शामिल हैं जो कि चीन के समर्थन वाले कंटेंट को पूरी दुनिया में फैलाते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस मशीनरी का एक हिस्सा उस प्रोग्राम से जुड़ा हुआ है जिसे चीन ने 2016 में शुरू किया था. इसके तहत चीन विदेशी पत्रकारों को 10 महीने की ट्रेनिंग देता है. इस कार्यक्रम के तहत कई विदेशी पत्रकार गुज़रे कुछ सालों में चीन जा चुके हैं.
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