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कोरोना

अब तक 8 बार शक्ल बदल चुका है कोरोना, हर चेहरे से खतरा एक जैसा

अब तक 8 बार शक्ल बदल चुका है कोरोना, हर चेहरे से खतरा एक जैसा
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दुनिया भर के वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस से हैरान कर रखा है. वैज्ञानिक इस वायरस की दवा बनाने में इस लिए भी परेशान हैं क्योंकि यह लगातार म्यूटेट हो रहा है यानी अपना रूप बदल रहा है. इस वायरस ने चीन के वुहान से निकलने का बाद से अब तक अपनी स्ट्रेन आठ बार बदली है. यानी रंग-रूप बदल रहा है. इन आठों स्ट्रेन पर दुनिया भर के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. (फोटोः गेटी)
अब तक 8 बार शक्ल बदल चुका है कोरोना, हर चेहरे से खतरा एक जैसा
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ये सभी आठों स्ट्रेन मिलते-जुलते हैं लेकिन मामूली अंतर के साथ. हालांकि, वैज्ञानिकों का दावा है कि कोई भी स्ट्रेन दूसरे स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक या जानलेवा नहीं दिखाई दे रहा है. सभी स्ट्रेन का दुष्प्रभाव एक जैसा ही है. (फोटोः गेटी)
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डेली मेल वेबसाइट ने यूएसए टुडे के हवाले से बताया है कि यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर चार्ल्स चिउ ने बताया कि यह वायरस लगातार अपनी शक्ल और रूप को बदल रहा है. लेकिन अंदर से इसके RNA और DNA में थोड़ा ही बदलाव हो रहा है. अंदर ज्यादा बदलाव नहीं हो रहा है. (फोटोः गेटी)
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वैज्ञानिक इस बात से भी हैरान है कि कोरोना का हर नया चेहरा उतना ही घातक है जितना कि उससे पहले वाला. लेकिन ये समझ नहीं पा रहे हैं कि कौन से चेहरे के कोरोना ने सामुदायिक रूप से लोगों को ज्यादा संक्रमित किया है. (फोटोः गेटी)
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उदाहरण के तौर पर कैलिफोर्निया में जो सामुदायिक संक्रमण फैला है, वह पिछले हो हफ्तों में एक स्ट्रेन के कोरोना वायरस से फैला. अमेरिका के ही दूसरे हिस्सों में फैले कोरोना वायरस के स्ट्रेन से कैलिफोर्निया का स्ट्रेन अलग है. (फोटोः रॉयटर्स)
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प्रो. चार्ल्स चिउ ने कहा कि सभी आठ चेहरे अलग-अलग जरूर हैं लेकिन सैद्धांतिक रूप से ये एक ही हैं. क्योंकि इनमें जो बदलाव आ रहा है वह बेहद धीमा है. कोरोना वायरस के जो स्ट्रेन बदल रहे हैं उनकी बदलने की गति 8 से 10 गुना कम है. जबकि फ्लू की ज्यादा होती है. (फोटोः रॉयटर्स)
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अब तक वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के 30 हजार से ज्यादा जीनोम बेस पेयर की स्टडी की है. इसमें से सिर्फ 11 बेस पेयर ही आपस में बदले हुए दिखे. यानी बेस पेयर में ज्यादा बदलाव नहीं है. बस ऊपरी तौर पर वायरस अपनी शक्ल में हल्का सा बदलाव लेकर आ रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)
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इसका मतलब ये है कि कोरोना वायरस अपनी शक्ल जरूर बदल रहा है. लेकिन उससे इसके लक्षणों में कोई अंतर नहीं आया है. बस एक ही दिक्कत आ रही है कि एक स्ट्रेन को लेकर वैक्सीन पर शोध होता है, तब तक दूसरा स्ट्रेन बन जाता है. (फोटोः रॉयटर्स)
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कोरोना की शक्लें बलदने से सबसे बड़ा खतरा ये है कि अगर एक स्ट्रेन किसी व्यक्ति को सिर्फ सामान्य रूप से परेशान कर रहा है, वही स्ट्रेन किसी दूसरे व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. यानी स्ट्रेन का असर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है. (फोटोः रॉयटर्स)
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इन स्ट्रेन की स्टडी की है नेक्स्टस्ट्रेन डॉट ओआरजी नाम की एक वेबसाइट ने. आप वहां जाकर कोरोना वायरस की अलग-अलग शक्लों का रूप-रंग देख सकते हैं.  (फोटोः रॉयटर्स)
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