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दिल्ली से नहीं रुक रहा पलायन, अपने घर जाने के लिए आनंद विहार पर उमड़े हजारों लोग

मजदूर, रिक्शा चालक और फैक्ट्री कर्मचारी अपने अपने गांव की ओर लौटने के लिए हजारों की तादाद में निकल पड़े हैं.

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लॉकडाउन के बीच घर जाने के लिए आनंद विहार बस अड्डे पर जुटी भीड़ (फोटो-PTI)
लॉकडाउन के बीच घर जाने के लिए आनंद विहार बस अड्डे पर जुटी भीड़ (फोटो-PTI)

  • देशभर में मजदूरों का पलायन एक बड़ी चुनौती
  • घर लौटने के लिए हजारों की तादाद में निकले

लॉकडाउन के चौथे दिन शनिवार को देशभर में मजदूरों का अपने-अपने घर के लिए पलायन एक बड़ी चुनौती बनकर सामने दिखा. इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई कदम उठाए हैं. दिल्ली-एनसीआर का हाल सबसे बुरा है, जहां मजदूर, रिक्शा चालक और फैक्ट्री कर्मचारी अपने अपने गांव की ओर लौटने के लिए हजारों की तादाद में निकल पड़े हैं.

दिल्ली के आनंद विहार अंतरराज्यीय बस अड्डे पर शनिवार शाम पलायन करने वाले लोगों की भारी भीड़ लग गई जहां बदइंतजामी देखने को मिली.

pti123_032820112146.jpgआनंद विहार में बस पाने के लिए जुटी भीड़(फोटो-PTI)

हालांकि सिर्फ दिल्ली-एनसीआर ही नहीं बल्कि देश के दूसरे छोटे बड़े शहरों से भी लोगों का पलायन यूं ही जारी है. चाहे वो कानपुर हो, सोनीपत हो या फिर सिरसा या आगर मालवा.

दिल्ली-एनसीआर बॉर्डर पर लाइन में खड़ा एक मजदूर ने 'आजतक' से कहा कि खाना नहीं है, काम नहीं है, मर जाएंगे यहां. सामने आने वालीं तस्वीरें बताती हैं कि अजीब सी दहशत भर गई है इन दिलों में, अजीब सी तड़प उठी है घर पहुंच जाने की, जो जहां था, वहीं से निकल गया शहर से गावों गिरांव की ओर.

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मजदूरों को कोरोना से संक्रमित हो जाने की कोई चिंता नहीं है. किसी दूसरे को संक्रमित कर देने का अंदेशा भी नहीं है. इन्हें घर जाना है, और इसीलिए बस में कैसे भी टिक जाने की बेताबी है.

आऩंद बिहार बस बड्डे पर भी मजदूरों का ऐसा ही रेला है. जेबें खाली हैं, परिवार को पालने कि चिंता ने चाल में रफ्तार ला दी है. जो मजदूर दिल्ली शहर को सुंदर बनाने के लिए अपना पसीना बहाता था, अट्टालिकाओं पर रस्सी के सहारे चढ़कर उन्हें सतरंगी बनाता था, जो मिलों में अपनी सांसों को धौंकनी बना देता था...वो मजदूर चल पड़ा है, सिर पर गठरी लादे, हाथ में बच्चा उठाए.

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ओखला मंडी में काम करने वाले मजदूरों को मालूम है कि दिल्ली से बहराइच की दूरी 600 किलोमीटर है. रास्ते बंद हैं. बसें बंद हैं. ट्रेन बंद हैं...फिर भी चल पड़े हैं पांव. ऐसे एक नहीं हजारों हजार मजदूर हैं. कोई पैदल पटना निकल पड़ा है, कोई कदमों से नाप लेना चाहता है समस्तीपुर की दूरी. कोई जाना चाहता है गोरखपुर, झांसी बहराइच, बलिया बलरामपुर.

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