कोरोना वायरस: पैकेज के 15 हज़ार करोड़ कहां होंगे ख़र्च
- कमलेश मठेनी
- बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
कोरोना वायरस के ख़तरे से निपटने के लिए भारत सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं पर ज़ोर दे रही है.
मंगलवार रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में इस संबंध में महत्वपूर्ण घोषणा भी की.
प्रधानमंत्री ने कहा, "कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए, देश के स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत ढांचे को मज़बूत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 15 हज़ार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है."
पीएम मोदी ने बताया कि इस पैकेज के इस्तेमाल से कोरोना वायरस से जुड़ी टेस्टिंग सुविधाएं, पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स, आइसोलेशन बेड्स, आईसीयू बेड्स, वेंटिलेटर्स और अन्य ज़रूरी साधनों की संख्या बढ़ाई जाएगी. साथ ही मेडिकल और पैरामेडिकल ट्रेनिंग का काम भी किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया है कि राज्यों में केवल स्वास्थ्य सुविधाएं ही प्राथमिकता होंगी.
कोरोना वायरस से भारत में मौतों का आंकड़ा 13 हो चुका है. वहीं, इससे संक्रमित हुए कुल लोगों की संख्या 649 हो गई है.
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले कई देशों के मुक़ाबले कम हैं. लेकिन, भारत की एक अरब से भी ज़्यादा आबादी को देखते हुए पहले से ही एहतियात बरती जा रही है.
यहां डर है कि अगर वायरस कम्युनिटी स्तर पर फैलता है तो किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में ज़्यादा बुरे हालात हो सकते हैं.
ऐसी ही स्थिति से निपटने की तैयारी के लिए सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए पैकेज दिया है. लेकिन, इस पैकेज के इस्तेमाल से आने वाले दिनों में कितना फ़ायदा हो सकता है.
टेस्टिंग किट की आपूर्ति
भारत में सवाल उठते रहे हैं कि यहां पर कोरना वायरस के मरीज़ों की टेस्टिंग कम हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि भारत में और ज़्यादा टेस्टिंग किए जाने की ज़रूरत है.
हालांकि, इस बात से इनकार करते हुए आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव कह चुके हैं कि देश में पर्याप्त टेस्टिंग हो रही है और भारत हर दिन 10 हज़ार टेस्ट करने में सक्षम है.
आईसीएमआर के मुताबिक़ बुधवार रात तक 24254 लोगों की जांच हो चुकी है.
सरकार भले ही कम टेस्टिंग की बात से इनकार करती रही है लेकिन टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाई जा रही है और इस पर ख़र्च हो रहा है. टेस्टिंग किट और लैब्स बढ़ाना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक बन गया है.
जहां शुरुआती दौर में सिर्फ़़ सरकारी लैब में कोविड19 की टेस्टिंग हो रही थी वहीं अब निजी लैब को भी इसकी अनुमति दे दी गई है.
आईसीएमआर के डॉ. रमन ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया था कि टेस्टिंग के लिए 22 लैब चेन को मंज़ूरी दी गई है. इन लैब्स के देशभर में कुल साढ़े 15 हज़़ार कलेक्शन सेंटर हैं.
इसी के तहत हाल ही में तीन कंपनियों को टेस्टिंग किट की आपूर्ति के लिए भी चुना गया है. इनमें से दो कंपनियां विदेशी एक कंपनी भारतीय है. पुणे स्थित मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को टेस्टिंग किट्स बनाने के लिए चुना गया है.
घट सकता है टेस्टिंग का समय
इस क़दम से कितनी मदद मिलेगी इसके बारे में मायलैब के मैनेजिंग डायरेक्टर हंसमुख रावल कहते हैं, "मौजूदा टेस्टिंग के तरीक़े में एक स्क्रीनिंग टेस्ट और एक कंर्फमेशन टेस्ट होता है. दोनों टेस्ट में जब पहली बार सैंपल आता है तो साढ़े सात घंटे लग जाते हैं. इन साढ़े सात घंटों में ही आप मरीज को बता पाओगे कि वो कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं. लेकिन, हमारी टेस्ट किट में आप ढाई घंटे के अंदर ही मरीज को नतीजा बता सकते हो."
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बड़े स्तर पर जांच बहुत ज़़रूरी है. अगर किसी मरीज़ के लक्षण नहीं भी दिखेंगे तो भी हमारा टेस्ट उसे पकड़ पाएगा और इलाज जल्दी कर पाएंगे. इस तकनीक में लैब्स को किसी नए सॉफ्टवेयर की ज़रूरत नहीं होगी. उनके पास जो मौजूदा सेटअप है उसमें ही कर पाएंगे.
भारत में क़रीब दो से ढाई हजार लैब हैं जो इस तरह के टेस्ट कर पाएंगे.
हंसमुख रावल ने बीबीसी को बताया, "हम फ़िलहाल एक सप्ताह में एक से डेढ़ लाख टेस्ट किट बना सकते हैं लेकिन इस समय हमारे पास इतनी क्षमता है कि हम इसे चार से पांच गुना बढ़ा सकते हैं. हमारी तैयारी पूरी है और हमें लगता है कि एक से डेढ़ हफ्ते में हम ज़रूरत का चार से पांच गुना उपलब्ध करा सकेंगे. हालांकि, मैं नहीं चाहूंगा कि ऐसा दिन आए. सरकार इसे रोकने के लिए सही क़दम उठा रही है."
वहीं, डॉ. लाल पैथ लैब्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अरविंद लाल कहते हैं कि अभी पूरी दुनिया में टेस्टिंग किट्स की शॉर्टेज है और बाहर से मंगाने में भी वक़्त लगेगा. भारत में किट बनाने वाली कंपनी अगर एक हफ्ते में एक लाख किट देगी भी तो ऑर्डर कर चुकीं लैब्स तक सैकड़ों या हज़ारों किट्स ही पहुंच पाएंगी.
किट्स की आपूर्ति के चुनौतीपूर्ण काम होने वाला है. दरअसल, लॉकडाउन से प्रभावित हुई सप्लाई चेन को ठीक करने की ज़रूरत है ताकि सामान जल्दी बने और उसकी आपूर्ति हो सके.
क्रिटकल केयर पर असर
इंडियन सोसाइटी ऑफ़ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आईएससीसीएम) के मुताबिक़़ देश भर में तकरीबन 70 हज़ार आईसीयू बेड और 40 हज़ार वेंटिलेटर हैं. जिनमें से अधिकतर मेट्रो शहरों, मेडिकल कॉलेजों और प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध हैं.
इस संस्था का दावा है कि भारत में क्रिटिकल केयर में मरीज़ों के साथ मिल कर काम करने वाली ये इकलौती संस्था है.
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स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ भारत ने आपात स्थिति से निपटने के लिए तकरीबन 1200 और वेंटिलेटर मंगवाए हैं, जो जल्द ही टेस्ट के लिए उपलब्ध होंगे.
मौजूदा समय की बात करें तो तो गंगाराम अस्पताल में क्रिटिकल केयर विभाग के चैयरमेन डॉ. बीके राव कहते हैं, "मामले बढ़ते हैं तो हमारे पास उपकरणों की कमी होगी. हमारे जितने भी वेंटिलेटर हैं उसमें 90 प्रतिशत से अधिक आयात होते हैं. इनकी आपूर्ति में कितना समय लगता है ये इस पर निर्भर करता है कि फ़िलहाल कितने वेंटिलेटर तैयार हैं और कितने निर्माण के लिए जाएंगे."
डॉक्टर राव के मुताबिक़, "पूरे भारत में क़रीब 70 से 90 हजार आईसीयू बेड्स हैं. किसी भी अस्पताल में अन्य मरीज़ों के बावजूद भी 20 से 25 प्रतिशत की अतिरिक्त क्षमता बनी रहती है अगर देश में 80 हज़ार बेड हैं तो हम इसके एक चौथाई यानी 20 हज़ार बेड कोरोना वायरस के मरीज़ों के लिए रख सकते हैं."
"अमूमन 10 से 20 प्रतिशत मरीज़ों को ही आईसीयू की ज़़रूरत होती है. इस तरह अगर मरीज़ों की संख्या एक लाख भी हो जाती है तो हम अन्य बीमारी के मरीज़ों के साथ गंभीर मरीज़ों को भी मौजूदा समय में संभाल सकते हैं. सरकार की तैयारी इससे ज़्यादा ख़राब स्थितियों के लिए है. अभी नए उपकरणों को मंगाने के लिए सरकार के पास काफ़ी समय है."
आईसोलेशन बेड की स्थिति
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि 84 हज़ार लोगों पर एक आईसोलेशन बेड है. ये आँकड़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़ों पर आधारित है.
डॉक्टर राव का कहना है कि आईसोलेशन एक फैसिलिटी होती है. इसमें सिर्फ़ एक बेड की बात नहीं होती. ये एक पूरा कमरा होता है जिसमें एयरकंडिशनिंग अलग तरह से बनाई जाती ताकि उस कमरे से निकलने वाली हवा किसी सुरक्षित रास्ते से बाहर आ सके.
ये कमरा डबल होता है. बाहर के कमरे में मरीज़ों के पास जाने से पहले तैयार प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स पहनने होते हैं. फिर इक्विमेंट्स को वहीं रख दिया जाता है. ये कमरे तैयार करना किसी भी अस्पताल के लिए मुश्किल नहीं होगा. सरकार बेड की संख्या बढ़ा सकती है.
दुनिया भर में चार लाख 51 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और मरने वालों की संख्या 20,000 के पार चली गई.
भारत में हालात बिगड़ने से रोकने के लिए 21 दिनों का देशव्यापी लॉकडाउन किया गया है.
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