कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन तो कर दिया गया है. लेकिन इस वजह से कई दिहाड़ी मजदूर रास्तों में ही फंस गए हैं. समस्या यह है कि उन्हें रहने, खाने-पीने या यातायात की व्वस्था नहीं मिल पा रही है.
दरअसल, लॉकडाउन के बाद बड़े शहरों में ऐसे हालात में वह रह भी नहीं सकते, क्योंकि अब उनके पास कोई काम नहीं है. काम नहीं तो पैसा नहीं और पैसा नहीं तो ना आवास और ना ही खाना. मजबूरन लोग छोटे-छोटे बच्चों और परिवारों के साथ पैदल ही सफर पर निकल चुके हैं. जानते हैं कि यात्रा महीनों लंबी हो सकती है इसके बावजूद छोटे-छोटे बच्चों के साथ जान जोखिम में डाल कर कई लोग अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं.
सीएम नीतीश कुमार ने इस तरह की परेशानियों को देखते हुए मुख्यमंत्री राहत कोष से 100 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री ने कहा, 'वैसे बिहार के लोग जो लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे हैं उनको लेकर राज्य सरकार ने विशेष योजना तैयार की है. जो भी लोग जहां फंस गए हैं, उनको वहां पर ही रखकर खाने-पीने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.'
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सीएम नीतीश कुमार ने कहा दिल्ली स्थित रेजिडेंट कमिश्नर विपिन कुमार को सभी व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है. आजतक चैनल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताया कि लॉकडाउन होने की वजह से कई लोग फंस गए हैं. वो अपने घर वापस आना चाहते हैं.
जिसके बाद नीतीश कुमार ने तत्काल कदम उठाते हुए कहा कि बिहार के जो भी लोग बाहर फंसे हैं या रास्ते में है उन्हें वहीं रोक कर उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जाएगी. संबंधित राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के माध्यम से बिहार सरकार यह सुनिश्चित करेगी. दिल्ली स्थित रेजिडेंट कमिश्नर को नोडल ऑफिसर बनाया गया है. इनका सारा खर्च बिहार सरकार उठाएगी.
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राज्य सरकार के मुताबिक स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित यही होगा कि जो जहां हैं उन्हें वहीं रोक दिया जाए. जहां तक राज्य के अंदर रह रहे रिक्शा-ठेला चालकों की बात है और वैसे मजदूर जो फुटपाथ पर दिन गुजार रहे हैं, उनसब के भोजन के लिए आपदा केंद्र बनाए गए हैं. राज्य सरकार ने यहां पर कोरोना संक्रमितों की इलाज की व्यवस्था भी की है.
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