Delhi Violence, Delhi Protest Today News:  दोपहर के वक़्त गोकलपुरी पुलिस स्टेशन में एक दम सन्नाटा छाया हुआ है। सार्वजनिक सुविधा डेस्क और प्रवेश के बाद का पहला कक्ष दोनों खाली हैं। एसएचओ का कमरा भी खाली है। रिसेप्शन पर तीन महिला कांस्टेबल बैठी हुई हैं और अपने मोबाइल फोन पर कुछ कर रहीं हैं। जो भी पुलिस स्टेशन के अंदर आ रहा है उससे ये महिला कांस्टेबल कह रही हैं कि थाना खाली है साहब फील्ड पर हैं, तीन दिन से यही हाल है।

यहां से मात्र 100 मीटर से भी कम की दूरी पर गोकलपुरी टायर बाजार है। उस बाज़ार में कुछ उपद्रवी ने आग लगा दी थी। वहां थाने का एक अकेला सिपाही तैनात किया गया है जो आग बुझा रहे अधिकारियों को देखा रहा है। मंगलवार को वह सिपाही प्रवेश द्वार पर खड़ा था तभी उसने देखा कि कुछ लोग मोटरसाइकल में हाथ में लाठी लिए, नारे लगते हुए जा रहे थे। दो दिन की भारी हिंसा के बाद अब पुलिस का कहना है “ऊपर से ऑर्डर आ गए रात को…. अब सब शांत है।”

वहीं यहां से ढाई किलोमीटर दूर जाफराबाद पुलिस स्टेशन में 1 बजे के लगभग इंस्पेक्टर लेखपाल सिंह बुलेटप्रूफ जैकेट पहने हुए अपनी जिप्सी से उतरे और थाने के अंदर चले गए। वहां उन्होंने मात्र एक गिलास पानी पिया, तभी द इंडियन एक्सप्रेस ने उनसे पूछा कि क्या उनके आसपास की स्थिति शांत है। इसपर उन्होंने कहा “जो भी पूछना है जल्दी से पूछो। मुझे फिर से बाहर जाना है। सब कुछ शांत है और हमने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है। लेखपाल सिंह ने बताया कि किसी के खिलाफ कोई एफ़आईआर दर्ज़ नहीं की गई है न ही किसी को डीटेन किया गया है। यह कहने के पांच मिनट बाद वह वापस चले गए।

कांस्टेबल सुनील कुमार दरवाजे पर खड़े हैं वे थाने के पास गलियों में खड़े लोगों पर नजर बनाए हुए हैं और उनसे कह रहे हैं कि अंदर जाओ, देखते ही गोली मारने का आदेश है। इन दो दिनों में साँसे ज्यादा हिंसा जाफराबाद पुलिस स्टेशन के बाहर हुई है। हर गली पत्थरों, जली हुई दुकानों और कारों से भरी पड़ी है। मौजपुर चौक यहां से 500 मीटर की दूरी पर है। कुमार ने कहा, “पहले तीन दिनों तक हम क्या कर सकते थे? हमारे साथ कोई बल नहीं था। छुट्टी पर गए कर्मियों को छोड़कर इस पुलिस स्टेशन में 80 लोग हैं। वे बहुत सारे थे और अगर हमने दंगाइयों के खिलाफ कम फोर्स के साथ कार्रवाई की होती, तो यह और भी बुरा हो सकता था। कल शाम से, अर्धसैनिकों का आना शुरू हो गया है। सुबह से ही, सभी लोग सही स्थानों पर तैनात हैं और तब से कोई हिंसा नहीं हुई है।

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