मलेशिया: महातिर मोहम्मद ने इस्तीफ़ा देकर की ग़लती

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मलेशिया में प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के इस्तीफ़े के बाद से जारी राजनीतिक संकट के बीच अनवर इब्राहिम ने बुधवार को घोषणा की है कि एलायंस ऑफ़ होप ने प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में उन्हें नामांकित किया है.

अनवर की पीपल्स जस्टिस पार्टी के सदस्यों ने भी उन्हें नेता चुन लिया है. सोमवार को प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने पीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. अभी वो मलेशिया के अंतरिम प्रधानमंत्री हैं.

बुधवार को महातिर ने देश को संबोधित किया और राजनीतिक खींचतान के लिए ख़ुद को ज़िम्मेदार मानते हुए खेद जताया. महातिर ने कहा, ''एक इंसान होने के नाते मुझसे भी ग़लतियां हो सकती हैं. अगर इस्तीफ़ा मेरी ग़लती थी तो मैं इसके लिए माफ़ी मांगता हूं. अगर संभव है तो मैं सरकार बनाने की कोशिश करूंगा. मैं पार्टी हित में नहीं देश हित में काम करूंगा.''

94 साल के महातिर और 72 साल के अनवर के बीच 2018 में चुनाव जीतने के लिए हैरान करने वाली साझेदारी हुई थी. इस साझेदारी को लेकर पहले से ही आशंका थी.

अनवर ने अपने बयान में कहा है कि दरवाज़े के पीछे से सरकार बनाने की किसी भी कोशिश का विरोध करेंगे. अनवर ने कहा था कि गठबंधन की मीटिंग में महातिर को भी बुलाया गया था लेकिन वो नहीं आए. उन्होंने कहा कि अब वो किंग के फ़ैसले का इंतज़ार कर रहे हैं.

महातिर मोहम्मद

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सुल्तान अब्दुल्लाह सुल्तान अहमद शाह ने भी 222 सांसदों के साथ बैठक की थी. अनवर की पार्टी पीकेआर के पास 39 सांसद हैं और गठबंधन के बाद 62 सांसद और मिल जाएंगे. कुछ राजनेता चाहते हैं कि महातिर प्रधानमंत्री बने रहें लेकिन सांसदों का समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है.

महातिर और अनवर के बीच ख़राब रिश्तों के कारण वर्तमान संकट पैदा हुआ है. तीन करोड़ की आबादी वाला मलेशिया मुस्लिम बहुल देश है. मलेशिया में बड़ी तादाद में चीनी और भारतीय नस्ल के लोग भी हैं.

महातिर मोहम्मद 1981 से 2003 तक मलेशिया के पीएम रहे थे और इस बार भी वो उम्मीद कर रहे थे कि समर्थन मिल जाएगा. लेकिन चार पार्टियों के गठबंधन ने महातिर को समर्थन नहीं दिया. यूनाइटेड मलयस नेशनल ऑर्गेनाइज़ेशन ने मलेशिया में छह दशक तक शासन किया था. 2018 में महातिर के गठबंधन ने हराया था.

अनवर महातिर के डेप्युटी थे. महातिर जब पहली बार प्रधानमंत्री बने तो वो किसी स्टार की तरह उभर रहे थे. अनवर को 1990 के दशक में भ्रष्टाचार और सोडोमी में गिरफ़्तार किया गया था.

महातिर मोहम्मद को भारत विरोधी माना जाता है. उन्होंने कश्मीर मामले में खुलकर पाकिस्तान की लाइन का समर्थन किया था. यहां तक की सीएए का भी विरोध किया था. इसके बाद से दोनों देशों में तनाव की स्थिति बनी रही. भारत ने प्रतिक्रिया में पाम तेल का आयात मलेशिया से बंद कर दिया था. महातिर के आने के बाद पाकिस्तान और मलेशिया क़रीब आए हैं.

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