पुलिस ने गुरुवार (20 फरवरी, 2020) मध्य रात्रि को बेंगलुरु सिटी के एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जावेद अंसारी से संपर्क किया और अमूल्य लियोन को हिरासत में लेने की मांग की। 19 वर्षीय लियोन पर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोधी एक रैली में पाकिस्तान समर्थित नारेबाजी करने का आरोप है। बाद में उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124ए के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। इसी बीच युवती को दो सप्ताह के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने से पहले मजिस्ट्रेट अंसारी ने उसके दो वकीलों की उपस्थिति में पूछा कि उसे कब गिरफ्तार किया गया और क्या पुलिस ने उसे पीटा था।

रिमांड ऑर्डर और एफआईआर की कॉपी अभी तक ऑनलाइन अपलोड नहीं की गई है। इसके अलावा अमूल्य के वकीलों को इन दस्तावेजों की प्रतियां दी जानी बाकी हैं। उल्लेखनीय है कि अमूल्य मामले का केस बलवंत सिंह बनाम पंजाब राज्य (1995) के समान हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था कि केवल नारे लगाने से राजद्रोह नहीं हो जाता।

उस मामले के दो अभियुक्तों बलवंत सिंह और भूपिंदर सिंह पर आरोप था कि उन्होंने ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ और ‘हिंदुओं को पंजाब से खदेड़कर छोड़ेंगे, मौका आया है अपना राज कायम करने का’ जैसे नारे लगाए। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘हमें यह पकड़ना मुश्किल है कि इस तरह के आकस्मिक नारे लगाने पर, बिना किसी अन्य कार्य के कुछ समय के लिए राजद्रोह का आरोप लगाया जा सकता है।’

कोर्ट ने कहा था, ‘केवल दो व्यक्तियों द्वारा एक या दो बार नारे लगाना, आईपीसी की धारा 124ए के मुताबिक सरकार के प्रति घृणा या अप्रसन्नता को उत्तेजित करनी कोशिश नहीं कही जा सकती है।’

हालांकि राजद्रोह के आरोप में 25 गिरफ्तारियां हुई हैं। इनमें उत्तर प्रदेश (आजमगढ़, 19 गिरफ्तारियां), कर्नाटक (बीदर और बेंगलुरु, 2 गिरफ्तारियां) और असम (गुवाहाटी, 4 गिरफ्तारियां) जैसे राज्य शामिल हैं। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू होने के बाद से ये गिरफ्तारियां हुईं।

आईपीसी की धारा 124ए कहती है कि अगर कोई भी व्यक्ति भारत सरकार के विरोध में सार्वजनिक रूप से ऐसी किसी गतिविधि को अंजाम देता है जिससे देश के सामने सुरक्षा का संकट पैदा हो सकता है तो उसे उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है। इन गतिविधियों का समर्थन करने या प्रचार-प्रसार करने पर भी किसी को देशद्रोह का आरोपी मान लिया जाएगा।