इमरान ख़ान बोले- भारत ने नेहरू का वादा पूरा किया तो पाकिस्तान को चुनेंगे कश्मीरी

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि अगर भारत ने अपने पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का वादा पूरा किया, तो कश्मीर हर हाल में पाकिस्तान के साथ आएगा.

बेल्जियम के एक टीवी नेटवर्क को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर 'कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया गया, तो वे पाकिस्तान को चुनेंगे, क्योंकि वह मुस्लिम बहुल प्रांत है.'

इमरान ख़ान ने कश्मीर मसले को सुलझाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि 'भारत में जब तक नाज़ियों से प्रभावित होकर बने आरएसएस के समर्थन वाली मोदी सरकार' है, तब तक उन्हें इस मसले के हल की उम्मीद नहीं दिखती.

इमरान ख़ान ने बेल्जियम के वीआरटी टीवी नेटवर्क को एक इंटरव्यू दिया था, जिसका शुक्रवार को पाकिस्तान के सरकारी चैनल पीटीवी पर भी प्रसारण किया गया.

इंटरव्यू के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने मोदी सरकार की ओर से भारत प्रशासित कश्मीर से विशेष राज्य का दर्ज़ा वापस लेने का मुद्दा भी उठाया.

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क्या कहा इमरान ने

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कश्मीर मामले को संवेदनशील बताते हुए कहा कि इसे सुलझाना भारत और पाकिस्तान दोनों के हित में होगा.

उन्होंने कहा, "कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच तीन बार युद्ध हुए हैं. दक्षिण एशिया के इन दो बड़े देशों के संबंध सामान्य होने की राह में बड़ा मसला रहा है कश्मीर. यह व्यापार और समृद्धि की राह में मुख्य बाधा है. अगर दोनों देशों के रिश्ते सामान्य होंगे, कारोबार अच्छा होगा, तो दोनों को अपने यहां ग़रीबी कम करने में मदद मिलेगी."

पाकिस्तान के पीएम ने कश्मीर मामले को लेकर भारत पर ताक़त का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "कश्मीर ऐसी समस्या है, जिसे सुलझाना बहुत मुश्किल है क्योंकि दुर्भाग्य से, भारत को लगता है कि वह शक्तिशाली है. वह जिसकी लाठी, उसकी भैंस में यक़ीन रखता है. जबकि संयुक्त राष्ट्र का 70 साल पुराना प्रस्ताव कहता है कि कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार है."

कश्मीर

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इमरान ख़ान ने दावा किया कि अगर कश्मीर में जनमत संग्रह हुआ, तो वहां की आबादी पाकिस्तान के साथ जाना चुनेगी, क्योंकि यह प्रांत मुस्लिम बहुल है.

उन्होंने कहा, "कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अधिकार नहीं दिया गया, क्योंकि भारत जानता है कि अगर ऐसा हुआ तो वे पाकिस्तान को चुनेंगे, क्योंकि यह मुस्लिम बहुल है. भारत धर्म के आधार पर बंटा था. हिंदू बहुल और सिख बहुल हिस्से भारत में गए और मुसलमान बहुल हिस्सा पाकिस्तान बना. भारत ने कश्मीर पर हथियारों के दम पर कब्ज़ा किया है."

"उनके पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने जनमतसंग्रह का वादा किया था, मगर उसे पूरा नहीं किया गया. उन्होंने इस पर एकतरफ़ा कब्ज़ा कर लिया है."

कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के इस तरह के दावों का भारत खंडन करता है और उसका कहना है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है. भारत का यह भी कहना है कि पाकिस्तान और भारत के बीच शिमला समझौता होने के बाद संयुक्त राष्ट्र के पहले के प्रस्तावों का कोई मतलब नहीं है और आपसी मसलों को दोनों देशों को बिना किसी बाहरी दख़ल के सुलझाना होगा.

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आरएसएस पर हमला

इमरान ख़ान ने भारत की ओर से संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के फैसले पर सवाल उठाए और कहा कि भारत प्रशासित कश्मीर में पिछले छह महीनों से लोग खुली जेल में हैं. उन्होंने कहा, "आठ करोड़ लोगों के पास मीडिया का एक्सेस नहीं है, उनके नेता जेल में हैं और जो प्रदर्शन करता है, उसे जेल में डाल दिया जाता है. सात लाख सैनिकों की मदद से कश्मीर पर कब्ज़ा किया है."

पाकिस्तान के पीएम ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जब तक आरएसएस के समर्थन वाली सरकार भारत में है, तब तक कश्मीर मसले के सुलझने की उम्मीद नहीं है.

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि वहां साफ़ नज़रिये वाली सरकार होती, तो समस्या सुलझ जाती. हर समस्या का हल होता है. समस्या यह है कि वहां पर कट्टरपंथी विचारधारा वाली सरकार है, जिसपर नाज़ियों से प्रेरित आरएसएस का प्रभाव है."

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इमरान ने कहा, "आरएसएस के संस्थापक सदस्य हिटलर से प्रभावित थे. वे होलोकॉस्ट में यक़ीन रखते हैं, क्योंकि उसी तरह वे मुसलमानों के नस्लीय नरसंहार में यक़ीन रखते हैं. इसीलिए उन्होंने आठ करोड़ कश्मीरियों को इस हाल में रखा है."

आख़िर में इमरान ख़ान ने कहा कि भले ही इस सरकार से उन्हें कश्मीर मुद्दे को लेकर सकारात्मक रुख़ की उम्मीद नहीं है, मगर उन्हें लगता है कि भविष्य में कोई मज़बूत नेतृत्व आया, तो वह ज़रूर इसका हल चाहेगा.

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