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दसवीं के बोर्ड में 93 की जगह दिया 10 अंक, हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना

मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की लापरवाही के कारण एक मेधावी छात्रा को 10वीं बोर्ड के गणित के पर्चे में 93 के स्थान पर महज 10 अंक मिले।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 12:24 AM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 12:30 AM (IST)
दसवीं के बोर्ड में 93 की जगह दिया 10 अंक, हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना
दसवीं के बोर्ड में 93 की जगह दिया 10 अंक, हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना

जबलपुर, राज्‍य ब्‍यूरो। मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की लापरवाही के कारण एक मेधावी छात्रा को 10वीं बोर्ड के गणित के पर्चे में 93 के स्थान पर महज 10 अंक मिले। छात्रा को भरोसा नहीं हुआ और उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आखिर में जांच में गड़बड़ी सामने आ गई। न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने बोर्ड को 30 हजार रुपये का हर्जाना भरने के आदेश दिया है।

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नामांकन क्रमांक के अंतिम दो अंक बदल दिए गए

हाई कोर्ट के आदेश पर हुई जांच में पता चला कि खुशी और रजनी के नामांकन क्रमांक के अंतिम दो अंक बदल दिए गए थे। 14 को काटकर 21 और 21 को काटकर 14 किया गया था। इसी वजह से 10 अंक की हकदार को 93 और 93 अंक की हकदार को महज 10 अंक मिले। सुनवाई के दौरान माशिमं की ओर से गलती सुधार कर याचिकाकर्ता को नई अंकसूची प्रदान कर दी गई है। परीक्षा नियंत्रक ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआइआर की अनुशंसा कर दी है। 

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की गड़बड़ी, प्रतिभाशाली बेटी के 8 अंक कर दिए थे कम

बच्चों की मेहनत को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड किस प्रकार से हल्के में ले रहा है उसका एक उदाहरण सामने आया है। दरअसल, राजस्‍थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से बोर्ड की कॉपी जांचने में लापरवाही बरतने के मामले कई बार सामने आए हैं ।

इस बार यह मामला जालौर की स्कूल की एक छात्रा का सामने आया है, जिसमें कॉपी खुलवाने पर उस कॉपी में आठ नंबर की बढ़ोतरी हुई है। मामला यह है कि जालौर के निजी विद्यालय सेंट राजेश्वर उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत दसवीं की छात्रा अदिति तिवारी पुत्री राजकुमार तिवारी को दसवीं कक्षा में इस बार परिणाम आने पर 89. 17 प्रतिशत अंक हासिल हुए। बच्ची को इससे अधिक नंबर आने की उम्मीद थी, जिस कारण उसने शिक्षा बोर्ड से विज्ञान और संस्कृत की कॉपी खुलवाई।

23 सितम्बर को जांच के दौरान संस्कृत की कॉपी में उसके आठ नंबर की बढ़ोतरी हुई है। इससे उसके प्रतिशत बढ़कर 90.50 हो गए हैं। लिहाजा इस प्रकार की गड़बड़ी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड स्तर से होने के कारण यह एक चिंता का विषय है। इतने अंको का फासला कॉपी जांचने वाले शिक्षकों पर सवाल खड़ा करता है।


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