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लोकसभा के संपर्क में हैं PSA के तहत हिरासत में बंद फारूक अब्दुल्ला

हिरासत में होने के बावजूद जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का लोकसभा से संपर्क लगातार बना हुआ है. गिरफ्तारी के बाद वो तीन बार लोकसभा को छुट्टी के लिए अर्जी दे चुके हैं.

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फारूक अब्दुल्ला (तस्वीर- PTI)
फारूक अब्दुल्ला (तस्वीर- PTI)

  • तीन बार सदन में हाजिरी से छुट्टी के लिए दाखिल कर चुके हैं अर्जी
  • लोकसभा सचिवालय ने अर्जी की कॉपी साझा करने से किया इनकार

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला को 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से श्रीनगर स्थित उनके घर में नजरबंद रखा गया है. लोकसभा के मौजूदा सांसद फारूक अब्दुल्ला को 16 सितंबर 2019 से पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत हिरासत में रखा गया है.

हालांकि, हिरासत में होने के बावजूद फारूक अब्दुल्ला का लोकसभा से संपर्क लगातार बना हुआ है. गिरफ्तारी के बाद वो तीन बार लोकसभा को छुट्टी के लिए अर्जी दे चुके हैं. सूचना के अधिकार (RTI) के तहत इंडिया टुडे की ओर से दाखिल याचिका पर लोकसभा सचिवालय ने अपने जवाब में ये खुलासा किया है.

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लोकसभा सचिवालय की ओर से जवाब में कहा गया है, 'डॉ. फारूक अब्दुल्ला, एमपी ने सदन की बैठक में हाजिरी से छुट्टी के लिए तीन बार आवेदन दिया- '05-08-2019 से 06-08-2019, 18-11-2019 से 13-12-2019 और 31-01-2020 से 11-02-2020'. इसके मायने ये है कि PSA के तहत हिरासत में होने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री ने दो बार छुट्टी के लिए अर्जी दी.

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इंडिया टुडे ने छुट्टी के लिए दी अर्जी की प्रति मांगी जिसे सचिवालय ने देने से इनकार कर दिया. इसका कारण ये बताया गया, 'उनकी हाजिरी से छुट्टी का आवेदन सदन से सदस्यों की गैर हाजिरी पर बनी कमेटी के विचाराधीन है, क्योंकि मामला विचाराधीन है इसलिए छुट्टी के आवेदन की प्रति इस स्थिति में उपलब्ध नहीं कराई जा सकती.'

RTI के तहत याचिका में हमने ये भी सवाल किया था कि फारूक अब्दुल्ला कितने समय से सदन से गैरहाजिर हैं? लोकसभा सचिवालय ने इसके जवाब में कहा, 'डॉ. फारूक अब्दुल्ला की ओर से 17वीं लोकसभा के सभी सत्रों में हाजिरी रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने या नहीं करने की जानकारी लोकसभा की वेबसाइट पर उबलब्ध है. www.loksabha.nic.in ........ आवेदक (RTI) हालांकि ये संज्ञान में ले कि डॉ फारूक अब्दुल्ला, एमपी ने किसी विशिष्ट दिन पर सदन की बैठक में हिस्सा लिया हो और उन्होंने हाजिरी रजिस्टर पर हस्ताक्षर नहीं किए हों या करना भूल गए हों.'

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या तो लोकसभा सचिवालय का ये स्टैंडर्ड जवाब है जो सदन में हाजिरी को लेकर पूछे गए किसी सवाल के जवाब में दिया जाता है या लोकसभा को जानकारी नहीं है कि सदन के दूसरे सबसे बुजुर्ग 82 वर्षीय सदस्य, जो श्रीनगर क्षेत्र की नुमाइंदगी करते हैं, को सरकार ने घर छोड़ने की अनुमति नहीं दे रखी है. दोनों ही सूरतों में उस RTI एक्ट का मकसद नाकाम रहता है, जिसे इसी सदन ने कानून बनाने के लिए वोट दिया.   

हमने RTI याचिका में एक और सवाल में मौजूदा लोकसभा के उन सांसदों के नाम जानने चाहे थे जिनकी ओर से भी छुट्टी के लिए अर्जी दी गई. इस सवाल का जवाब ये मिला, 'सदन की बैठक से सदस्यों की गैर हाजिरी पर बनी कमेटी की ओर से सदस्यों की छुट्टी के मामलों पर विचार और निरीक्षण किया जाता है. 17वीं लोकसभा के दौरान जिन सदस्यों ने छुट्टी के लिए आवेदन दिया, लोकसभा ने जिन्हें मंजूरी दिया और छुट्टी किस कारण से ली गई, ये सभी जानकारी विस्तार के साथ लोकसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध है www.loksabha.nic.in'

जब हम बताए गए वेबसाइट पेज पर गए तो हमें पांच अलग-अलग सांसदों के नाम मिले जिन्होंने छुट्टी के लिए आवेदन किया था और उनकी छुट्टी मंजूर की गई. डॉ. फारूक अब्दुल्ला का नाम इन पांच सांसदों में नहीं था. इन पांच में से एक नाम अतुल कुमार सिंह उर्फ अतुल राय का था, जिन्होंने जेल हिरासत में होने की वजह से छुट्टी के लिए आवेदन दिया था.

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इस सवाल के जवाब में कि कोई सदस्य कितने समय तक सदन से गैर हाजिर रह सकता है, लोकसभा सचिवालय ने कहा, 'भारत के संविधान के अनुच्छेद 101(4) के मुताबिक ’60 दिन के वक्त तक अगर  संसद के किसी भी सदन का कोई सदस्य बिना सदन की अनुमति के सभी बैठकों से गैर हाजिर रहता है, तो सदन उसकी सीट रिक्त घोषित कर सकता है. इन 60 दिनों की गणना में उन दिनों को शामिल नहीं किया जब सदन की बैठक चार दिन से अधिक तक स्थगित रहती है.'

हमने आरटीआई याचिका में ये सवाल भी किया था कि क्या सरकार ने लोकसभा को उनके सदन से गैर हाजिर होने के कारण की जानकारी दी और अगर दी तो उसकी प्रति उपलब्ध कराई जाए. इसके जवाब में लोकसभा सचिवालय ने कहा, ये सवाल इस शाख से संबंधित नहीं है.

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