पिछली सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से समान नागरिकत संहिता पर जवाब मांगा था, तब केंद्र ने कहा था कि उन्हें कुछ और वक्त दिया जाए. केंद्र सरकार ने कहा था कि यह एक बड़ा मुद्दा है, सरकार इस मामले से जुड़े सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद ही कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर सकती है.
दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट में समान नागिरक संहिता को लेकर न्यायिक आयोग बनाने और ड्राफ्ट बनाने के संबंध में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इससे पहले गृह मंत्रालय 5 बार कोर्ट से समय मांग चुका है. दिल्ली हाई कोर्ट एक साथ कई याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है.
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Delhi High Court to hear today a petition seeking Uniform Civil Code (UCC) across the country. Centre's reply has been sought on the matter. pic.twitter.com/UbKHt6dPVq
— ANI (@ANI) February 19, 2020
क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागिरक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड देशभर में एक समान कानून की मांग करता है. अगर यह संहिता लागू होती है तो सभी धर्म और जाति के लोगों के लिए एक समान कानून लागू होगा. अभी देश में अलग-अलग धर्मों के लोगों के पास अलग-अलग व्यक्तिगत कानून हैं.
अगर यह संहिता लागू होती है तो हिंदू, सिख, ईसाई सबके लिए शादी, तलाक और पैतृक संपत्ति जैसे विवादों का एक ही तरीके से निपटारा किया जाएगा. इस कानून में बच्चों के गोद लेने के भी तरीकों में एकरूपता रखी जाएगी.
दरअसल यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़ी एक याचिका बच्चों के एडॉप्शन और उनके पालन-पोषण से जुड़े पक्ष को भी सामने रखा गया है. इस याचिका में मांग की गई थी कि बच्चों को गोद लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत काम हो ना कि धार्मिक आधार पर तय की गई मान्यताओं से.
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होता रहा है विरोध
एक समान कानून का विरोध भी लंबे अरसे से होता रहा है. धार्मिक लोगों का मानना है कि अगर यह कानून लागू होता है तो सबकी धार्मिक स्वतंत्रता बाधित होगी. हर धर्म और समुदाय की अपनी-अपनी परंपराएं है. लोग इन परंपराओं पर कानूनी लगाम के तौर पर समान नागिरक संहिता को देखते हैं. ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि इस मामले पर केंद्र सरकार क्या पक्ष रखता है.