आधार कार्ड को लेकर क्यों जारी हुए नागरिकता साबित करने के नोटिस
- दीप्ति बत्तीनी
- बीबीसी संवाददाता, हैदराबाद से
हैदराबाद में रहने वाले मोहम्मद सत्तार ख़ान नाम के शख़्स को आधार के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से एक नोटिस मिला है जिसमें उनपर फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों पर आधार कार्ड बनवाने का आरोप लगा है.
सत्तार ख़ान का दावा है कि वह भारतीय नागरिक हैं मगर इस नोटिस में उनसे अपनी 'नागरिकता साबित' करने के लिए भी कहा गया है.
आधार कार्यालय की ओर से जारी नोटिस में नागरिकता साबित करने के लिए कहे जाने पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाता है.
इस संबंध में आधार जारी करने वाले संस्थान यूआईडीएआई का कहना है कि उसने हैदराबाद पुलिस की ओर से मिली शिकायत के आधार पर यह क़दम उठाया है.
अधिकारियों का यह भी कहना है कि अगर नोटिस में इस्तेमाल शब्दावली आधार के नियमों के अनुरूप नहीं पाई जाती है तो इसे बदला जा सकता है.
यूआईडीएआई का कहना है कि 'राज्य पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार 127 लोगों ने फर्ज़ी दस्तावेज़ों के ज़रिये आधार हासिल किया है. ये अवैध आप्रवासी हैं और आधार के हक़दार नहीं हैं.'
क्या है मामला
मोहम्मद सत्तार ख़ान ने बीबीसी को बताया कि वह ऑटो रिक्शा चलाते हैं और उनके पिता केंद्र सरकार की कंपनी में काम करते थे. उनकी मां को अभी भी पिता की पेंशन मिलती है.
सत्तार को मिला नोटिस आधार रेग्युलेशन 2016 के अध्याय छह के नियम 30 के तहत इस महीने की तीन तारीख़ को जारी हुआ था.
नोटिस में कहा गया है, "हमारे कार्यालय को शिकायत मिली है कि आप भारतीय नागरिक नहीं हैं और आपने फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के माध्यम से आधार लिया है. UIDAI कार्यालय ने इस संबंध में जांच का आदेश दिया है."
इसे लेकर सत्तार का कहना है कि उनके पास वोटर आईडी कार्ड और दसवीं क्लास की मार्कशीट भी है. सत्तार ने कहा कि उन्हें तीन दिन पहले यह नोटिस मिला जिससे बाद वह एक स्थानीय नेता के पास गए मगर उन्हें भी मामला समझ नहीं आया.
सत्तार ख़ान को 20 मई को इस संबंध में अपील के लिए पेश होने के लिए कहा है. उनसे कहा गया है कि कार्यवाही के लिए आते समय असली दस्तावेज़ लाएं ताकि नागरिकता साबित की जा सके.
अगर वह सुनवाई में पेश नहीं होते हैं और ज़रूरी दस्तावेज़ जमा नहीं करते हैं तो नियम 29 के तहत उनके आधार को रद्द कर दिया जाएगा.
क्या कहना है UIDAI का
आधार जारी करने वाले संस्थान UIDAI का कहना है कि उसे राज्य पुलिस से शिकायत मिली थी कि शुरुआती जांच में 127 अवैध आप्रवासियों को आधार कार्ड मिले हैं.
यूआईडीएआई का कहना है कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड जारी नहीं किया जा सकता. इस संबंध में उसने अपने नियमों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी ज़िक्र किया है.
एक के बाद एक किए गए ट्वीट्स में जानकारी दी गई है कि 'आधार नागरिकता का दस्तावेज़' नहीं है और किसी को आवेदन करने से 182 दिन पहले भारत में रिहायश की पुष्टि करनी होती है.
ट्वीट्स में कहा गया है कि यहां मामला नागरिकता से जुड़ा नहीं है बल्कि अवैध आप्रवासियों को आधार जारी होने का है. अगर कोई नागरिकता साबित करता है तो इसका अर्थ होगा कि वह अवैध आप्रवासी नहीं है.
यूआईडीएआई का कहना है कि 127 लोगों को इस तरह के नोटिस जारी किए गए हैं और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा. जो दस्तावेज़ नहीं दिखा पाएंगे, उनका आधार रद्द करना पड़ेगा.
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यूआईडीएआई में उप महानिदेशक और हैदराबाद क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी आरएस गोपालन ने बीबीसी को बताया, "127 लोगों को तेलंगाना पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर नोटिस जारी किए गए थे. 35 नोटिस सौंप दिए गए हैं जबकि 52 लोगों का पता ही नहीं मिला. जैसा कि पहले बताया गया था, समय कम होने के कारण कल पड़ताल होगी. इसके बाद आगे की तारीख़ की घोषणा होगी. "
नोटिस में "नागरिकता साबित करने" वाली बात को लेकर उन्होंने कहा, "हम मामले की जांच करेंगे. अगर नोटिस में इस्तेमाल शब्दावली आधार के नियमों के दायरे के अनुरूप नहीं होगी तो इसे बदला जाएगा. पहले भी नोटिस दिए जाते रहे हैं मगर कभी कोई दिक्कत नहीं आई. मगर अभी नागरिकता का मामला चर्चा में है. हमने पहले भी स्पष्ट किया है कि यूआईडीएआई के पास किसी की नागरिकता रद्द करने का अधिकार नहीं है."
इलाक़े में रोहिंग्या शरणार्थी भी
चार मीनार विधानसभा क्षेत्र के जिस इलाक़े में मोहम्मद अब्दुल सत्तार रहते हैं, वहां पर रोहिंग्या मुसलमानों के कैंप भी हैं.
पिछले दिनों यहां एक आधार केंद्र में गड़बड़ी पाई गई थी. पाया गया था कि यहां से रोहिंग्या के भी फर्ज़ी दस्तावेज़ों पर आधार बना दिए गए.
ऐसा करने वालों का कहना था कि उनके पास सिर्फ़ रिफ्यूजी कार्ड हैं जबकि आधार कार्ड बनने से बच्चों की पढ़ाई से लेकर अन्य कामों में उन्हें सुविधा होती है.
बाद में इस आधार केंद्र से बने सभी आधार कार्डों को रद्द कर दिया गया था.
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