'आतंकियों को सज़ा होगी तभी मेरे पति की आत्मा को शांति मिलेगी'

  • दिलीप कुमार शर्मा
  • बीबीसी हिंदी के लिए असम के कोलबाड़ी गांव से
पुलवामा हमला
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सनमति और डीडमश्री

एक साल पहले 14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पर चरमपंथी हमला हुआ था. जिस समय हमला हुआ था सीआरपीएफ़ जवानों की बस दक्षिण कश्मीर जा रही थी. इस हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के 40 से अधिक जवानों की मौत हो गई थी.

इस चरमपंथी हमले की ज़िम्मेदारी चरमपंथी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली थी. आज उसी हमले की बरसी है. हमले में मारे गए जवान देश के अलग-अलग हिस्सों से थे. बीबीसी ने मारे गए जवानों के परिवार से मुलाक़ात की और जानना चाहा कि इस एक साल में उनकी ज़िंदगी कितनी बदल गई.

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सनमति

असम - पुलवामा हमले में मारे गए मनेस्वर बसुमतारी के घर का हाल

"14 फरवरी का दिन कैसे भूल सकती हूं. चरमपंथियो ने मेरे पति को इतने भयानक तरीके से मारा था कि मैं उनका शव तक नहीं देख पायी थी. मेरे पति और हमारे जवानों की हत्या करने वाले आतंकियों को सजा मिलनी चाहिए. भारत सरकार पुलवामा में सीआरपीएफ़ के जवानों पर हमला करने वाले आतंकी संगठन के लोगों को जब तक पकड़ कर सजा नहीं देगी, मेरे मन को शांति नहीं मिलेगी."

14 फरवरी 2019 को पुलवामा चरमपंथी हमले में मारे गए सीआरपीएफ़ के जवान मनेस्वर बसुमतारी की पत्नी सनमति जब ये बातें कह रह थी तो उनके चेहर पर बेबसी और आक्रोश दोनों नज़र आ रहे थे.

घर की दीवार पर टंगी अपने पति की तस्वीर की तरफ देखते हुए सनमति कहती हैं, "देश की रक्षा के लिए कश्मीर में और भी जवान तैनात हैं. मैं चाहती हूं कि चरमपंथियों के ख़िलाफ़ भारत सरकार गंभीरता से कार्रवाई करे ताकि देश में पुलवामा हमले जैसी घटना दोबारा न हो. मेरी तरह किसी भी महिला को विधवा का जीवन जीना ना पड़े. सरकार ने हमें मुआवज़ा दिया है. बेटी को नौकरी भी दी है लेकिन हमारा तो सब कुछ छिन गया है."

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'पापा हमारे हीरो थे'

हालांकि भारत सरकार ने पुलवामा हमले के महज़ कुछ दिन बाद 26 फरवरी को कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तुनख़्वा प्रांत के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को निशाने पर लिया था. साथ ही भारतीय सेना ने दावा भी किया था कि पुलवामा हमले के मुख्य साजिशकर्ता मुदस्सिर अहमद ख़ान को एक मुठभेड़ में मार गिराया गया है. लेकिन एक साल बाद भी सीआरपीएफ़ जवान मनेस्वर बसुमतारी की पत्नी को लगता है कि सरकार अब तक उन प्रमुख चरमपंथियों को सज़ा नहीं दे पाई है जिन्होंने इस हमले को अंजाम दिया.

सनमति बसुमतारी कहती हैं,"पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने एयर स्ट्राइक कर आंतकियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी. उससे मन को थोड़ी शांति मिली थी. लेकिन मुझे लगता है कि इतने बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने वाले प्रमुख चरमपंथियों को अब भी सज़ा नहीं मिली है. सरकार जब इस हमले के प्रमुख (मास्टरमांइड) रहे आतंकियों को पकड़ कर सज़ा देगी तभी मेरे पति की आत्मा को शांति मिलेगी."

सनमति जब ये बातें कह रही थी उस समय बगल में बैठीं उनकी 25 साल की बेटी डीडमश्री रोते हुए कहती हैं,"मेरे पापा हमारे हीरो थे. उनकी शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा. मैं चाहती हूं, जिन आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था उनको सज़ा मिले."

अपने पिता के एक सपने का बड़े भावुक अंदाज़ में ज़िक्र करते हुए डीडमश्री कहती है,"मेरे पापा चाहते थे कि मैं नर्सिंग की पढ़ाई करूं ताकि लोगों की सेवा कर सकूं. मैंने नर्सिंग के कोर्स में दाखिला भी लिया था लेकिन यह घटना हो गई. 14 फरवरी की सुबह करीब 5 बजे उन्होंने मां के मोबाइल पर फोन किया था. वे मार्च में छुट्टी पर घर आने वाले थे. वे बहुत अच्छे इंसान थे. अब मैं उन्हें केवल तस्वीरों में ही देखती हूं."

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नौकरी के लिए भेजेंगी?

सीआरपीएफ़ की 98 बटालियन के हेड कांस्टेबल रहे मनेस्वर बसुमतारी की पत्नी असम के बाक्सा ज़िले के एक छोटे से गांव कोलबाड़ी में अपने बेटे धनंजय के साथ रहती हैं. जबकि असम सरकार से मुआवज़े के मार्फ़त उनकी बेटी डीडमश्री को पर्यटन विभाग में सूचना अधिकारी के सहायक पद पर नौकरी मिलने के बाद वे फिलहाल गुवाहाटी में रहती है.

इस घटना के बाद क्या वे अपने इकलौते बेटे को सीआरपीएफ़ में नौकरी के लिए भेजेंगी?

इस सवाल के जवाब में सनमति कहती है,"मेरा बेटा अभी बीए की पढ़ाई कर रहा है. इसके बाद अगर वो चाहे तो मैं उसे सीआरपीएफ़ की नौकरी में भेज सकती हूं. देश के लिए मरने से बड़ा और कुछ नहीं हो सकता. आज मेरे पति की शहादत की वजह से पूरा देश हमें पहचानता है."

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बयानों की लंबी फ़ेहरिस्त

पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में भारत की तरफ से की गई एयर स्ट्राइक की घटना को लेकर उस समय राजनीतिक स्तर पर हुई बयानबाजी से कई पीड़ित परिवार आहत हुए थे.

क्या देश के लिए जान की कुर्बानी देने वाले जवानों को लेकर राजनीति होती है?

इस सवाल का जवाब देते हुए मनेस्वर बसुमतारी के भांजे कमल बसुमतारी कहते है,"देश के लिए बलिदान देने वालों के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. कुछ लोग ऐसा करते है. शहीद के परिवार के लिए इससे बड़ा दुख और क्या हो सकता है. देश के लिए मरने वालों की मर्यादा को हमेशा कायम रखना होगा. वरना शहीदों का सम्मान कैसे बचेगा. मेरे मामा के इस बलिदान के बाद देश के लोग जिस कदर हमारे परिवार से साथ खड़े रहे उसे हम कभी नहीं भूल सकते."

भांजे कमल बसुमतारी
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भांजे कमल बसुमतारी

देशभर की सहानुभूति

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मनेस्वर बसुमतारी के बचपन के साथी रहे और कोलबाड़ी गांव के सभापति तीर्थ बसुमतारी कहते है," सीआरपीएफ़ के इतने बड़े काफ़िले पर हुए चरमपंथी हमले को एक साल बाद भी भुला नहीं पाए हैं. यह बहुत भयानक हमला था. मनेस्वर मेरा बचपन का दोस्त था. उनके साथ मेरी बहुत सारी यादें है.हमारे गांव से काफी लोग मिलिट्री सेवा में है लेकिन ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई."

सरकार से मिले मुआवजे को लेकर बसुमतारी के परिवार को कोई शिकायत नही है. सनमति कहती है,"केंद्र सरकार ने जो मुआवजा (35 लाख रु.) देने की बात कही थी वो हमें मिल गया है. इसके अलावा असम सरकार ने 20 लाख रुपए दिए है. बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल ने पांच लाख रुपए की मदद की है. मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल खुद हमारे घर पर आकर मेरी बेटी को राज्य सरकार की नौकरी का अपॉइंटमेंट लेटर दिया था. बॉलीबुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने मुझे मुंबई बुलाकर 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी थी. इसके अलावा बाबा रामदेव से लेकर बंगाल, केरल जैसे राज्यों में मुझे लोगों ने बुलाकर मदद की है. हमारे परिवार के प्रति देशभर के लोगों ने सहानुभूति दिखाई है जिसें हम हमेशा याद रखेंगे."

पुलवामा हमले के बाद कई लोगों ने जवानों को मिलने वाली पेंशन योजना को लेकर सवाल उठाए थे. इसपर सनमति कहती है,"सीआरपीएफ़ विभाग की तरफ से जो कुछ हमें मिलना चाहिए था वह सब मिला है. मेरी पेंशन भी शुरू हो गई है जो कि मेरे पति के आखिरी वेतन के बराबर मिल रही है."

बीबीसी

पुलवामा हमले को एक साल पूरा होने वाला है और इस मौके पर सनमति ने अपने पति की याद में घर के बिलकुल पास करीब आठ लाख रुपए खर्च कर उनकी एक मूर्ती लगवाई है. यह वही जगह है जहां मनेस्वर बसुमतारी के शव का अंतिम संस्कार किया गया था. सनमति आने वाले दिनों में यहां एक छोटा संग्रहालय का निर्माण करवाना चाहती है जहां वह अपने पति की यूनिफॉर्म से लेकर उनकी तमाम चिजों को रखेगी ताकि लोग उनके पति की शहादत को हमेशा याद रखें.

हाथ में पति की तस्वीर लिए वो कहती है,"मुझे मुआवजे के तौर पर जो रकम मिली है मैं उस पैसे से उनकी स्मृति को संजोकर रखना चाहती हूं ताकि वो हमेशा हमारे बीच रहें.14 फरवरी को उनका वार्षिक श्राद्ध है उसी दिन हम उनकी मूर्ती का उद्घाटन करेंगे."

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