हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका चाहते हैं ट्रम्प

4 वर्ष पहले
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। (फाइल) - Dainik Bhaskar
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। (फाइल)
  • महाभियोग की कार्यवाही से दोषमुक्त होने के बाद पहली विदेश यात्रा पर आएंगे अमेरिकी राष्ट्रपति

ललित झा चीफ यूएस कॉरेस्पॉन्डेंट, पीटीआई. कई हफ्तों तक चली अटकलों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 24 व 25 फरवरी को अहमदाबाद व नई दिल्ली के दौरे की औपचारिक घोषणा कर दी गई। ट्रम्प की यह पहली भारत यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों द्वारा स्थापित संबंधों की निरंतरता को भी दर्शाती है। बराक ओबामा पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जो अपने पहले ही कार्यकाल में भारत आए थे।


असल में उन्होंने 2010 व 2015 में दो बार भारत आकर नया कीर्तिमान बनाया था। बिल क्लिंटन और जॉर्ज बुश अपने दूसरे कार्यकाल के अंत में ही भारत आए थे। इन सभी ने भारत के साथ संबंधों को नए स्तर पर पहुंचाया था। ट्रम्प का इरादा इन संबंधों को उस नई ऊंचाई पर ले जाने का है, जहां पर अमेरिका के बहुत करीबी सहयोगी व मित्र हैं। एक रियल एस्टेट कारोबारी के तौर पर ट्रम्प पहले भी भारत आ चुके हैं।

ट्रम्प ने भारत व अमेरिका में रहने वाले भारतवंशियों के साथ अपने संबंधों का संकेत 2016 के चुनाव से पहले न्यू जर्सी में हजारों भारतीय अमेरिकियों को संबाेधित करते हुए दे दिया था। उन्होेंने कहा था कि अगर वे चुनाव जीतते हैं तो वह भारत व भारतीय अमेरिकियों के सबसे अच्छे दोस्त साबित होंगे। उन्होंने यह बात साबित भी की है।


मई 2019 में जब भारत में चुनाव चल रहे थे तो ट्रम्प प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अजहर महमूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लिए दिन-रात काम किया था। पुलवामा हमले के बाद पहली बार अमेरिका ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि भारत को आत्मसुरक्षा का अधिकार है। अमेरिका के बाद ही दुनिया के अन्य प्रमुख देशों ने भी इसे दोहराया था। 

महाभियोग की सुनवाई से दोषमुक्त होने के बाद ट्रम्प की किसी देश की यह पहली यात्रा है। अहमदाबाद में जब वह एक रैली में करीब एक लाख लोगों को संबोधित करेंगे, तो यह विदेशों में उनकी लोकप्रियता को भी प्रदर्शित करेगा और उनके विरोधियों को भी इससे करारा जवाब मिलेगा, जो दावा करते हैं कि ट्रम्प विदेशों में लोकप्रिय नहीं हैं। इस रैली में बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकी भी शामिल हो सकते हैं।


ट्रम्प का मानना है कि भारत के साथ मजबूत संबंध अमेरिका के हित में हैं और दुनिया में शांति के लिए यह द्विपक्षीय रिश्ता जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में वे कहते हैं कि भारत के पास आज ऐसा नेतृत्व है, जो दोनों लोकतांत्रिक देशों के संबंधों को वहां ले जाने में सक्षम है, जिसके बारे में पूर्व में सपना ही देखा गया है। दोनों देशों की अंदरूनी चुनौतियों को देखते हुए इसमें समय लगेगा, लेकिन इस यात्रा से वह अपने लगभग तय माने जा रहे अगले कार्यकाल के दौरान इन संबंधों को उस स्तर पर ले जाना चाहेंगे, जहां से इनकी वापसी न हो सके।

ट्रंप चाहते हैं कि इन संबंधों का आधार रक्षा, आतंकवाद का विरोध और कूटनीति के साथ ही दोनों देशों बीच व्यापार और एक-दूसरे देश के लोगों से संपर्क को बढ़ाना भी होना चाहिए। आने वाले वर्षों में ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका से भारत का ऊर्जा आयात 2019 तक शून्य से करीब 420 अरब रुपए (छह अरब डॉलर) पहुंच गया है और इसके इस साल दोहरी संख्या में पहुंचने की उम्मीद है। ट्रम्प के साथ इस यात्रा में उनके साथ कई प्रमुख अमेरिकी सीईओ भी दिखें तो चौंकने की जरूरत नहीं है। 

ओबामा द्वारा शुरू की गई परंपरा का पालन करते हुए ट्रम्प ने भी पाकिस्तान में न रुकने का फैसला किया है। देखा जाए तो पाकिस्तान के मामले में वह अपने पूर्ववर्ती से एक कदम आगे ही गए हैं। उन्होंने आतंक के खिलाफ लड़ाई में प्रभावी भूमिका न निभाने की वजह से पिछले दो सालों से पाकिस्तान को सभी तरह की सुरक्षा व वित्तीय मदद देनी बंद की हुई है। हालांकि, अभी ट्रम्प की यात्रा की बारीकियों पर काम हो रहा है, लेकिन यह तय है हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर उनका फोकस रहेगा।


किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि ट्रम्प प्रशासन ने ही पहले के प्रशांत कमान को हिंद-प्रशांत क्षेत्र के रूप में मान्यता दी। इस कदम से चीन खुश नहीं है। इसलिए ट्रम्प प्रशासन चाहता है कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अहम भूमिका निभाए और सुनिश्चित करे कि इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन हो और वैश्विक शांति को किसी तरह का बड़ा नुकसान पहुंचाने वाली कोई कार्रवाई न हो। इसके लिए अमेरिकी सरकार भारत को हर तरह के टूल व मदद देने को तैयार है।

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