दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बुधवार को कहा कि न तो उन्होंने पद छोड़ने की पेशकश की है और न ही उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के मद्देनजर पद से इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। हालांकि पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि तिवारी ने पार्टी के एक शीर्ष पदाधिकारी से संपर्क किया था और दिल्ली इकाई प्रमुख के रूप में पद छोड़ने की पेशकश की थी। भाजपा को आम आदमी पार्टी (आप) के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है।

तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, “न तो मुझे इस्तीफा देने के लिए कहा गया है और न ही मैंने अपना इस्तीफा दिया है।” मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि यह पार्टी का “आंतरिक मामला” है। नवंबर 2016 में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए तिवारी ने अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। पार्टी के संगठनात्मक चुनावों पिछले साल ही होने थे, लेकिन इसे विधानसभा चुनावों के कारण स्थगित कर दिया गया था।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को भारी सफलता मिलने और अरविंद केजरीवाल के तीसरी बार सरकार बनाने के जनादेश से भारतीय जनता पार्टी (BJP) में निराशा का माहौल है। चुनाव के नतीजे बीजेपी के खिलाफ जाने पर चर्चा थी कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने इस्तीफे की पेशकश की है, लेकिन उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में इसका खंडन कर दिया। मनोज तिवारी ने नतीजे आने से पहले कहा था कि चुनाव के नतीजे जो भी होंगे, उसकी जिम्मेदारी उनकी होगी।

मंगलवार (11 फरवरी) को आए नतीजों में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) को कुल 70 सीटों में से 62 पर जीत हासिल हुई है। जबकि मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार केवल आठ सीटों पर ही सफल हो सके। इससे पार्टी को जबरदस्त झटका लगा है। पार्टी को उम्मीद थी कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इस बार उसे सरकार बनाने का अवसर मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मनोज तिवारी ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 2009 में समाजवादी पार्टी के साथ की। वे लोकसभा चुनाव में गोरखपुर से सपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे, लेकिन बीजेपी के योगी आदित्यनाथ से वे हार गए। इसके बाद वे अगस्त में अन्ना हज़ारे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से जुड़ गए। और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए। पार्टी ने 2014 में उन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा और उन्हें जीत भी हासिल हुई।

दिल्ली में सांसद बनने और 2016 में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद मनोज तिवारी लगातार राजनीति में सक्रिय रहे। लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी समेत दिल्ली में पार्टी के सभी सातों उम्मीदवार विजयी रहे। लेकिन उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में पार्टी को सफलता नहीं मिली। इससे पार्टी को काफी झटका लगा। हालांकि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ तीन सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार पार्टी को आठ सीटों पर जीत मिली।