अगर आप एक यूनिट बिजली बचाते हो तो 1.25 यूनिट बिजली का उत्पादन कम करना पड़ता है. एक 90 वॉट का बल्ब जितनी रोशनी देता है उससे ज्यादा रोशनी 12 वॉट का LED बल्ब देता है और 80% से ज्यादा ऊर्जा की खपत कम करता है.
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नई दिल्ली: अगर आप एक यूनिट बिजली बचाते हो तो 1.25 यूनिट बिजली का उत्पादन कम करना पड़ता है. एक 90 वॉट का बल्ब जितनी रोशनी देता है उससे ज्यादा रोशनी 12 वॉट का LED बल्ब देता है और 80% से ज्यादा ऊर्जा की खपत कम करता है. अब तक देश के घरों और इमारतों में 150 करोड़ LED लग चुके हैं और सड़कों के 1 करोड़ से ज्यादा बल्ब बदलकर LED कर दिए गए हैं. इस मामले से जुड़ी कहानी केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सुनाई.
पीयूष गोयल जब ऊर्जा मंत्री थे तब 2015 में ये योजना शुरु की गई. पीयूष गोयल बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मीटिंग बुलाई और पूछा कि देश में कितने लट्टू बल्ब बिकते हैं और ज्यादा से ज्यादा बिजली बचाने वाले LED बल्ब कितने बिकते हैं. तो डेटा की खोजबीन हुई तो पता चला कि देश में 6 लाख LED बिकते थे EESL के द्वारा और जबकि लट्टू बल्ब 77 करोड़ बिकते थे.
प्रधानमंत्री ने तब पीयूष गोयल को ये टास्क दिया कि LED बल्ब लट्टू से ज्यादा बिकने चाहिये क्योंकि ये ऊर्जा बचाते हैं और ऊर्जा बचाने से बिजली का बिल तो कम होगा ही बिजली उत्पादन कम करना होगा. इससे बिजली उत्पादन की लागत भी कम पड़ेगी.
उसके बाद बिजली बनाने वाली इकाइयों से ताबड़तोड़ बैठक शुरु हुई. इंडस्ट्री ने कहा कि सब्सिडी पर्याप्त नहीं है इसलिए 6 लाख LED ही बिकते हैं और पेमेंट सालों साल लटक जाती है. तब सरकार ने इंडस्ट्री को भरोसा दिया कि 30 दिन के अंदर आपका पैसा आपके अकाउंट में RTGS हो जाएगा.
उसके बाद उजाला और स्ट्रील लाइट स्कीम के बाद से अब तक 150 करोड़ LED (ओपन मार्केट के बल्ब भी शामिल) देशभर में रोशनी बिखेर रहे हैं और 1.03 करोड़ स्ट्रीट लाइट बदल कर LED लाइट में कनवर्ट हो गए हैं,
जिस LED बल्ब की कीमत सरकार को 310 रुपए पड़ती थी वो अब 38 रुपए ही रह गई. मुख्य बात ये कि इस पर सब्सिडी का बोझ भी सरकार पर नहीं पड़ रहा. उजाला स्कीम 36.13 करोड़ बल्ब और ओपन मार्केट बल्ब को मिलाकर लोगों ने खुद ही 18 हजार करोड़ रुपए के LED बल्ब खरीदे. अब हर साल लगभग 50 हजार करोड़ रुपए की बिजली की बचत लोगों को हो रही है.
EESL ( Energy Efficiency Services Ltd) के मुताबिक LED लाइट सड़कों पर लगने से हर साल 6.97 अरब किलोवॉट बिजली की बचत हो रही है. वहीं 48 लाख टन कार्बन डाइ ऑक्साइड भी बनने से रुक रही है. यानी बिजली की खपत कम और पैसा भी कम लग रहा है.