दूरसंचार कंपनियों के लिए 1.47 लाख करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के भुगतान की समयसीमा बृहस्पतिवार को बीत गई। इससे पहले भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने दूरसंचार विभाग (डॉट) को सूचित कर दिया कि वे 88,624 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया नहीं चुकाएंगी। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि दोनों कंपनियों ने अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका पर होने वाली सुनवाई का इंतजार करने की बात कही है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाये के लिए 23 जनवरी की समयसीमा तय की थी।
डॉट की लाइसेंसिंग फाइनेंस पॉलिसी विंग ने कहा कि सभी संबंधित विभागों को सुप्रीम कोर्ट के अग्रिम आदेश तक एजीआर का भुगतान नहीं करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, ‘लाइसेंसिंग विंग के निदेशक ने इस संबंध में सभी विभागों को निर्देश दे दिए हैं।’ सदस्य (वित्त) की मंजूरी के बाद ही यह निर्देश जारी किया गया है, जो राजस्व से जुड़े डॉट के विभागों के प्रमुख हैं।
तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ‘संवाद की कमी’ के चलते डॉट ने गेल, ऑयल इंडिया और पावरग्रिड जैसी गैर दूरसंचार कंपनियों से लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की मांग की है। इन कंपनियों के ऊपर ऐसी किसी धनराशि की देनदारी नहीं बनती है। डॉट गेल इंडिया से 1.72 लाख करोड़ रुपये, ऑयल इंडिया से 48 हजार करोड़ रुपये, पावरग्रिड से 40 हजार करोड़ रुपये और रेल व एक अन्य सरकारी कंपनी से ऐसी ही मांग कर रहा है।
डॉट की यह मांग सरकारी कंपनियों की कुल नेटवर्थ से काफी ज्यादा है। प्रधान ने कहा, ‘हम दूरसंचार मंत्रालय से बातचीत कर रहे हैं। हमने मांग पर अपना जवाब दे दिया था। संभवत: संवाद की कमी के चलते भारत सरकार का एक विभाग, दूसरे विभाग के अंतर्गत आने वाली पीएसयू से ऐसी मांग कर रहा है।’
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