अभाव में बीता बचपन, रिक्शा चलाकर बनाया खुद का स्कूल, अब गरीबों के बच्चों के बने मसीहा
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अभाव में बीता बचपन, रिक्शा चलाकर बनाया खुद का स्कूल, अब गरीबों के बच्चों के बने मसीहा

अभिभावकों का कहना है कि हमारी इच्छा होने के बावजूद अपने बच्चों को नर्सरी स्कूल में नहीं पढ़ा सकते थे, लेकिन आज विष्णुपद ने वो सपना साकार किया है.

विष्णुपद की इच्छा है की एक दिन वो और बढ़ा स्कूल तैयार करेंगे जहां पर और भी बच्चे पढाई करेंगे.(प्रतीकात्मक फोटो)

पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के के बशीरहाट में बैटरी रिक्शा चलाने वाले विष्णुपद ने एक स्कूल बनाया है. होसनाबाद स्टेशन से सटे इलाके में रह रहे लोगों को यकीन नहीं हो रहा कि एक   बैटरी रिक्शा चलाने वाला युवक एक दिन एक छोटा सा स्कूल खोल देगा. इस इलाके में बहुत से गरीब परिवार हैं जिनके छोटे-छोटे बच्चे अब विष्णुपद मंडल के स्कूल में पढ़ने आ रहे रहे हैं. विष्णुपद मंडल पेशे से एक बैटरी रिक्शा चालक है और रिक्शा चला कर कमाए पैसे से ही उन्होंने यह स्कूल बनाया है. जिसका नाम आशा लता नर्सरी/ केजी स्कूल है.

शुरुआत में केवल एक कमरे का स्कूल था जिसमें सिर्फ 14 बच्चे पढ़ते थे.  लेकिन अब इस स्कूल में छात्रों की संख्या 45 तक पहुंच चुकी है. इस स्कूल में 2 टीचर भी हैं. विष्णुपद का लक्ष्य केवल अपने स्कूल को आगे बढ़ाना है. रिक्शे से जितनी भी आमदनी होती है वह सारा पैसा स्कूल में लगाते हैं, उन्होंने स्कूल के लिए चेयर टेबल-बेंच खरीदा है. केवल इतना ही नहीं विष्णुपद ने इन बच्चो के लिए कॉपी, पेन किताब और यूनिफॉर्म का भी इंतजाम किया है. अभिभावकों का कहना है कि हमारी इच्छा होने के बावजूद अपने बच्चों को नर्सरी स्कूल में नहीं पढ़ा सकते थे, लेकिन आज विष्णुपद ने वो सपना साकार किया है.

स्कूल में मौजूद दोनों टीचर प्रतिमा मंडल और सोनाली सेनगुप्ता का कहना है की अभी बहुत ही कम सुविधाओं के साथ हम लोग पढ़ा पा रहे हैं लेकिन जिस तरह से विष्णुपद ने बैटरी रिक्शा चलाकर इस स्कूल को खड़ा किया है वो सच में प्रशंसनीय है. टीचरों ने बताया कि उनकी इस पहल से हम लोग खुश हैं और साथ में इलाके में रहने वाले लोग तो और भी बहुत खुश हैं.

विष्णुपद की इच्छा है की एक दिन वो और बढ़ा स्कूल तैयार करेंगे जहां पर और भी बच्चे पढाई करेंगे. विष्णुपद ने कहा इसके लिए अगर कोई उनकी आर्थिक मदद के लिए आगे आएगा तो हम उसका स्वागत करेंगे.

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